Mar 31, 2009

मैं हूँ प्यार की किताब-नया बकरा १९७९

कई बार अजीब से नाम वाली फिल्में भी आती हैं.
इसी कड़ी में महमूद द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म आई थी
"नया बकरा"। इसमे इनके साथ विनोद मेहरा भी थे।

रीना रोय फ़िल्म में हिरोइन हैं। कुछ गीतों के अलावा
फ़िल्म में याद रखने लायक एक चीज़ थी तो वो-एक
पेट्रोल भरे ड्रम पर विनोद मेहरा गोली चलाकर उसको
जलाता है। इसके अलावा कुछ भी याद नहीं है फ़िल्म
के बारे में। ये गीत रीना रोय पर फिल्माया गया है और
ये दुर्लभ गीतों की श्रेणी में आता है।

इस फ़िल्म का नाम पोस्टर पर कुछ ऐसा देखने को मिलता-
"नया बक्रा"। के. बाबूजी इस फ़िल्म के संगीतकार हैं।



गाने के बोल:

खुल सके न कभी जो मैं वो राज़ हूँ
तू सुने तो तेरे दिल की आवाज़ हूँ
चाहे पास रख ले, चाहे दूर फ़ेंक दे

मैं हूँ प्यार की किताब,पन्ना पन्ना लाजवाब

मैं हूँ प्यार की किताब,पन्ना पन्ना लाजवाब

चाहे पास रख ले, चाहे दूर फ़ेंक दे
मैं हूँ प्यार की किताब,पन्ना पन्ना लाजवाब
मैं हूँ प्यार की किताब,पन्ना पन्ना लाजवाब

राजा सैयां.....हो.....
राजा सैयां रे मैं तेरी जागीर हूँ
तेरे सपनो की रंगीन तस्वीर हूँ
जो लिपट जाए दिल से तो छूटे नहीं
प्यार की रेशमी ऐसी ज़ंजीर हूँ
चाहे दिल जोड़ ले चाहे दिल तोडे दे

मैं हूँ प्यार की किताब,पन्ना पन्ना लाजवाब
मैं हूँ प्यार की किताब,पन्ना पन्ना लाजवाब

रंग दूजा ......हो.....
रंग दूजा तो मुझपर कहाँ चढ़ सके
हाथ औरों का मुझ तक कहाँ बढ़ सके
सिर्फ़ हक है तुझे चाहे पढ़ ले मुझे
और कोई भी मुझको कहाँ पढ़ सके
चाहे पूरी पढ़ ले या अधूरी छोड़ दे

मैं हूँ प्यार की किताब,पन्ना पन्ना लाजवाब
मैं हूँ प्यार की किताब,पन्ना पन्ना लाजवाब

चाहे पास रख ले, चाहे दूर फ़ेंक दे
मैं हूँ प्यार की किताब,पन्ना पन्ना लाजवाब
मैं हूँ प्यार की किताब,पन्ना पन्ना लाजवाब
.........................................................................
Main hoon pyar ki kitaab-Naya Bakra 1979

Artists:  Reena Roy

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Mar 30, 2009

हमसे का भूल हुई- जनता हवालदार १९७९

गायक अनवर का पहला लोकप्रिय गीत जिसने लोकप्रियता
की हदें पार कीं । इसके बोल और संगीत बराबर के जिम्मेदार
इसको प्रसिद्धि दिलाने में। बोल हैं मजरूह के और संगीत है
राजेश रोशन का। ऐसा सुना जाता है कि राजेश खन्ना भी
एक बार धोखा खा गए और उन्होंने मान लिया था कि ये गाना
रफी ने गाया है। यूँ भी अनवर की आवाज़ रफी की आवाज़ के सबसे
नज़दीक है। यू ट्यूब पर जो विडियो है उसमे साउंड क्वालिटी
थोडी ख़राब है।



गाने के बोल:

हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली
अब तो चारों ही तरफ़ बंद है दुनिया की गली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली

दिल किसी का न दुखे हमने बस इतना चाहा
पाप से दूर रहे झूठ से बचना चाहा
पाप से दूर रहे झूठ से बचना चाहा
उसका बदला ये मिला उलटी छुरी हमपे चली
अब तो चारों ही तरफ़ बंद है दुनिया की गली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली

हमपे इलज़ाम ये है चोर को क्यूँ चोर कहा
क्यूँ सही बात कही काहे न कुछ और कहा
क्यूँ सही बात कही काहे न कुछ और कहा
ये है इनसाफ़ तेरा वाह रे दाता की गली
अब तो चारों ही तरफ़ बंद है दुनिया की गली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली

अब तो इमान धरम की कोई कीमत ही नहीं
जैसे सच बोलने वालों की ज़रूरत ही नहीं
जैसे सच बोलने वालों की ज़रूरत ही नहीं
ऐसी दुनिया से तो दुनिया तेरी वीरान भली
अब तो चारों ही तरफ़ बंद है दुनिया की गली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली
हमसे का भूल हुई जो ये सज़ा हमका मिली
………………………………………………….
Hamse kaa bhool hui-Janta Hawaldar 1979

Artists: Rajesh Khanna

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रुपहले परदे की सफल जोडियाँ १ : धर्मेन्द्र- हेमा मालिनी


फ़िल्मी की सबसे सफल जोडियों में से एक है धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी की जोड़ी
धर्मेन्द्र ने अपना फ़िल्मी सफ़र फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' से
सन १९६० में शुरू किया था. हेमा मालिनी की बतौर नायिका पहली फिल्म
थी 'सपनों का सौदागर ' जो १९६८ में आई थी.

तुम हसीं मैं जवान १९७० , शराफ़त १९७०, नया ज़माना १९७०
राजा जानी १९७२, सीता और गीता १९७२, जुगनू १९७३
पत्थर और पायल १९७४, दोस्त १९७४, प्रतिज्ञा १९७५
शोले १९७५, कहते हैं मुझको राजा १९७५, चरस १९७६
माँ १९७६, चाचा भतीजा १९७७, ड्रीम गर्ल १९७८
आज़ाद १९७८, दिल्लगी १९७९, दिल का हीरा १९७९
दी बर्निंग ट्रेन १९८०, अलीबाबा और चालीस चोर १९८०
आस पास १९८१, क्रोधी १९८१, राजपूत १९८२
मेहरबानी १९८२, बगावत १९८२, दो दिशाएं १९८२
सम्राट १९८२, रज़िया सुलतान १९८३, राज तिलक १९८४
जान हथेली पे १९८७, और आतंक १९९६

इसके अलावा जिन फिल्मों में वे मेहमान कलाकार के रूप में
नज़र आये वो हैं

कुंवारा बाप १९७५, छोटी सी बात १९७६
बारूद १९७६, किनारा १९७७, स्वामी १९७७
खेल खिलाडी का १९७७, चला मुरारी हीरो बनने १९७७
और सिनेमा सिनेमा १९७९

३१ फिल्मों में एक साथ बतौर हीरो हेरोइन काम करने का
सौभाग्य शायद ही किसी और जोड़ी को नसीब हुआ हो.
इस जोड़ी की बदौलत हमको कई सुन्दर गीत देखने
को मिले हैं. जिनमे प्रमुख हैं:
१) एक ही ख्वाब कई बार देखा है मैंने-किनारा
२) जान की कसम सच कहते हैं हम
३) जाने क्या पिलाया तूने-जुगनू
४) ऐ बी सी डी छोडो नैनों से नैना-राजा जानी


जिस केमिस्ट्री की अक्सर फ़िल्मी पत्रकार बात किया करते हैं
उस पहलु से देखा जाये तो इन नगमों में ये तत्त्व अपनी चरम सीमा
पर है.

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धड़का तो होगा दिल ज़रूर-सी आई डी ९०९ १९६७

कुछ गीत फ़िल्म में आगे बेंच पर बैठे दर्शकों के लिए बनाये
जाते थे। आगे की बेंच पर बैठ के मैंने भी कुछ फ़िल्में देखी।
वहां बैठ के देखने का आनंद बालकनी में बैठे व्यक्ति को नहीं हो
सकता। बड़े परदे पर सभी चीज़ें बड़े अकार की दिखाई देती है।
ऐसे में कोई हिलती डुलती वस्तु जो परदे के एक छोर से दूसरी
छोर की तरफ़ जाए तो उसको देखने के लिए गर्दन भी वैसी ही
घुमाते रहना पड़ता है। इस गीत में मुमताज़ और बेला बोस के
साथ फिरोज खान दिखाई देंगे आपको। लंबे कद वाली नायिका
मुमताज़ हैं । इस गीत को लिखा है अज़ीज़ कश्मीरी ने और धुन
बनाई है ओ पी नय्यर ने। इस गीत में आए शब्द 'ताबेदार' का अर्थ
है-आज्ञाकारी या सेवक।



गीत के बोल:

धड़का तो होगा दिल ज़रूर
किया जो होगा तुमने प्यार
हमसे छुपाओ न हुजुर
हम हैं तुम्हारे ताबेदार
जाने ताबेदार

धड़का तो होगा दिल ज़रूर
किया जो होगा तुमने प्यार
हमसे छुपाओ न हुजूर
हम हैं तुम्हारे ताबेदार
जाने ताबेदार

धड़का तो होगा दिल ज़रूर
किया जो होगा तुमने प्यार

आँखों में तुम्हारी चाहत की तस्वीर लिए
आए हैं,
आए हैं तुम्हारे क़दमों में तकदीर लिए
किस्मत ने कभी मौका जो दिया
दिखलायेंगे हम
दिल चीज़ है क्या
ये जान भी देंगे तुम पे लुटा

धड़का तो होगा दिल ज़रूर
किया जो होगा तुमने प्यार
हमसे छुपाओ न हुजूर
हम हैं तुम्हारे ताबेदार
जाने ताबेदार

ये प्यार हमें लाया है कहाँ मालूम नहीं
कहते हैं, किसे आँखों की ज़बान मालूम नहीं

कातिल है अदा, दुश्मन है नज़र
अब बच के कोई जाए किधर
मरने दो यहीं मरना है अगर

धडक तो होगा दिल ज़रूर
किया जो होगा तुमने प्यार
हमसे छुपाओ न हुजूर
हम हैं तुम्हारे ताबेदार
जाने ताबेदार

धड़का तो होगा दिल ज़रूर
किया जो होगा तुमने प्यार

इस दिल से कोई इकरार तो कर
ऐ जाने वफ़ा
थोड़ा ही सही
थोड़ा ही सही प्यार तो कर
ऐ जाने वफ़ा

किस्मत ने कभी मौका जो दिया
दिखलायेंगे हम दिल चीज़ है क्या
ये जान भी देंगे तुम पे लुटा

धडक तो होगा दिल ज़रूर
किया जो होगा तुमने प्यार
हमसे छुपाओ न हुजूर
हम हैं तुम्हारे ताबेदार
जाने ताबेदार

धड़का तो होगा दिल ज़रूर
किया जो होगा तुमने प्यार
............................................................
Dhadka to hoga dil zaroor-CID 909 1967

Artists: Bela Bose, Mumtaz, Feroz Khan

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Mar 28, 2009

धानी चुनरी पहन-हरे कांच की चूड़ियाँ १९६७

अभिनेत्री-नैना साहू का पुराने ज़माने के अभिनेता किशोर साहू से
ज़रूर कोई सम्बन्ध है। इस नायिका को इसके बाद किसी और
फ़िल्म में नहीं देखा मैंने। एक फ़िल्म में इनका नाम जरूर आया
वो है १९७० की फ़िल्म पुष्पांजलि जो की मैंने आधी अधूरी सी
देखी है ।

इस गीत के बारे में मुझे फ़िल्म देखने के पहले तक इतना मालूम
था कि ये आशा भोंसले ने गाया है, इसको लिखा शैलेन्द्र ने, और
इसके संगीतकार शंकर जयकिशन हैं। फ़िल्म के बारे में बाकी की
जानकारी फ़िल्म देखने के बाद ही हुई। गीत याद कराने के लिए
विविध भारती और आकाशवाणी को धन्यवाद। हरे कांच की चूड़ियाँ
किशोर साहू की फ़िल्म है। इसमे उन्होंने लेखन भी किया है।

फ़िल्म में भानु अथैया ने अपनी सेवाएँ दी हैं । ये वही शख्सियत
हैं जिनको फ़िल्म 'गाँधी' के कोस्ट्युम डिज़ायनिंग के लिए ऑस्क्रर
पुरस्कार मिला है। उम्मीद है इस गाने के लिए नायिका की वेशभूषा
उन्होंने ही तैयार की होगी।




गीत के बोल:

धानी चुनरी पहन
धानी चुनरी पहन, सज के बन के दुल्हन
जाऊँगी उनके घर, मन में उनकी लगन
आयेंगे जब सजन
आयेंगे जब सजन,जीतने मेरा मन
कुछ न बोलूँगी मैं, मुख न खोलूँगी मैं
बज उठेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
ये कहेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ

छूटे माता पिता
छूटे माता पिता, छूटे वो बालापन
खेली मैं जिनके संग, पूरे सोलह सावन
देके तन और मन
देके तन और मन, मैं मनाऊँ सजन,
तेरी बाहों में हो, मेरा जीवन मरण
ये कहेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
वादा लेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ

दो सलोने वचन
दो सलोने वचन, तुमको मेरी क़सम
ये क़सम प्यार की, ये रसम प्यार की
अब निभाना सजन
अब निभाना सजन, मत भुलाना सजन
जाओ परदेस तो, जल्दी आना सजन
वादा लेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
फ़िर कहेंगी हरे,काँच की चूड़ियाँ
बज उठेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ
.............................................................................
Dhani chunri pahan-Hare kaanch ki chooriyan 1967

Artists: Naina Sahu, Biswajeet

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Mar 27, 2009

ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ १ -जाल १९५२

देव आनंद पर फिल्माया गया हेमंत कुमार का गाया एक गीत।
ऐसे गीत सिर्फ पचास के दशक में ही आये। ६० के दशक में
देव आनंद को रफ़ी की आवाज़ वाले गीत मिले। उसके बाद
किशोर या रफ़ी की आवाज़ वाले गीतों पर ही वे परदे पर
होंठ हिलाते मिले। गीत में गीता बाली नाम की नायिका
दिखाई देती हैं। बोल साहिर के हैं और धुन बड़े बर्मन साहब की ।
समय के हिसाब से देव आनंद बढ़िया डिजाईन का स्वेटर पहने हुए
हैं।


गीत के बोल:

आ, हा हा हा हा हा हा हा हा
ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ
सुन जा दिल की दास्ताँ
ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ
सुन जा दिल की दास्ताँ

हे,पेड़ों की शाखों पे
पेड़ों की शाखों पे सोई सोई चाँदनी
पेड़ों की शाखों पे
तेरे खयालों में खोई खोई चाँदनी
और थोड़ी देर में थक के लौट जाएगी
रात ये बहार की, फिर कभी न आएगी
दो एक पल और है ये समा,
सुन जा दिल की दास्ताँ

हे, लहरों के होंठों पे
लहरों के होंठों पे धीमा धीमा राग है
लहरों के होंठों पे
भीगी हवाओं में ठंडी ठंडी आग है
इस हसीन आग में तू भी जल के देख ले
ज़िंदगी के गीत की धुन बदल के देख ले
खुलने दे अब धड़कनों की ज़ुबाँ,
सुन जा दिल की दास्ताँ

हे, जाती बहारें हैं
जाती बहारें हैं उठती जवानियाँ
जाती बहारें हैं
तारों के छाँव में पहले कहानियाँ
एक बार चल दिये गर तुझे पुकार के
लौटकर न आएंगे क़ाफ़िले बहार के
एक बार चल दिये गर तुझे पुकार के
लौटकर न आएंगे क़ाफ़िले बहार के
आ जा अभी ज़िंदगी है जवाँ,
सुन जा दिल की दास्ताँ

ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ
सुन जा दिल की दास्ताँ
दास्ताँ......, दास्ताँ.....
.......................................................
Ye raat ye chandni phir kahan 1-Jaal 1952

Artist: Dev Anand

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बरसे फुहार-थोडी सी बेवफाई १९८०

थोडी सी बेवफाई फ़िल्म के लगभग सभी गीत लोकप्रिय हुए ये गीत
थोड़ा कम सुना हुआ लेकिन कर्णप्रिय है। बोल भी बढ़िया हैं और
गायकी भी। आशा भोंसले की आवाज़ है और संगीत खय्याम का।
गाने के बीच में आपको फ़िल्म कभी कभी और आराधना के दृश्य
दिखाई दे जायेंगे। इसका विडियो उपलब्ध नहीं है यू ट्यूब पर इसलिए
इस पर दूसरी क्लिप डालकर विडियो तैयार किया गया है। जो भी
बन्धु है वो काफ़ी कल्पनाशील हैं और छाँट छाँट के क्लिप जोड़ी है
गाने में , बोलों के हिसाब से। आनंद उठायें। गाना माया अलग पर
फिल्माया गया था जिसको फ़िल्म की एडिटिंग के वक्त उड़ा दिया
गया इसलिए ये फ़िल्म में उपलब्ध नहीं है।

माया अलग विज्ञापन जगत का चर्चित नाम है।



गाने के बोल:

बरसे फुहार, बरसे फुहार
कांच की बूँदें बरसें जैसे
बरसे फुहार, बरसे फुहार
कांच की बूँदें बरसें जैसे
बरसे फुहार

तीरों के हार पहने फुहार फूले रे
तीरों के हार पहने फुहार फूले रे
रेशम के तार लेके बहार झूले रे

कोई नज़र जो आए नगर तो
कहना रे कहना

बरसे फुहार, बरसे फुहार
कांच की बूँदें बरसें जैसे
बरसे फुहार, बरसे

पाजी है पागी ठंडी हवा जी सावन की
पाजी है पागी ठंडी हवा जी सावन की
अग्नि लगा के जी गीली घटा जी सावन की

कोई नज़र जो आए नगर तो
कहना रे कहना

बरसे फुहार, बरसे फुहार
कांच की बूँदें बरसें जैसे
बरसे फुहार, बरसे फुहार

मीठा सा शोर दिले पे कुछ और आता है
मीठा सा शोर दिले पे कुछ और आता है
कहते हैं लोग सावन में मोर आता है

कोई नज़र आए तो नगर तो
कहना रे कहना

बरसे फुहार, बरसे फुहार
कांच की बूँदें बरसें जैसे
बरसे फुहार, बरसे फुहार
............................................................
Barse Phuhaar-Thodi si bewafai 1980

Artist: Maya Alagh,

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Mar 25, 2009

पापा कहते हैं बड़ा नाम-क़यामत से क़यामत तक १९८८

क़यामत से क़यामत तक फ़िल्म से एक नया दौर शुरू हुआ.
आप सोच रहे होंगे कौनसा और कैसा दौर. बहुत अरसे के
बाद किसी फ़िल्म को ऐसे पहचाना गया-QSQT. उसके
बाद दौर चल गया लंबे नाम वाली फ़िल्म की ऐसे संक्षिप्त नाम
देकर पहचानने का । आमिर खान की पहली फ़िल्म जो एक
बड़ी हिट फ़िल्म साबित हुई।

नासिर हुसैन के बैनर की काफ़ी अरसे के बाद कोई फ़िल्म हिट
हुई। फ़िल्म ने ६ फ़िल्म फेयर पुरस्कार जीते । सर्वश्रेष्ठ संगीतकार
और गायक का पुरस्कार क्रमशः आनंद-मिलिंद और उदित नारायण
ने जीता। उसके अलावा मिले पुरस्कारों में स्क्रीन प्ले के लिए
नासिर हुसैन को भी पुरस्कार प्राप्त हुआ।

आइये सुनें वही फ़िल्म फेयर विजेता गीत। गीत ध्यान से देखिये।
इस कॉलेज का नाम एक और फ़िल्म में आने वाला है आगे चल
कर एक इसी बैनर की फ़िल्म में आमिर खान नायक हैं ।



गीत के बोल:

दोस्तों, सबसे पहले तो शुक्रिया सेकण्ड इयर स्टूडेंट्स का
जिन्होंने हम फ़ायनल ईयर स्टुडेंट्स के लिए ये शानदार पार्टी दी है।

थैंक्स अ लोट वी विल मिस यू।

हमारे लिए ये कॉलेज का ये आखरी दिन है और मैं ये जानता हूँ
आने वाली ज़िन्दगी के लिए सभी ने कुछ ना कुछ सोच रखा है।
लेकिन मैंने अपने लिए कुछ नहीं सोचा है और आज ,आज मुझे
यही ख्याल आता है ।

पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा
बेटा हमारा ऐसा काम करेगा
मगर ये तो, कोई ना जाने
के मेरी मंज़िल, है कहाँ

बैठे हैं मिलके, सब यार अपने
सबके दिलों में, अरमां ये है
वो ज़िन्दगी में, कल क्या बनेगा
हर इक नजर का, सपना ये है
कोई इंजिनियर का काम करेगा
बिज़नस में कोई अपना नाम करेगा,

मगर ये तो, कोई ना जाने
के मेरी मंज़िल, है कहाँ

मेरा तो सपना, है एक चेहरा
देखे जो उसको, झूमे बहार
गालों में खिलती, कलियों का मौसम
आँखों में जादू, होठों में प्यार
बन्दा ये खूबसूरत काम करेगा
दिल की दुनिया में अपना नाम करेगा,

मगर ये तो, कोई ना जाने
के मेरी मंज़िल, है कहाँ
.....................................................
Papa kehte hain-Qayamt se qayamat tak 1988

Artist: Aamir Khan

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हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती- जागृति १९५५

अभि भट्टाचार्य ने बहुत सी फिल्मो में शिक्षक की भूमिका निभाई है।
उनको अक्सर गंभीर भूमिकाएं दी जाती रही। ये १५ अगस्त और
२६ जनवरी पर बजने वाला नियमित गीत है। इसकी धुन बनाई है
हेमंत कुमार ने और इसके बोल लिखे हैं कवि प्रदीप ने फ़िल्म जागृति
बेहद चर्चित फ़िल्म रही है। इस गीत को देश भक्ति गीत का दर्जा दिया
गया है।



गाने के बोल:

पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के
मंज़िल पे आया मुल्क हर बला को टाल के
सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के

हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के

तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के

हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के

देखो कहीं बरबाद ना होए ये बगीचा
देखो कहीं बरबाद ना होए ये बगीचा
इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग़ शहीदों ने बाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के

दुनिया के दांव-पेंच से रखना ना वास्ता
दुनिया के दांव-पेंच से रखना ना वास्ता
मंज़िल तुम्हारी दूर है लम्बा है रास्ता
भटका ना दे कोई तुम्हें धोखे में डाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के

हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के

ऐटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
ऐटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
तुम हर कदम उठाना ज़रा देख भाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के

हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के

आराम की तुम भूल भुलैया में ना भूलो
सपनों के हिंडोलों पे मगन हो के ना झूलो
आराम की तुम भूल भुलय्या में ना भूलो
सपनों के हिंडोलों पे मगन हो के ना झूलो
अब वक़्त आ गया है मेरे हँसते हुए फूलों
उठो छलाँग मार के आकाश को छू लो
आकाश को छू लो
तुम गाड़ दो गगन पे तिरंगा उछाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के

हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
.......................................................................
Ham laaye hain toofan se-Jagriti 1955

Artist: Abhi Bhattacharya

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Mar 24, 2009

गली में आज चाँद निकला-ज़ख्म १९९८

हिट गीतों की सूची बनाईं जाए तो शायद सबसे ज्यादा गीत
आनंद बक्षी के ही मिलेंगे। छोटे से गीत को लम्बा कैसे बनाया
जाए ये फ़िल्मी संगीतकार बखूबी जानते हैं। इस गीत में तीन
अंतरे हैं, एक अंतरा विडियो में नहीं है।

इस गीत को मैं कभी कभार सुन लिया करता हूँ । गीत गाया है
अलका याग्निक ने और इसकी धुन बनाई है एम् एम् क्रीम ने।
पूजा भट्ट जिस प्रकार का अभिनय करती हैं लगभग वैसा ही
औरथोडा सा बेहतर उन्होंने इस फिल्म में किया है।.........



गाने के बोल:

तुम आये जो आज मुझे याद, गली में आज चाँद निकला
जाने कितने दिनों के बाद, गली में आज चाँद निकला
जाने कितने दिनों के बाद, गली में आज चाँद निकला
गली में आज चाँद निकला, गली में आज चाँद निकला

तुम आये जो आज मुझे याद, गली में आज चाँद निकला
जाने कितने दिनों के बाद, गली में आज चाँद निकला
जाने कितने दिनों के बाद, गली में आज चाँद निकला
गली में आज चाँद निकला, गली में आज चाँद निकला

तुम आये जो आज मुझे याद, गली में आज चाँद निकला

आज की रात जो मैं सो जाती खुलती आँख सुबह हो जाती
मैं तो हो जाती बस बर्बाद, गली में आज चाँद निकला
गली में आज चाँद निकला, गली में आज चाँद निकला
जाने कितने दिनों के बाद, गली में आज चाँद निकला

मैं ने तुमको आते देखा अपनी जान को जाते देखा
जाने फिर क्या हुआ नहीं याद गली में आज चाँद निकला
गली में आज चाँद निकला, गली में आज चाँद निकला
जाने कितने दिनों के बाद, गली में आज चाँद निकला
..........................................................................................
Gali mein aaj chand nikla-Zakhm  1998

Artist: Pooja Bhatt, Kunal Khemu 

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Mar 23, 2009

दर्शन दो घनश्याम -नरसी भगत १९५७

फिल्म नरसी भगत से एक मधुर भजन प्रस्तुत है।
कहते हैं सच्चे मन की पुकार को परमात्मा जरूर
सुनता है। इस गीत का संगीत तैयार किया है रवि ने
जो हेमंत कुमार के सहायक रहे हैं। शाहू मोड़क और
निरूपा रॉय इस फिल्म के प्रमुख कलाकार हैं। भजन
गाया है सुधा मल्होत्रा, मन्ना डे और हेमंत कुमार ने।
दुर्लभ संयोग है गायकों का। सुधा मल्होत्रा और हेमंत
कुमार के युगल गीत भी शायद १-२ ही हैं।




गीत के बोल:

दरशन दो घनश्याम नाथ मोरी, अँखियाँ प्यासी रे
मन मंदिर की ज्योति जगा दो, घट घट बासी रे

मंदिर मंदिर मूरत तेरी
फिर भी ना दीखे सूरत तेरी
युग बीते ना आई मिलन की
पूरणमासी रे

द्वार दया का जब तू खोले
पंचम सुर में गूंगा बोले
अंधा देखे लंगड़ा चल कर
पहुँचे कासी रे

पानी पी कर प्यास बुझाऊँ
नैनों को कैसे समझाऊँ
आँख मिचौली छोड़ो अब
मन के बासी रे

निर्बल के बल धन निर्धन के
तुम रखवाले भक्त जनों के
तेरे भजन में सब सुख पाऊँ
मिटे उदासी रे

नाम जपे पर तुझे ना जाने
उनको भी तू अपना माने
तेरी दया का अंत नहीं है
हे दुख नाशी रे

आज फैसला तेरे द्वार पर
मेरी जीत है तेरी हार पर
हार जीत है तेरी मैं तो
चरण उपासी रे

द्वार खड़ा कब से मतवाला
मांगे तुम से हार तुम्हारी
नरसी की ये बिनती सुनलो
भक्त विलासी रे

लाज ना लुट जाये प्रभु तेरी
नाथ करो ना दया में देरी
तीन लोक छोड़ कर आओ
गंगा निवासी रे
................................................................................
Darshan do ghanshyam nath mori-Narsi Bhagat 1957

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Mar 22, 2009

सायोनारा सायोनारा- लव इन टोकियो १९६६

लव इन टोकियो फ़िल्म का गीत है ये। टोकियो और जापान
की बात हो रही है इसलिए एक ना एक गीत में जापानी भाषा
के शब्द आना जरूरी है। इसी गीत में हैं-सायोनारा, सायोनारा।

सायोनारा शब्द का अर्थ है- अलविदा । हसरत जयपुरी ने गीत
लिखा है और संगीत है शंकर जयकिशन का। इसको गाया है
लता मंगेशकर ने और जो हीरोईन होंठ हिला रही हैं परदे पर
वो हैं आशा पारेख जो जापानी वेशभूषा पहन कर भी अच्छी
तरह से उछल कूद कर पा रही हैं।




गाने के बोल:

सायोनारा सायोनारा
वादा निभाऊंगी सायोनारा

इठलाती और बलखाती
कल फ़िर आऊंगी, सायोनारा

सायोनारा सायोनारा
वादा निभाऊँगी सायोनारा
इठलाती और बलखाती
कल फिर आऊँगी, सायोनारा

सायोनारा
सायोनारा

छोड़ दे मेरी बाँहों को, रोक ना मेरी राहों को
छोड़ दे मेरी बाँहों को, रोक ना मेरी राहों को
इतनी भी बेताबी क्या, समझा अपनी निगाहों को

सायोनारा सायोनारा
वादा निभाऊँगी सायोनारा
इठलाती और बलखाती
कल फिर आऊँगी सायोनारा
सायोनारा
सायोनारा

चंचल शोख़ बहारों में, रस बरसाते नज़ारों में
चंचल शोख़ बहारों में, रस बरसाते नज़ारों में
तुझको भूल ना पाऊँगी, होगा मिलन गुलज़ारों में

सायोनारा सायोनारा
वादा निभाऊँगी सायोनारा
इठलाती और बलखाती
कल फिर आऊँगी सायोनारा
सायोनारा
सायोनारा

होंगी रोज़ मुलाक़ातें, अपने दिन अपनी रातें
होंगी रोज़ मुलाक़ातें, अपने दिन अपनी रातें
कौन हमें फिर रोकेगा, जी भर कर करना बातें

सायोनारा सायोनारा
वादा निभाऊँगी सायोनारा
इठलाती और बलखाती
कल फिर आऊँगी सायोनारा
सायोनारा
सायोनारा सायोनारा सायोनारा
..................................................................
Sayonara sayonara-Love in Tokyo 1966

Artists: Asha Parekh

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Mar 20, 2009

ठंडी हवाएं लहरा के आयें-नौजवान १९५१

कुछ पोस्ट पहले हमने फ़िल्म ममता के गीत का जिक्र किया था।
उस पोस्ट में धुनों की समानता पर प्रकाश डाला गया था। अब सुनिए
वो गीत जो बेहद प्रसिद्ध हुआ और जिसने कई संगीतकारों को बाद में
प्रेरित किया । ये है फ़िल्म नौजवान का लता मंगेशकर का गाया गीत
जो नलिनी जयवंत पर फिल्माया गया है। इसके बोल साहिर लुधियानवी ने
लिखे हैं और धुन बनाई है सचिन देव बर्मन ने।

१९५१ से आज तक इस गीत की प्रसिद्धि में कोई कमी नहीं आई है।
साहिर साहब ने नायिका को झेंपाया है जबकि अधिकाँश फ़िल्मी गीतों में
नायिकाएं शरमाया ज्यादा करती हैं।




गीत के बोल:

हा हा हा हा, हा हा हा हा हा हा हा
ला ला ला ला ला, हं हं हं हं हं, कैसे बुलायें

ठंडी हवाएं, लहरा के आए
रुत है जवान, उनको यहाँ, कैसे बुलाये
ठंडी हवाएं, लहरा के आए
रुत है जवान, उनको यहाँ, कैसे बुलाये

ठंडी हवाएं

हा हा हा, हा हा हा हा हा
ला ला ला ला ला, हम हम हम हम हम
कैसे बुलायें

चाँद और तारे, हँसते नज़ारे
मिलके सभी, दिल में सखी, जादू जगाये
ठंडी हवाएं, लहरा के आए
रुत है जवान, उनको यहाँ, कैसे बुलाये
ठंडी हवाएं

(सीटी) ...............कैसे बुलाये

कहा भी न जाए, रहा भी न जाए
तुमसे अगर, मिले भी नज़र, हम झेंप जाए
ठंडी हवाएं, लहरा के आए
रुत है जवान, उनको यहाँ, कैसे बुलाये
ठंडी हवाएं

हा हा हा, हा हा हा हा हा
ला ला ला ला ला, हम हम हम हम हम
कैसे बुलायें

दिल के फ़साने, दिल भी न जाने
तुमको सजन, दिल की लगन, कैसे बताये
ठंडी हवाएं, लहरा के आए
रुत है जवान, उनको यहाँ, कैसे बुलाये
ठंडी हवाएं
हं हं हं हं हं
हं हं हं हं हं, हं हं हं हं हं
कैसे बुलाएं
हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ
.................................................................
Thandi hawayen-Naujawan 1951

Artists: Nalini Jaywant, Premnath

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समय के बंधन से मुक्त गाने १ दिल ढूंढता है फ़िर -मौसम १९७५

इसको आज भी सुनो तो नया नया सा लगता है। समय के
बंधन से मुक्त गानों की यही खूबी होती है कि वे कभी पुराने
नहीं पढ़ते । हमेशा आपको आनंदित करते हैं। ऐसा ही एक
गाना है फ़िल्म मौसम से । गायक हैं लता और भूपेंद्र। बोल
गुलज़ार के हैं और संगीत मदन मोहन का। हीरो अपने अतीत
को खोज रहा है और उसका सामना सुनहरी यादों से होता है।

गुलज़ार ने इसके पहले फिल्म कोशिश के लिए मदन मोहन की
सांगीतिक सेवाएँ ली थीं।



गाने के बोल:

दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन
दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन
बैठे रहे तसव्वुर-ए-जानाँ किये हुए
दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन

जाड़ों की नर्म धूप और आँगन में लेट कर
जाड़ों की नर्म धूप और आँगन में लेट कर
आँखों पे खींचकर तेरे आँचल के साए को
आँखों पे खींचकर तेरे आँचल के साए को
औंधे पड़े रहे कभी करवट लिये हुए

दिल ढूँढता है
हो, दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन
दिल ढूँढता है फिर वही

या गरमियों की रात जो पुरवाईयाँ चलें
या गरमियों की रात जो पुरवाईयाँ चलें
ठंडी सफ़ेद चादरों पे जागें देर तक
ठंडी सफ़ेद चादरों पे जागें देर तक
तारों को देखते रहें छत पर पड़े हुए

दिल ढूँढता है
हो, दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन
दिल ढूँढता है फिर वही

बर्फ़ीली सर्दियों में किसी भी पहाड़ पर
बर्फ़ीली सर्दियों में किसी भी पहाड़ पर
वादी में गूँजती हुई खामोशियाँ सुनें
वादी में गूँजती हुई खामोशियाँ सुनें
आँखों में भीगे भीगे से लम्हे लिये हुए

दिल ढूँढता है
हो, दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन
दिल ढूँढता है फिर वही
..................................................................
Dil dhoondhta hai phir wahi-Mausam 1975

Artists: Sanjeev Kumar, Sharmila Tagore

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Mar 18, 2009

दुनिया में हम आये हैं-मदर इंडिया १९५७

'ग़म जिसने दिये हैं बही ग़म दूर करेगा' की प्रेरणा देता ये
गीत हिम्मत बंधाने वाला गीत है।  नर्गिस के कैरियर में
मील का पत्थर साबित हुई फिल्म मदर इंडिया हिंदी सिनेमा
की एक महान फिल्म है।

तमाम तकलीफों की सहती, झेलती एक औरत के जुझारूपन
की कहानी है ये।  इस सफ़र में उसे बहुत कुछ खोना पढता
है।  इस गीत में भी उसका संगर्ष दिखाया गया है।  बोल
लिखे हैं शकील बदायूनी ने और संगीत है नौशाद का। गीत
को गाया है लता मंगेशकर ने । हल उठाने वाला दृश्य बहुत
चर्चित हुआ और इसको फिल्म के पोस्टर पर देखा जा
सकता है।




गीत के बोल:

दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पड़ेगा

दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पड़ेगा
जीवन है अगर ज़हर तो पीना ही पड़ेगा

दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पड़ेगा
जीवन है अगर ज़हर तो पीना ही पड़ेगा

गिर गिर के मुसीबत में सम्भलते ही रहेंगे
जल जाएं मगर आग पे चलते ही रगेंगे
गिर गिर के मुसीबत में सम्भलते ही रहेंगे
जल जाएं मगर आग पे चलते ही रगेंगे
ग़म जिसने दिये
ग़म जिसने दिये हैं बही ग़म दूर करेगा
ग़म जिसने दिये हैं बही ग़म दूर करेगा

दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पड़ेगा
जीवन है अगर ज़हर तो पीना ही पड़ेगा

औरत है वही औरत जिसे दुनिया की शर्म है
संसार में बस लाज ही नारी का धर्म है
संसार में बस लाज ही नारी का धर्म है
ज़िन्दा है जो
ज़िन्दा है जो इज़्ज़त से वो इज़्ज़त से मरेगा
ज़िन्दा है जो इज़्ज़त से वो इज़्ज़त से मरेगा

दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पड़ेगा
जीवन है अगर ज़हर तो पीना ही पड़ेगा

मालिक है तेरे साथ न डर ग़म से तू ये दिल
मेहनत करे इन्सान तो क्या काम है मुश्किल
जैसा जो करेगा यहाँ वैसा ही भरेगा

दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पड़ेगा
जीवन है अगर ज़हर तो पीना ही पड़ेगा
.................................................................
Duniya mein ham aaye hain to-Mother India 1957

Artist: Nargis

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अपने लिए जिए तो क्या जिए- बादल १९६६

फिल्म बादल एक सन १९६६ की फिल्म है जो कब आई कब गयी
शोध का विषय हो सकता है। ये रेडियो पर कभी कभार बजने वाला
गीत, मगर, किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है। मन्ना डे के गाये
बढ़िया गीत हम इस ब्लॉग में शामिल करते रहेंगे। फिलहाल इस गीत
के प्रेरणादायक बोलों को सुनकर ऊर्जा महसूस कीजिये। गाने की धुन
बनायीं है उषा खन्ना ने। बोल लिखे हैं जावेद अनवर ने। गाने का दर्शन
वही है 'जियो तो दूसरों के लिए' और अपने जीवन को सार्थक बनाओ।
इसे साधु संत समय समय पर अलग अलग तरह से बतलाते सुनाई देते
हैं।




गाने के बोल:

खुदगर्ज़ दुनिया में ये, इनसान की पहचान है
जो पराई आग में जल जाये, वो इनसान है

अपने लिये जिये तो क्या जिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये

बाज़ार से ज़माने के,
कुछ भी न हम खरीदेंगे
बाज़ार से ज़माने के,
कुछ भी न हम खरीदेंगे
हाँ, बेचकर खुशी अपनी
लोगों के ग़म खरीदेंगे

बुझते दिये जलाने के लिये
बुझते दिये जलाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये

अपनी खुदी को जो समझा
उसने खुदा को पहचाना
अपनी खुदी को जो समझा
उसने खुदा को पहचाना
आज़ाद फ़ितरते इनसां
अन्दाज़ क्यों ग़ुलामाना

सर ये नहीं झुकाने के लिये
सर ये नहीं झुकाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये

हिम्मत बुलंद है अपनी
पत्थर सी जान रखते हैं
हिम्मत बुलंद है अपनी
पत्थर सी जान रखते हैं
कदमों तले ज़मीं तो क्या

हम आसमान रखते हैं
गिरते हुओं को उठाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये

चल आफ़ताब लेकर चल
चल महताब लेकर चल
चल आफ़ताब लेकर चल
चल महताब लेकर चल
तू अपनी एक ठोकर में
सौ इन्क़लाब लेकर चल

ज़ुल्म और सितम मिटाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये

नाकामियों से घबरा के
तुम क्यों उदास होते हो
मैं हमसफ़र तुम्हारा हूँ
तुम क्यों उदास होते हो
हँसते रहो, हँसाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये
...................................................................
Apne liye jiye to kya jiye-Badal 1966

Artist: Sanjeev Kumar

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Mar 16, 2009

जगत भर की रौशनी के लिए -हरिश्चंद्र तारामती १९६३

इस पृथ्वी के सबसे बड़े ऊर्जा स्रोत को नमन करता हुआ गीत।
गायक हेमंत कुमार का गाया हुआ ये अमर गीत रचा है
कवि प्रदीप ने और इसकी धुन बनने का काम किया है
संगीतकार द्वय लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने। धार्मिक फ़िल्म
हरिश्चंद्र तारामती के लिए बने इस गीत ने अपना अलग मुकाम
बनाया है।

ये शायद एकमात्र गीत है हेमंत कुमार द्वारा जो संगीतकार
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए गाया गया। इसका विडियो
उपलब्ध नहीं है यू ट्यूब पर, एक स्लाईड शो है ।



गाने के बोल:

जगत भर की रोशनी के लिये
करोड़ों की ज़िंदगी के लिये
सूरज रे जलते रहना
सूरज रे जलते रहना

जगत कल्याण की खातिर तू जन्मा है
तू जग के वास्ते हर दुःख उठा रे
भले ही अंग तेरा भस्म हो जाये
तू जल जल के यहाँ किरणें लुटा रे

लिखा है ये ही तेरे भाग में
कि तेरा जीवन रहे आग में
सूरज रे जलते रहना
सूरज रे जलते रहना

करोड़ों लोग पृथ्वी के भटकते हैं
करोड़ों आँगनों में है अँधेरा
अरे जब तक न हो घर घर में उजियाला
समझ ले अधूरा काम है तेरा

जगत उद्धार में अभी देर है
अभी तो दुनियाँ मैं अन्धेर है
सूरज रे जलते रहना
सूरज रे जलते रहना

जगत भर की रोशनी के लिये
करोड़ों की ज़िंदगी के लिये
सूरज रे जलते रहना
सूरज रे जलते रहना
........................................................................
Suraj re jalte rehna-Harishchandra Taramati 1963

Artist: Prithviraj Kapoor

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Mar 15, 2009

घर आजा घिर आए बदरा-छोटे नवाब १९६१

ये गीत संगीतकार राहुल देव बर्मन का पहला हिन्दी गीत है
जो किसी हिंदी फ़िल्म में आया और सुनाई दिया। इसके बोल लिखे
हैं शैलेन्द्र ने और ये जिस हिरोइन पर फिल्माया गया है उसका
नाम मुझे मालूम नहीं है । इस गीत को मैं कई सालों से सुन रहा हूँ।
गायिका हैं लता मंगेशकर ।

गीत में एक और जनाना चेहरा दिखाई देता है -अमिता का।
अमिता फ़िल्म गूँज उठी शहनाई की हिरोइन हैं जो इस गाने में
आपको दुखी दुखी सी नज़र आएँगी। क्यूँ है ऐसा, ये जानने के लिए
आपको ये गीत देखना पड़ेगा।



गाने के बोल:

घर आजा घिर आये बदरा साँवरिया
घर आजा घिर आये बदरा साँवरिया
मोरा जिया धक धक रे चमके बिजुरिया

घर आजा घिर आये

सूना सूना घर मोहे डसने को आये रे
सूना सूना घर मोहे डसने को आये रे
खिड़की पे बैठे बैठे सारी रैन जाये रे
टप टिप सुनत मैं तो भई रे बाँवरिया

घर आजा घिर आये

कस मस जियरा कसक मोरी दूनी रे
कस मस जियरा कसक मोरी दूनी रे
प्यासी प्यासी अँखियों की गलियां हैं सूनी रे
जाने मोहे, लागी किस बैरन की नजरिया

घर आजा घिर आये बदरा साँवरिया
मोरा जिया धक धक रे चमके बिजुरिया
घर आजा घिर आये
...............................................................
Ghar aa ja ghir aaye badra-Chhote Nawab 1961

Artist:  ????, Mehmood, Anwar Hussain, Amita

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तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम-हवस १९७४

इस फ़िल्म का नाम सुन कर ही अंदाज़ हो जाता है कि यह
कोई वयस्क फ़िल्म होगी ज़रूर। नाम से अंदाजा ये लगता
है कि गीत भी वैसे ही होंगे। इसके शुरूआती बोल भी ऐसे हैं
जैसे कोई बदनाम गलियों में न जाने से तौबा कर रहा हो।
जब तक इस फ़िल्म को नहीं देखा हम भी यही अनुमान लगते
रहे। इस मधुर गीत को अकेले में गुनगुनाते, क्यूँ कि जब
भी कोई नाम पूछता फ़िल्म का तो बताने में झिझक सी
महसूस होती। ये गीत अलबत्ता पूरा याद है और एक दो मौके
पर मित्रों को सुनाया भी है अपनी सुरीली आवाज़ में, जब जब
महफ़िल बर्खास्त करनी होती ।

इस गीत के गीतकार हैं सावन कुमार टाक जिन्हें निर्देशन के
अलावा गीत लिखने का भी शौक रहा है। उनके गीत पर धुन
बनाने की रिस्क अक्सर उनकी जीवन संगिनी उषा खन्ना ने ही
ली है। दोनों की जोड़ी ने कुछ यादगार गीत दिए हैं हिन्दी सिनेमा
जगत को। ये गीत फ़िल्म के आने के साथ ही सुपर हिट गीतों की
कतार में खड़ा हो गया था।

आपको कलाकारों के बारे में जानकारी भी दे दी जाये। एक तो हैं
अनिल धवन और दूसरी हैं नीतू सिंह।





गाने के बोल:

तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम, आज के बाद
तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम, आज के बाद
तेरे मिलने को न आएंगे सनम, आज के बाद

तेरी गलियों में

तू मेरा मिलना
तू मेरा मिलना समझ लेना एक सपना था
तुझको अब मिल ही गया जो तेरा अपना था
तू मेरा मिलना समझ लेना एक सपना था
तुझको अब मिल ही गया जो तेरा अपना था
हम को दुनिया में समझना ना सनम, आज के बाद

तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम, आज के बाद
तेरी गलियों में

घिर के आएंगी
घिर के आएंगी घटाएं फिर से सावन की
तुम तो बाहों में रहोगी अपने साजन की
घिर के आएंगी घटाएं फिर से सावन की
तुम तो बाहों में रहोगी अपने साजन की
गले हम ग़म को लगाएंगे सनम, आज के बाद

तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम, आज के बाद
तेरे मिलने को ना आएंगे सनम, आज के बाद
तेरी गलियों में
.......................................................................
Teri galiyon mein na rakhende kadam-Hawas 1974.

Artist: Anil Dhawan, Neetu Singh,

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Mar 13, 2009

रहें ना रहें हम, महका करेंगे-ममता १९६६

इस गीत का बहुत बार जिक्र हो चुका है तमाम पत्रिकाओं, फोरम और
ग्रुप में। एक बार फिर वही घिसा पिटा राग गा लिया जाए। इस गीत
की धुन, जैसा कि सयाने संगीत प्रेमी बताते हैं, एस डी बर्मन के १९५१
की फ़िल्म 'नौजवान' के गीत-ठंडी हवाएं से मिलती है. दोनों ही गीत
आला दर्जे के शायरों ने लिखे हैं इसलिए सब चलेगा। धुनें भी दो
बढ़िया संगीतकारों ने बनाई हैं। दोनों ही गीत लता मंगेशकर ने गाये
हैं और दोनों ही उनके बेहद लोकप्रिय गीत हैं।

ममता फ़िल्म का ये गीत परदे पर गा रही हैं -सुचित्रा सेन साथ में
अशोक कुमार टहलते नज़र आ रहे हैं। इस फ़िल्म के लिए गीतकार
मजरूह सुल्तानपुरी ने परिपक्व किस्म के गीत लिखे हैं जिन्हें
समझने के लिए आपको साहित्य की अच्छी पकड़ की आवश्यकता
है। धुनें मधुर हैं अतः इनको सरसरी तौर पर भी सुना जा सकता है।
गूढ़ अर्थ पाने के लिए आपको एक डुबकी लगा के थाह लेनी पड़ेगी।





गाने के बोल:

रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा,
बाग़े वफ़ा में

रहें ना रहें हम

मौसम कोई हो, इस चमन में
रंग बन के रहेंगे हम खिरामा
चाहत की खुशबू, यूँ ही ज़ुल्फ़ों
से उड़ेगी, खिज़ायों या बहारां
यूँ ही झूमते, यूँ हीँ झूमते और
खिलते रहेंगे, बन के कली, बन के सबा
बाग़ें वफ़ा में

रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा,
बाग़े वफ़ा में

जब हम न होंगे तब हमारी
खाक पे तुम रुकोगे चलते चलते
अश्कों से भीगी, चांदनी में
इक सदा सी सुनोगे, चलते चलते
वहीं पे कहीं, वहीं पे कहीं हम
तुमसे मिलेंगे, बन के कली बन के सबा
बाग़े वफ़ा में

रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा,
बाग़े वफ़ा में
.............................................................
Rahen na rahen hum-Mamta 1966

Artist:  Suchitra Sen, 

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Mar 12, 2009

दिल ढूंढता है सहारे सहारे -काला आदमी १९६०

अशोक कुमार की कुछ फिल्मों के बारे में कोई भी जानकारी
नहीं प्राप्त होती, ये भी ऐसी ही एक फ़िल्म है। फ़िल्म का नाम
है काला आदमी । ये गीत काफ़ी बजा है रेडियो पर। मुकेश के
बेहतर गीतों में गिन सकते हैं आप इसको। हसरत जयपुरी के
बोलों को धुन में बाँधा है दत्ताराम ने। ये एक बढ़िया दर्द भरा गीत
है ।

फ़िल्म में अशोक कुमार ने काला आदमी की भूमिका निभाई है
और इस विडियो में वे कुछ काला चश्मा पहने थोड़े काले भी
नज़र आ रहे हैं। फ़िल्म दुर्लभ है, अगर आपको देखने को मिल
जाए तो अपने आप को खुशकिस्मत समझिये।




गीत के बोल:

दिल ढूंढता है सहारे सहारे
दिल ढूंढता है सहारे सहारे
लुटे दिल के अरमान बुझे नैन तारे

दिल ढूंढता है सहारे सहारे

ये क्या दौर आया लो बदली बहारें
हुए गैर वो भी किसे हम पुकारें
ये क्या दौर आया लो बदली बहारें
हुए गैर वो भी किसे हम पुकारें
जो कहे थे हमसे के हम हैं तुम्हारे

दिल ढूंढता है सहारे सहारे

वफ़ा इस जहाँ में कहीं भी न पाई
हुयी दूर मंजिल घटा ग़म की छाई
वफ़ा इस जहाँ में कहीं भी न पाई
हुयी दूर मंजिल घटा ग़म की छाई
हैं काजल से काले अज़ब दिन हमारे

दिल ढूंढता है सहारे सहारे

बनी मेरे दिल पर ये तस्वीर तेरी
तुझे फिर न पाया ये तकदीर मेरी
बनी मेरे दिल पर ये तस्वीर तेरी
तुझे फिर न पाया ये तकदीर मेरी
नहीं कोई अपना रहे बेसहारे

दिल ढूंढता है सहारे सहारे
लुटे दिल के अरमान बुझे नैन तारे
दिल ढूंढता है सहारे सहारे
.......................................................................
Dil dhoondhta hai sahare sahare-Kaala Aadmi 1960

Artist: Ashok Kumar

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माना जनाब ने पुकारा नहीं-पेइंग गेस्ट १९५७

साईकिल पर आशिकी फरमाते आपने श्वेत श्याम के युग के
नायकों को देखा होगा। फिल्म में नायक एक फटीचर सा वकील
है जो नायिका के यहाँ बतौर पेईंग गेस्ट रह रहा है और किराया देने
में भी असमर्थ है। उसकी एक अहम् उपलब्धि है नायिका से इश्क
फरमाना।

शेरवानी पहने हुए नायक नवाबी दौर के मजनू सा नायिका के
इर्द गिर्द मंडराते हुए एक मधुर गीत गा रहा है । गाना रोचक है और
बार बार देखने योग्य है। कलाकार हैं नूतन और देव आनंद। मजरूह
के लिखे, एस डी बर्मन के संगीतबद्ध किये बोलों को गा रहे हैं किशोर
कुमार।




गाने के बोल:

माना जनाब ने पुकारा नहीं
क्या मेरा साथ भी गवारा नहीं
मुफ़्त में बन के, चल दिये तनके,
वल्ला जवाब तुम्हारा नहीं

माना जनाब ने पुकारा नहीं
क्या मेरा साथ भी गवारा नहीं
मुफ़्त में बन के, चल दिये तनके,
वल्ला जवाब तुम्हारा नहीं


माना जनाब ने पुकारा नहीं

यारों का चलन है गुलामी
देतें हैं हसीनों को सलामी
यारों का चलन है गुलामी
देतें हैं हसीनों को सलामी
गुस्सा ना कीजिये जाने भी दीजिये
बन्दगी तो बन्दगी तो लीजिये साहब

माना जनाब ने पुकारा नहीं

टूटा फूटा दिल ये हमारा,
जैसा भी है अब है तुम्हारा
टूटा फूटा दिल ये हमारा,
जैसा भी है अब है तुम्हारा
इधर देखिये, नज़र फेरिये
दिल्लगी ना दिल्लगी ना कीजिये साहब

माना जनाब ने पुकारा नहीं

माशा अल्ला कहना तो माना
बन गया बिगड़ा ज़माना
माशा अल्ला कहना तो माना
बन गया बिगड़ा ज़माना
तुमको हँसा दिया, प्यार सिखा दिया
तुमको हँसा दिया, प्यार सिखा दिया
शुक्रिया तो शुक्रिया तो कीजिये साहब

माना जनाब ने पुकारा नहीं,
क्या मेरा साथ भी गवारा नहीं
मुफ़्त में बन के, चल दिये तनके,
वल्ला जवाब तुम्हारा नहीं हाय
वल्ला जवाब तुम्हारा नहीं हाय
वल्ला जवाब तुम्हारा नहीं हाय
............................................................
Mana janaab ne pukar nahin-Paying Guest 1957

Artists: Dev Anand, Nutan

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ले तो आए हो हमें-दुल्हन वही जो पिया मन भाये १९७७

राजश्री प्रोडकशंस और ताराचंद बडजात्या साफ़ सुथरी पारिवारिक
फिल्मों के पर्याय हैं। उनकी कई सफल फ़िल्में दर्शकों को ७० के दशक
में देखने को मिलीं। उनमे से एक थी नए चेहरों को लाकर बनाई गई
"दुल्हन वही जो पिया मन भाये"। इसमे रामेश्वरी और प्रेम किशन
(प्रेम किशन प्रसिद्ध अभिनेता प्रेमनाथ के सुपुत्र हैं) मुख्य कलाकार थे।

अपने दादा के लिए एक लड़की को बहू बना के ले आता है आधुनिक
परिवेश में ढला पोता। एक घरेलू लड़की जल्दी ही सबका मन मोह लेती
है और इस गीत में वो कल्पनाओं में खो गई है। ये गीत बहुत बजा और
आज भी अपनी ताजगी का एहसास कराता है। इसके बोल और धुन दोनों
रवीन्द्र जैन की है, गायक स्वर हेमलता का है।



गीत के बोल:

ले तो आए हो हमें सपनो के गाँव में
ले तो आए हो हमें सपनो के गाँव में
प्यार की छाओं में बिठाये रखना
सजना ओ सजना
सजना ओ सजना

तुमने छुआ तो तार बज उठे मन के
तुम जैसा चाहो रहें वैसे ही बन के
तुम से शुरू, तुम्ही पे कहानी ख़तम करें
तुम से शुरू, तुम्ही पे कहानी ख़तम करें
दूजा न आए कोई नैनों के गाँव में

ले तो आए हो हमें सपनो के गाँव में
प्यार की छाओं में बिठाये रखना
सजना ओ सजना
सजना ओ सजना

छोटा सा घर हो अपना, प्यारा सा जग हो
कोई किसी से पल भर न अलग हो
इसके सिवा अब दूजी कोई चाह नही
इसके सिवा अब दूजी कोई चाह नही
हँसते रहें हम दोनों फूलों के गाँव में

ले तो आए हो हमें सपनो के गाँव में
प्यार की छाओं में बिठाये रखना
सजना ओ सजना
सजना ओ सजना
...............................................................
Le to aaye ho hamen-Dulhan wahi jo piya man bhaye  1977

Artist: Rameshwari

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मैं बन का पंछी-अछूत कन्या १९३६

सन १९३६ में आई थी फ़िल्म-अछूत कन्या । अशोक कुमार और
देविका रानी की मुख्या भूमिकाओं वाली इस फ़िल्म में एक बहुत
लोकप्रिय गीत है-मैं बन का पंछी । इस गीत को स्वयं देविका रानी
और अशोक कुमार ने गाया है। संगीत है सरस्वती देवी का और
इसके बोल जे एस कश्यप के लिखे हुए हैं। पुराने गीतों के प्रेमियों ने
ये ज़रूर सुना होगा।

इसको ज्यादा प्रसिद्धि दूरदर्शन के कार्यक्रमों ने दिलाई जिसमे इस गाने
के अंश समय समय पर दिखाए जाते रहे। एक बार ये फ़िल्म दूरदर्शन
द्वारा दिखाई भी गई और बस वही एक मौका था जब मैंने भी इस फ़िल्म
को देखा।

सरस्वती देवी उर्फ़ "खुर्शीद मंचेर्षर मिनोचर होमजी " की ये बतौर संगीत
निर्देशक दूसरी फ़िल्म थी। उनकी पहली फ़िल्म थी-"जवानी की हवा" जो
सन १९३५ में आई थी। इस गीत का एक रिकॉर्ड ज़ारी हुआ जिसमे कोई
गीत नहीं था, केवल फ़िल्म का संगीत था। इस फ़िल्म में भी देविका रानी
नायिका की भूमिका में थीं। अतः, अछूत कन्या के गीतों के माध्यम से ही
उनको प्रसिद्धि मिली




गाने के बोल:

मैं बन की चिड़िया बन के बन बन बोलूं रे
मैं बन का पन्छी बन के संग संग डोलूं रे
मैं बन की चिड़िया बन के बन बन बोलूं रे
मैं बन का पन्छी बन के संग संग डोलूं रे

मैं डाल डाल उड़ जाऊँ
नहीं पकड़ाई मैं आऊँ
मैं डाल डाल उड़ जाऊँ
नहीं पकड़ाई मैं आऊँ
तुम डाल डाल मैं पात पात
बिन पकड़े कभी न छोड़ूँ
संग संग डोलूं रे
तुम डाल डाल मैं पात पात
बिन पकड़े कभी न छोड़ूँ
संग संग डोलूं रे
बन बन बोलूं रे

मैं बन की चिड़िया बन के बन बन बोलूं रे
मैं बन का पन्छी बन के संग संग डोलूं रे
मैं बन की चिड़िया बन के बन बन बोलूं रे
संग संग डोलूं रे
.......................................................................
Main ban ka panchhi-Acchut Kanya 1936

Artists: Ashok Kumar, Devika Rani

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Mar 10, 2009

दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ -औरत १९५३

सन १९५३ से एक शंकर जयकिशन के संगीत खजाने से
निकला गीत। ये लता मंगेशकर की आवाज़ में है। फ़िल्म
औरत में सभी गीत लता की आवाज़ में है। 'वन मेन शो'।
सारे गीत लाजवाब हैं। इसको कहते हैं शुद्ध एल्बम। इसमें
कोई मिलावट नहीं।

गीत लिखा है गीतकार शैलेन्द्र ने। इस गीत में नायिका
गदगद है और अपनी खुशी गीत के माध्यम से प्रकट कर
रही है। अभिनेत्री का नाम बीना राय है ।



गीत के बोल:

दर्द-ऐ-उल्फत
हाय, दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ
दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ
दिल की दुनिया बसाऊँ कहाँ
दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ

दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ
दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ

चुपके से वो मेरे दिल में समाये
चुपके से वो मेरे दिल में समाये
उन्हें लेके जाऊं कहाँ
उन्हें लेके जाऊं कहाँ
उन्हें लेके जाऊं कहाँ

दर्द-ऐ-उल्फत
हाय, दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ
दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ
दिल की दुनिया बसाऊँ कहाँ
दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ

चाहत है नाज़ुक ज़ालिम है ज़माना
चाहत है नाज़ुक ज़ालिम है ज़माना
मैं बच के भी जाऊं कहाँ
मैं बच के भी जाऊं कहाँ
मैं बच के भी जाऊं कहाँ

दर्द-ऐ-उल्फत
हाय, दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ
दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ
दिल की दुनिया बसाऊँ कहाँ
दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ

उन्हें देख शरमा के पूछा नज़र ने
उन्हें देख शरमा के पूछा नज़र ने
वो आए बिठाऊँ कहाँ
वो आए बिठाऊँ कहाँ
वो आए बिठाऊँ कहाँ

दर्द-ऐ-उल्फत
हाय, दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ
दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ
दिल की दुनिया बसाऊँ कहाँ
दर्द-ऐ-उल्फत छुपाऊँ कहाँ
..................................................
Dard-e-ulfat chhupaoon kahan-Aurat 1953

Artist: Bina Rai

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इस बेवफा जहाँ में-आसमान १९५२

सी एच आत्मा का एक गीत फ़िल्म आसमान से जो सन १९५२ की
फ़िल्म है। फ़िल्म में गीत लिखे हैं प्रेम धवन ने और संगीत है
ओ पी नय्यर का। नए नए शब्द आकर्षित करते हैं। इस गीत में
भी एक ऐसा शब्द है-'अगरचे' जिसका हिन्दी अर्थ है-ये ।
ये मेरा पसंदीदा गीत है , आशा है आपको भी पसंद आयेगा।



गीत के बोल:

इस बेवफा जहाँ में वफ़ा ढूंढते रहे
इस बेवफा जहाँ में वफ़ा ढूंढते रहे
इस बेवफा जहाँ में वफ़ा ढूंढते रहे

नादान थे हम भी ये क्या ढूंढते रहे

इस बेवफा जहाँ में

हर रात का अगरचे रास्ता न था
हर रात का अगरचे रास्ता न था
हर रस्ते में तेरा पता ढूंढते रहे
हर रस्ते में तेरा पता ढूंढते रहे
नादान थे हम भी ये क्या ढूंढते रहे

इस बेवफा जहाँ में

इक दिल का दर्द था कि रहा ज़िन्दगी के साथ
इक दिल का दर्द था कि रहा ज़िन्दगी के साथ
इक दिल का चैन था कि सदा ढूंढते रहे
इक दिल का चैन था कि सदा ढूंढते रहे
नादान थे हम भी ये क्या ढूंढते रहे
..............................................................
Is bewafa jahan mein-Aasman 1952

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बार बार देखो हज़ार बार देखो-चाइना टाऊन १९६२

एल्विस प्रेस्ली को मूंछे लगा दीजिये और थोड़ी उनकी सेहत बढ़वा
दीजिये । एक हिंदी गाना पकड़ाईए और बन गया फिल्म चाइना टाउन
का गीत। शम्मी कपूर और शकीला पर फिल्माया गया ये गीत एक
चर्चित गीत है। डोली और टौमी नाम तो सुने थे, टाली नाम नया सा है।

गिटार बजाओ तो ऐसा बजाओ कि गलती से भी आवाज़ ना आ जाए।
हीरो के गिटार से आवाज़ तीसरे अंतरे के शुरू होने के पहले आना शुरू
होती है। इस मामले में फिल्म निर्देशक कब सुधरेंगे?


.........

गाने के बोल:

बार बार देखो, हज़ार बार देखो
के देखने की चीज़ है, हमारा दिलरुबा,
टाली हो, टाली हो, टाली हो

हाँ जी हाँ, और भी होंगे दिलदार यहाँ
लाखों दिलों की बहार यहाँ
पर ये बात कहाँ, हाय
हाँ जी हाँ, और भी होंगे दिलदार यहाँ
लाखों दिलों की बहार यहाँ
पर ये बात कहाँ
ये बेमिसाल हुस्न, लाजवाब ये अदा,
टाली हो, टाली हो, टाली हो

बार बार देखो, हज़ार बार देखो
के देखने की चीज़ है, हमारा दिलरुबा,
टाली हो, टाली हो, टाली हो

दिल मिला, एक जान-ए-महफ़िल मिला
या चिराग़-ए-मंज़िल मिला
ये न पूछो के कहाँ
दिल मिला, एक जान-ए-महफ़िल मिला
या चिराग़-ए-मंज़िल मिला
ये न पूछो के कहाँ
नया नया ये आशिक़ी का राज़ है मेरा,
टाली हो, टाली हो, टाली हो

बार बार देखो, हज़ार बार देखो
के देखने की चीज़ है, हमारा दिलरुबा,
टाली हो, टाली हो, टाली हो

बल्ले बल्ले, उठ के मिस्टर क्यों चले
प्यार पे मेरे कहो क्यों जले
बैठ भी जाओ मेहरबाँ
बल्ले बल्ले, उठ के मिस्टर क्यों चले
प्यार पे मेरे कहो क्यों जले
बैठ भी जाओ मेहरबाँ
दुआ करो मिले तुम्हें भी ऐसा दिलरुबा,
टाली हो, टाली हो, टाली हो

बार बार देखो, हज़ार बार देखो
के देखने की चीज़ है, हमारा दिलरुबा,
टाली हो, टाली हो, टाली हो
टाली हो, टाली हो, टाली हो
........................................................
Baar baar dekho-China Town 1962

Artists: Shammi Kapoor, Shakila

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Mar 9, 2009

जब दर्द नहीं था-अनुरोध १९७७

गाने की सिचुएशन ऐसी है- हीरो का मित्र अस्पताल में भर्ती
है, किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होकर। उसका ऑपरेशन होने
वाला है और उसी समय हीरो का स्टेज शो है। इस वजह से हीरो
दर्द भरा गीत गा रहा है ।

गीत लिखा है आनंद बक्षी ने और धुन बनाई है लक्ष्मी प्यारे ने।
हीरो हैं राजेश खन्ना और उनके मित्र की भूमिका में नायक हैं 
विनोद मेहरा । गाना अनुरोध फ़िल्म का है जो १९७७ में आई
थी।
गीत की लोकप्रियता के बारे में थोड़ी चर्चा की जाए. ये गीत फिल्म
रिलीज़ के वक्त बहुत ही कम सुना गया. इसे किशोर भक्त ज्यादा
सुना करते हैं. कम प्रचलित गीत है मगर इसके बोल बढ़िया हैं.
धुन थोड़ी बेहतर बनाई जाती तो ये लोकप्रिय होता. कभी कभी
फिल्म के सारे गानों के साथ न्याय कर पाना संगीतकार के बस
में नहीं होता है.



गाने के बोल:

न हँसना मेरे गम पे इन्साफ करना
जो मैं रो पडूं तो मुझे माफ़ करना

जब दर्द नहीं था सीने में
क्या ख़ाक मज़ा था जीने में
अब के शायद हम भी रोएँ ,सावन के महीने में

जब दर्द नहीं था सीने में .........

यारों का गम क्या होता है
मालूम न था अनजानों को
साहिल पे खड़े होकर अक्सर
देखा हमने तूफानों को
अब के शायद हम भी डूबें
मौजों के सफीने में

जब दर्द नहीं था सीने में
क्या ख़ाक मज़ा था जीने में

ऐसे तो ठेस न लगती थी
जब अपने रूठा करते थे
इतना तो दर्द न होता था
जब सपने टूटा करते थे
अब के शायद दिल भी टूटे
अब के शायद हम भी रोएँ सावन के महीने में

जब दर्द नहीं था सीने में
क्या ख़ाक मज़ा था जीने में

इस कदर प्यार तो कोई करता नहीं
मरने वालों के साथ कोई मरता नहीं
आपके सामने मैं न फिर आऊंगा
गीत ही जब न होंगे तो क्या गाऊँगा
मेरी आवाज़ प्यारी है तो दोस्तों
यार बच जाए मेरा, दुआ सब करो
दुआ सब करो
...................................................
Jab dard nahin tha-Anurodh 1977

Artists: Rajesh Khanna, Vinod Mehra

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Mar 7, 2009

बड़े हैं दिल के काले-दिल देके देखो १९५९





देल दे के देखो तो पता चलेगा ना। इस फिल्म का एक गीत

सुनते हैं. गीत में शम्मी कपूर की नीली आँखों का भी जिक्र
है। अभिनेत्री के शरीर के अलावा हर एक चीज़ हिल रही है
इस गाने में। एक कर्णप्रिय गीत है, इसलिए ज्यादा विवरण के
बिना इसका आनंद उठा लीजिये। बोल मजरूह सुल्तानपुरी
के हैं और संगीत उषा खन्ना का।

फिल्म जगत में कई अभिनेत्रियां हुई हैं जो सर से ले के पांव
तक सुंदरता की मूरत हैं मगर कभी कभी सुंदरता किसी जगह
विशेष पर ज्यादा चिपक जाया करती है।




गाने के बोल:

बड़े हैं दिल के काले
हाँ यही नीली सी आँखों वाले

सूरत बुरी हो
बुरा नहीं दिल मेरा
ना हो यक़ीन आज़मा ले
मेरी जान वाह वाह वाह
मेरी जान वाह वाह वाह
मेरी जान वाह वाह वाह
मेरी जान वाह वाह वाह वाह वाह


जैसे भले हो सब है खबर
शेर-ओ-शरारत की ये नज़र
आँखों में आँखें डाल के हम
हो गये अब तो जाने जिगर

हाँ यहीं तो थे अभी आप किधर गये
समझो हमें हम जान से गुज़र गये
जीतेजी मर गये, वाह जी वाह
मरना मेरी ज़िंदगी है दीवाना हूँ प्यार का
तुम भी एक दिन आज़माँ के देखो तो ज़रा

बड़े हैं दिल के काले
हाँ यही नीली सी आँखों वाले

सूरत बुरी हो
बुरा नहीं दिल मेरा
ना हो यक़ीन आज़मा ले
मेरी जान वाह वाह वाह
मेरी जान वाह वाह वाह
मेरी जान वाह वाह वाह
मेरी जान वाह वाह वाह वाह वाह

रोक भी लो अब अपनी ज़ुबान
वरना क़यामत होगी यहाँ
हम भी क़यामत से नहीं कम
जाओगे बचके दूर कहाँ

हाँ हमको बड़े बड़े ढूँढ के हारे
ढूँढ ही लाएंगे दिल के सहारे
आप किसी के भी हैं, वाह जी वाह
खुल जायेगा हाल तुम पे दिल-ए-बेक़रार का
नैनो से नैन मिलाके देखो तो ज़रा

बड़े हैं दिल के काले
हाँ यही नीली सी आँखों वाले

सूरत बुरी हो
बुरा नहीं दिल मेरा
ना हो यक़ीन आज़मा ले
मेरी जान वाह वाह वाह
मेरी जान वाह वाह वाह
मेरी जान वाह वाह वाह
मेरी जान वाह वाह वाह वाह वाह
..............................................................
Bade hain dil ke kaale-Dil deke dekho 1959

Artists: Shammi Kapoor, Asha Parekh

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दाल कैसे गले-बाप रे बाप १९५५

दृश्य कुछ यूँ है। नायक से शादी के लिए बहुत सी लड़कियां और
उनके परिवारवाले नायक के घर में इकठ्ठा हो जाते हैं। उसके बाद शुरू
होता है घमासान । गाना उसी दृश्य के बाद गाया जा रहा है। सबसे
पहले इस फ़िल्म का संगीत तैयार कर रहे थे सी रामचंद्र । उन्होंने २
गीत भी इस फ़िल्म के लिए बनाये।

कुछ साल पहले तक आम जनता को यही मालूम था की ये गीत
ओ पी नय्यर ने तैयार किया है। असलियत में इसकी धुन बनाई है
सी रामचंद्र ने, जिसका खुलासा स्वयं नय्यर ने एक साक्षात्कार के
दौरान किया था। हिन्दी फ़िल्म संगीत में आपको कई ऐसे उदाहरण
मिल जायेंगे जिनमे दो या अधिक संगीतकारों की धुनें एक ही फ़िल्म
में मौजूद हों । ये गीत लिखा है जान निसार अख्तर ने। इस गीत के
बोल आप समझ पायें तो अपने आप को खुशकिस्मत समझिये :P


गीत के बोल:

फूट आपस में पड़ी और हम कुंवारे रह गए
सब बाराती चल दिए दूल्हा बेचारे रह गए

धीम पटा पट धिन्ग्री प् को ,धीम पटा पट धींग

दाल कैसे गले जबके जूता चले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
दाल कैसे गले जबके जूता चले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले

हो डे डीरी डीरी डीरी डीरी डेई , डूरु डूरु डूरु डेई टी
.............................

..............................

दाल कैसे गले जबके जूते चले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले

हर जगह से नमूने मंगाए गए
साथ घोड़े गधे सब बुलाये गए
हर जगह से नमूने मंगाए गए
साथ ई हीं ई हीं ई हीं ...........

ऐसी शक्लें जिन्हें देख कर दिल जले
ऐसी शक्लें जिन्हें देख कर दिल जले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले

धींगामुश्ती हुयी खूब झगडे हुए
आधे लूले हुए आधे लंगड़े हुए

धूम धड़क्का ...............

ऐसे घूंसे लगे ऐसे डंडे पड़े
सारे अरमान शादी के ठंडे पड़े
ऐसे घूंसे लगे ऐसे डंडे पड़े
ऐसे घूंसे लगे ऐसे डंडे पड़े
घूंसे डंडे धे घूंसे डंडे धे
घूंसे डंडे धे

बाप दौलत लुटा हाथ बैठा मले
वडी, दौलत लुटा हाथ बैठा मले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
दाल कैसे गले जबके जूते चले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले

................................................
...............................................
.................................................
Daal kaise gale-Baap re baap 1955

Artists: Kishore Kumar, Jayant

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Mar 6, 2009

उत्तेजना और आकर्षण का सम्मिश्रण : बीडी जलाइले २००७

गाने एक ज़माने में किसी खास क्षण या लम्हों में सुने जाते थे. कुछ
अपवादों को छोड़ के जिसमे शादी वाले, डांस नंबर या फिर भक्ति
संगीत का लेबल होता था. ज़माने की रफ्तार के साथ साथ बॉलीवुड
का परिद्रश्य भी बदल रहा है. अब ज़माना युवाओं का है जिन्हें

"बीडी जलाइले" जैसे तेज और आकर्षक गीतों को पसंद करते हैं. ऐसे
गीत गगनभेदी स्वरों में आपको रेस्तरां , रेडियो और म्यूजिक चैनल्स
पर बजते हुए मिल जायेंगे.



आइटम शब्द का हिंदी अनुवाद है- चीज़, मद, विषय
आपको जो उपयुक्त लगे उसे धारण कर लें. बीडी जलाइले
को एक आइटम सॉन्ग कहा जाता है . गुलज़ार ने लीक से
हटकर बहुत से साहित्यिक काम किये हैं.
ये कार्य उनमे से एक है.

"न गिलाफ, न लिहाफ
ठंडी हवा के खिलाफ ससुरी
ओ इतनी सर्दी है किसी का लिहाफ लैइले
ओ जा पडोसी के चूल्हे से आग लैइले

बीडी जलाइले जिगर से पिया
जिगर मा बड़ी आग है "



ओमकारा फिल्म William Shakespeare के ड्रामे
"ओथेल्लो" से प्रेरित है. विशाल भारद्वाज ने इस गाने को
संगीत बद्ध किया है . ये वही विशाल हैं जिन्होंने गुलज़ार
की फिल्म माचिस में भी संगीत दिया था. गाने में स्वर हैं
सुनिधि चौहान, सुखविंदर सिंह, नचिकेता चक्रवर्ती
और क्लिंटन सरेजो की. गाने में आत्मा डालने का जिम्मा
सुनिधि और सुखविंदर को दिया गया है. मस्त फिल्म के गीतों
के लम्बे अंतराल के बाद सुनिधि चौहान का एक बड़ा हिट गीत
श्रोताओं को सुनने को मिला है .


बिल्लो नाम का एक किरदार है फिल्म में जिसको बिपाशा बासु
ने निभाया है. उसी किरदार पे ये गाना फिल्माया गया है. बिपाशा का
अपना एक आकर्षण है जिसका बखूबी इस्तेमाल समय समय पर
सभी फिल्मकार करते रहे हैं. उत्तेजक और सम्मोहक अदाओं ने
इस गाने को प्रभावी बनाने में कोई कसार नहीं छोड़ी है.

एक नाम जिसको सामान्यतया फ़िल्मी पत्रकार छोड़ दिया करते हैं वो
है इस गाने के नृत्य निर्देशक का या कोरेओग्रफेर का वो हैं
गणेश आचार्य. इस पूरी भीड़ में उनका नाम कहीं खो गया सा लगता है.
जी सिने अवार्ड्स ने उनको सम्मानित किया है इस गाने के लिए.

 


आइटम सॉन्ग की आवश्यकता बहुत से कारकों पर निर्भर है.
आज के समय में बाजार की मांग सबसे बड़ा कारण है. जैसा की
आम दर्शक समझता है ये फिल्म में जबरदस्ती ठूँसा हुआ
एक अवयव होता है . आप लोगों को याद हो एक फिल्म आई थी
चाइना गेट. बड़े बड़े सितारों से सुसज्जित फिल्म. फिल्म से सम्बंधित
केवल एक ही चीज़ दर्शक याद रख पाया तो वो उसका आइटम सॉन्ग
"छम्मा छम्मा " ये गाना उर्मिला मातोंडकर पर फिल्माया गया था.
तो हम ये मान लेते हैं, इतिहास में स्थान दिलाने को, या फिर दर्शकों
की सीटियों की आवाज़ सुनने को, या फिर चिल्लर बटोरने के लिए
इसका समावेश फिल्म में किया जाता है.


कुछ भी हो ये गाना ९० के दशक की फिल्मों में आये खटिया पटिया
श्रेणी के गीतों से अलग है. आश्चर्य की बात है की इस गीत को
आभिजात्य वर्ग की सराहना भी मिली है. ये ही शायद बदलते
समय और मांग की पहचान है.

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Mar 5, 2009

मुझे तुम याद करना और -मशाल १९८४

लता मंगेशकर के भ्राता हृदयनाथ मंगेशकर ने भी कई हिन्दी फिल्मों
में संगीत दिया है । लता के अनुसार वे समय से आगे के संगीतकार
हैं । उनकी धुन समय से आगे की प्रतीत होती हैं । कई कर्णप्रिय धुनों
के रचयिता हृदयनाथ ने समय समय पर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी
है हिन्दी फिल्मों में।

ये गीत फ़िल्म मशाल से है जो अनिल कपूर और रति अग्निहोत्री पर
फिल्माया गया है । गायक स्वर हैं लता और किशोर के। बोल लिखे
हैं जावेद अख्तर ने।



गाने के बोल:

मुझे तुम याद करना और मुझको याद आना तुम
मुझे तुम याद करना और मुझको याद आना तुम
मैं एक दिन लौट आऊंगा
मैं एक दिन लौट आऊंगा
ये मत भूल जाना तुम

मुझे तुम याद करना और मुझको याद आना तुम

अकेली होगी तुम देखो कहीं ऐसा ना हो जाए
अकेली होगी तुम देखो कहीं ऐसा ना हो जाए

जो अब होठों पे है मुस्कान वो मुस्कान खो जाए
जो अब होठों पे है मुस्कान वो मुस्कान खो जाए

ज़रा लोगों से मिलना तुम, ज़रा हंसना हंसाना तुम
ज़रा लोगों से मिलना तुम, ज़रा हंसना हंसाना तुम

मगर तुम लौटे के आओगे, ये मत भूल जाना तुम

मुझे तुम याद करना और मुझको याद आना तुम
मुझे तुम याद करना और मुझको याद आना तुम

अगर लड़की मिले कोई तुम्हें जो खूबसूरत हो
अगर लड़की मिले कोई तुम्हें जो खूबसूरत हो

तुम्हारी दोस्ती की शायद उसको भी ज़रूरत हो
तुम्हारी दोस्ती की शायद उसको भी ज़रूरत हो

अगर वो पास आये, मुस्कुराए, मुस्कुराना तुम
अगर वो पास आये, मुस्कुराए, मुस्कुराना तुम

मगर तुम लौट के आओगे ये मत भूल जाना तुम

मुझे तुम याद करना और मुझको याद आना तुम
मैं एक दिन लौट आऊँगा ये मत भूल जाना तुम
...........................................................................
Mujhe tum yaad karna-Mashal 1984

Artists: Anil Kapoor, Rati Agnihotri

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Mar 3, 2009

सारा मेरा कजरा छुड़ाया तूने-दो दिल १९६४

ये गीत ४५ साल पुराना है। विश्वास ही नहीं होता कभी कि ये गीत
इतने पुराने हैं। आज भी सुनो तो वैसे ही लगते हैं जैसे नए हों। ये
गीत आरती मुखर्जी और रफ़ी का गाया हुआ युगल गीत है। परदे
पर इसे राजश्री और विश्वजीत पर फिल्माया गया है। बोल लिखे हैं
कैफी आज़मी और संगीत तैयार किया है हेमंत कुमार ने । इस
फ़िल्म का निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था।



गीत के बोल:

सारा मेरा कजरा छुड़ाया तूने
गरवा से कैसे लगाया तूने
सारा मेरा कजरा छुड़ाया तूने
गरवा से कैसे लगाया तूने
ओ रसिया, मन बसिया

तीखा तीखा कजरा लगाया तूने
काहे को जगाया जादू तूने
ओ सजनी सुख रजनी

सारा मेरा कजरा छुड़ाया तूने
गरवा से कैसे लगाया तूने

ओ रसिया मन बसिया
तूने प्यास जगा दी
नई आग लगा दी
मेरा अंग अंग जला जाए

ओ सजनी सुख रजनी
ज़रा नैन मिला ले
लगी दिल की बुझा ले
तेरे संग संग कोई आए
तेरा रूप सहा नहीं जाए

सारा मेरा कजरा छुड़ाया तूने
गरवा से कैसे लगाया तूने

कहे सारा ज़माना
मुझे तेरा दीवाना
सदा हार हार तुझे चाहूं

मेरी प्रीत पुरानी
हुयी तेरी दीवानी
पिया बार बार तुझे चाहूं

तेरे अंग....?? का मुझे आए

तीखा तीखा कजरा लगाया तूने

ओ रसिया मन बसिया
मेरे नैन नशीले
मेरे होंठ रसीले
जिया झूम झूम मेरा गाये

ओ सजनी सुख रजनी
ये फिजा भी शराबी
ये हवा भी शराबी

तुझे चूम चूम इधर आए
मुझे दूर कहीं लिए जाए

सारा मेरा कजरा छुड़ाया तूने
गरवा से कैसे लगाया तूने

ओ, तीखा तीखा कजरा लगाया तूने
काहे को जगाया जादू तूने
ओ सजनी सुख रजनी
ओ रसिया, मन बसिया
ओ सजनी सुख रजनी
ओ रसिया, मन बसिया
.......................................................................
Saara mera kajra-Do  Dil 1964

Artists: Biswajeet, Rajshri

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Mar 2, 2009

ये रात भीगी भीगी -चोरी चोरी १९५६

टिर्र टुर्र वाले गीत के बाद इसी फ़िल्म का एक और गीत पेश है।
सर्वाधिक कर्णप्रिय युगल नगमों में से एक जिसे मन्ना डे और
लता मंगेशकर ने गाया है। इस गीत में भी परदे पर राज कपूर
और नर्गिस की जोड़ी है ।

रात का माहौल है गीत में और ये गीत रात में ही सुनने में ज्यादा
मज़ा देता है । फिल्म चोरी चोरी के लता-मन्ना के गाये युगल
गीत काफी लोकप्रिय हैं आज भी ।




गीत के बोल:
ये रात भीगी भीगी, ये मस्त फिजायें
उठा धीरे धीरे, वो चाँद प्यारा प्यारा

ये रात भीगी भीगी, ये मस्त फिजायें
उठा धीरे धीरे, वो चाँद प्यारा प्यारा

क्यूँ आग सी लगा के गुमसुम है चांदनी
सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा

इठलाती हवा नीलम सा बदन
कलियों पे ये बेहोशी की नमी
ऐसे में भी क्यूँ बेचैन है दिल
जीवन में न जाने क्या है कमी

क्यूँ आग सी लगा के गुमसुम है चांदनी
सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा

ये रात भीगी भीगी, ये मस्त फिजायें
उठा धीरे धीरे, वो चाँद प्यारा प्यारा

जो दिन के उजाले में न मिला
दिल ढूंढें ऐसे सपने को
इस रात की जगमग में डूबी
मैं ढूंढ रही हूँ अपने को

ये रात भीगी भीगी, ये मस्त फिजायें
उठा धीरे धीरे, वो चाँद प्यारा प्यारा

क्यूँ आग सी लगा के गुमसुम है चांदनी
सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा

ऐसे में कहीं क्या कोई नहीं
भूले से जो हमको याद करे
एक हलकी सी मुस्कान से जो
सपनों का जहाँ आबाद करे

ये रात भीगी भीगी, ये मस्त फिजायें
उठा धीरे धीरे, वो चाँद प्यारा प्यारा

क्यूँ आग सी लगा के गुमसुम है चांदनी
सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा

ये रात भीगी भीगी, ये मस्त फिजायें
उठा धीरे धीरे, वो चाँद प्यारा प्यारा
.......................................................................
Ye raat bheegi bheegi-Chori chori 1956

Artists-Raj Kapoor, Nargis

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Mar 1, 2009

टिर्र टुर्र वाले गाने-जहाँ मैं जाती- चोरी चोरी १९५६

टिर्र टुर्र वाले गाने मुझे हमेशा से आकर्षित करते रहे हैं .
कुछ टिर्र टुर्र वाले गाने जो मेरी पसंद के हैं आपके लिए पेश हैं.
सर्वप्रथम मैं उसे गाने का जिक्र करना चाहूँगा जो मुझे सबसे
ज्यादा पसंद है.

गाना है : जहाँ मैं जाती हूँ
फिल्म : चोरी चोरी (१९५६)
गायक कलाकार: लता और मन्ना डे
गीतकार: शैलेन्द्र
संगीतकार : शंकर जयकिशन


ये गाना सभी उम्र के बच्चों को पसंद है. इस गाने में नर्गिस की अदायगी
गौर करने लायक है. जिन लोगों ने कभी कठपुतली शो नहीं देखा है उनके
लिए एक जरूरी क्लिप.





गीत के बोल:

जहाँ मैं जाती हूँ वहीं चले आते हो
चोरी चोरी मेरे दिल में समाते हो
ये तो बताओ के तुम मेरे कौन हो
जहाँ मैं जाती हूँ वहीं चले आते हो
चोरी चोरी मेरे दिल में समाते हो
ये तो बताओ के तुम मेरे कौन हो

दिल से दिल की लगन की ये बात है
प्यार की राह जतन की ये बात है
मुझसे न पूछो के तुम मेरे कौन हो

ओ ओ मैं तो शोर मचाऊँगी शोर मचाऊँगी
ओ ओ मैं तो शोर मचाऊँगी शोर मचाऊँगी
करनी तुम्हारी सब को बताऊँगी
खैर जो चाहो चले जाओ मेरे दर से
छोड़ो ये आना जाना दिल की डगर से
ये तो बताओ के तुम मेरे कौन हो

ओ मैंने क्या बुरा किया है क्या बुरा किया है
ओ मैंने क्या बुरा किया है क्या बुरा किया है
दिल दे कर ही दिल ले लिया है
दिल दे कर ही दिल ले लिया है
किसी बड़े ज्ञानी ध्यानी को बुलाओ
अभी अभी यहीं फ़ैसला कराओ
मुझसे न पूछो के तुम मेरे कौन हो   ...

ओ दिल ही जब हुये दीवाने जब हुये दीवाने
ओ दिल ही जब हुये दीवाने जब हुये दीवाने
कहना हमारा अब कौन माने
कहना हमारा अब कौन माने

जहाँ मैं जाती हूँ वहीं चले आते हो
चोरी चोरी मेरे दिल में समाते हो
ये तो बताओ कि तुम मेरे कौन हो
मुझसे न पूछो कि तुम मेरे कौन हो
ये तो बताओ कि तुम मेरे कौन हो
मुझसे न पूछो कि तुम मेरे कौन हो
……………………………………………..
Jahan main jaati hoon-Chori chori 1956

Artists: Raj Kapoor, Nargis

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Ravindra Jain and Lata

Bollywood has seen many yesteryear graceful beauties.
Nutan being one of them. A lady who could maintain grace
and emote so well while acting. I am a great admirer of this
lady especially for the way she expressed herself in the
various roles she had played. Ageing absolutely had no affect
on her acting skills and this video bears the proof for that.
A beautiful song from Saudagar, if it was not for Ravindra
Jain's affinity for the prefix "Hem", Lata would have spun
more magic to his tunes.

Tera mera saath is one of those lovely numbers where
Lata's rendition at an higher scale is absolutely flawless...
The voice enchants and keeps the listener totally lost
in the magic of the song.


Film: Saudagar
Lyrics: Ravindra Jain
Music: Ravindra Jain
Song: Tera mera saath rahe





गीत के बोल:

तेरा मेरा साथ रहे हो तेरा मेरा साथ रहे
धूप हो, छाया हो, दिन हो कि रात रहे
तेरा मेरा साथ रहे हो तेरा मेरा साथ रहे

दर्द की शाम हो या, सुख का सवेरा हो
सब गँवारा है मुझे, साथ बस तेरा हो
साथ बस तेरा हो
हो साथ बस तेरा हो
जीते जी मर के भी, हाथ में हाथ रहे
तेरा मेरा साथ रहे हो तेरा मेरा साथ रहे

कोई वादा ना करें, कभी खाये न क़सम,
जब कहें बस ये कहें, मिल के बिछडेंगे न हम
मिल के बिछडेंगे न हम
मिल के बिछडेंगे न हम
सब के होंठों पे, अपनी ही बात रहे
तेरा मेरा साथ रहे हो तेरा मेरा साथ रहे

बीच हम दोनो के, कोई दीवार न हो
तू कभी मेरे ख़ुदा, मुझसे बेज़ार न हो
मुझसे बेज़ार न हो
मुझसे बेज़ार न हो
प्यार की प्रीत की यूँ ही बरसात रहे

तेरा मेरा साथ रहे हो तेरा मेरा साथ रहे
धूप हो, छाया हो, दिन हो कि रात रहे
तेरा मेरा साथ रहे हो तेरा मेरा साथ रहे
...........................................................................
Tera mera saath rahe-Saudagar 1973

Artist-Nutan


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