कमल के फूल जैसा-दो आँखें १९७४
मिल जायेंगे. उन्होंने श्वेत श्याम के ज़माने में जो संगीत दिया वो अनमोल है.
रंगीन युग में भी उन्होंने थोड़े झटके दिए, ये गीत उनमें से एक है. अपने प्रिय
गायक रफ़ी को ही उन्होंने आजमाया है इस गीत के लिए. गीत लिखा है
वर्मा मलिक ने.
गीत वर्मा मलिक ने लिखा है और इस पर थिरकने वाली नायिका हैं-रेखा.
फिल्म है दो आँखें जो सन १९७४ की फिल्म है. रेखा के मैंने जितने भी गाने
देखे हैं कभी उनको देखकर बोरियत नहीं हुयी. योग के पहले वाली रेखा हो
या योग के बाद वाली रेखा. उनके भावों में आकर्षण, अल्हडपन, उन्मुक्तता
और भावावेश का मिश्रण है. कुछ कोम्प्लेक्स सी केमिस्ट्री है जिसके लिए
बाकी की नायिकाएं तरसती ही रहीं. निर्देशक अजोय बिश्वास ने इस गीत
को काफी तबियत से फिल्म दिया है. सामान्यतया बालकनी में बैठने वाले
दर्शक आगे की पंक्ति में क्यूँ बैठे अब समझ आया.
फिल्म का शुमार फ्लॉप फिल्मों की श्रेणी में होता है. इसका कारण हो सकते
हैं फिल्म के नायक जो कि अपने कैरियर के ढलान पर पहुँच चुके थे. इसे
विडम्बना ही कहेंगे १९७३ में ही रिलीज़ हुई अजोय की निर्देशित फिल्म
"समझौता" बहुत चली और उसके गाने भी बहुत बजे.
गीत में जोर का झटका धीरे से लगने का वकत आता है गीत के अंत में
जिसमें नायक प्यानो पर बैठ कर इस गीत को गा रहा है और कल्पना कर
रहा है नायिका की. उल्लेखनीय बात ये है गीत में आपको प्यानो कहीं सुनाई
नहीं देगा अंत के सिवा .
गीत के बोल:
कमल के फूल जैसा
बदन तेरा चिकना चिकना
कमल के फूल जैसा
बदन तेरा चिकना चिकना
कमल के फूल जैसा
कमल के फूल जैसा
बदन तेरा चिकना चिकना
कजर तेरा बिखरा बिखरा
आंख तेरी फितना फितना फितना
ये बिंदिया उभरी उभरी
ये झुमका अटका अटका
ये जुल्फें लिपटी लिपटी
ये आँचल लटका लटका
ये आँचल लटका लटका
कमर जब लचकी लचकी
फिसल गयी इतना इतना इतना
कमल के फूल जैसा, आ हा ,
बदन तेरा चिकना चिकना
कमल के फूल जैसा
जवानी बिफरी बिफरी
ये रूप है छलका छलका
जवानी बिफरी बिफरी
ये रूप है छलका छलका
ये पलकें मचली मचली
नशा है हल्का हल्का
नशा है हल्का हल्का
दूर तू उतनी उतनी
पास मैं जितना जितना
कमल के फूल जैसा, ओए होए ,
बदन तेरा चिकना चिकना
कमल के फूल जैसा
ये पांव गोरे गोरे
हैं घुँघरू सजते सजते
ये पांव गोरे गोरे
हैं घुँघरू सजते सजते
कदम जब उठते उठते
गीत हैं बजते बजते
गीत हैं बजते बजते
पायल तेरी छलकी छलकी
तड़क धिन धिक् ना धिक् ना धिक् ना
कमल के फूल जैसा, हाय हाय
बदन तेरा चिकना चिकना
कमल के फूल जैसा
कमल के फूल जैसा
बदन तेरा चिकना चिकना
कजर तेरा बिखरा बिखरा
आंख तेरी फितना फितना फितना
कमल के फूल जैसा
बदन तेरा चिकना चिकना
कमल के फूल जैसा
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Kamal ke phool jaisa-Do aankhen 1974
4 comments:
अच्छा आलेख
कुछ काम तो आया आलेख !!
बहुतों के आ रहा है
इसको किसी ब्लॉग पर मैंने प्यानो सॉंग्स केटेगरी में शामिल देखा था.
इससे अच्छा तो फूल पत्ती सॉंग कह लेते इसे.
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