चन्दा रे चंदा रे-सपने १९९७
एक मुख्य वजह इसमें अभिनेत्री काजोल का होना था. फिल्म
कैसी है, ये अलग बात है, इसके लिए किसी सयाने का फिल्म
रिव्यू पढ़ लीजियेगा.
गीत की बात करते हैं, ‘चंदा रे’ के बोलों से गीत लोरीनुमा सुनाई
देता है. दो तीन बार लगातार सुन लिया तो नींद शर्तिया आयेगी.
धुन ही ऐसी है गीत की, सोफ्ट और शांत सी. वीडियो को देख
कर आप उँगलियों तले दांतों को दबा लेंगे.
कंट्रास्ट है हर चीज़ का एक दूसरे से गीत में. बोल कहीं धुन कहीं.
बस एक रिदम उसको बाँध के रखे हुए है. वैसे मैं बता दूं इसके
लिए जबरन वाह-वाह कई जगह पढ़ चुका हूँ मैं. ऐसे लोगों से भी
सुनी है जिहोने ये गीत पूरा एक बार भी नहीं सुना है. वैसे ये गीत
सुपरहिट की श्रेणी में आता है.
गीत के शुरू के नोट्स से एक पुराने गीत की याद आती है-दिल में
प्यार का तूफ़ान, न समझे कोई नादान जो लता का गाया हुआ है
और फिल्म यहूदी का गीत है, जी हाँ वही दिलीप कुमार वाली .
बस एक आभास के बाद फिल्म सपने का गीत कहीं और पहुँच जाता
है.
नायक नायिका को रिझाने के लिए उछल कूद करता है गीत गाता
है, विकट प्रयासों और पहाड़ी पे चढ के ऊंचे सुर में गाने के बाद वो
सम्मोहन का सहारा लेता है, उसके बाद तो फिर घास हरी ही हरी है,
नायिका भी गीत गाना शुरू कर देती है. गीत यमक अलंकारों से
भरपूर है. जावेद अख्तर के कुछ गीत सुननेवालों को भौंचक्का करते
हैं.
गीत के बोल:
चंदा रे चंदा रे
कभी तो ज़मीं पर आ
बैठेंगे, बातें करेंगे
तुझको आते इधर, लाज आये अगर
ओढ़ के आ जा, तू बादल घने
गुलशन-गुलशन, वादी-वादी
बहती है रेशम जैसी हवा
जंगल-जंगल, पर्वत-पर्वत
हैं नींद में सब इक मेरे सिवा
चंदा, चंदा
आजा सपनों की नीली नदिया में नहायें
आजा ये तारे चुन के हम, घार बनाएँ
इन धुँधली-धुँधली राहों में, आ दोनों ही खो जाएं
चंदा रे चंदा रे
चंदा से पूछेंगे हम सारे सवाल निराले
झरने क्यों गाते हैं, पंछी क्यों मतवाले
क्यों है सावन महीना घटाओं का
चंदा से पूछेंगे हम सारे सवाल निराले
चंदा, चंदा
तितली के पर क्यों इतने रंगीं होते हैं
जुगनू रातों में जागे, तो कब सोते हैं
इन धुँधली-धुँधली राहों में, आ दोनों ही खो जाएं
चंदा रे चंदा रे
कभी तो ज़मीं पर आ
बैठेंगे, बातें करेंगे
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Chanda Re Chanda Re –Sapnay 1997
Artists: Kajol, Prabhudeva,
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