Jul 27, 2015

इन्साफ की डगर पे-गंगा जमुना १९६१


आज का दिन दुखद है. देश के सर्वोत्तम कोटि के नागरिकों में से
एक हमारे मिसाइलमैन, पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम आज
८३ वर्ष की आयु में इस नश्वर संसार को अलविदा कह गए.

आम जनता के राष्ट्रपति के रूप में प्रसिद्ध कलाम को बच्चों से
विशेष लगाव रहा. उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षपूर्ण रहा और आगे
की यात्रा कर्मठता और समर्पण की मिसाल.

आज उनको याद करते हुए उनकी कविता सुनते हैं जो यूट्यूब पर
उपलब्ध है. साथ में गंगा जमुना फिल्म से एक गीत जो बच्चों को
एक सन्देश देता है.

अब्दुल कलाम के बारे में जाने के लिए विकिपीडिया पर ज़रूर एक
नज़र डालें.









गीत के बोल:

इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश हैं तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के

दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना मुंह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के

अपने हो या पराए, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगिज़ ना डगमगाए
रस्ते बडे कठिन हैं, चलना संभल संभल के

इन्सानियत के सर पे, इज्जत का ताज रखना
तन मन की भेंट देकर, भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के

इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश हैं तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के
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Insaaf ki dagar pe-Ganga Jamuna 1961

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