चाँद छुपा बादल में- हम दिल दे चुके सनम १९९९
कुछ अलग से अटपटे लगते थे, अब सामान्य सी बात
है. इस गीत में बस मुखड़े में बल खा के लिपट जाने की
रिक्वेस्ट की गयी है. बाकी को तो ये एक बढ़िया गीत
है. चाँद थीम पर बने कुछ दर्शनीय गीतों में से एक है ये.
प्रस्तुत है एक चर्चित फिल्म से एक चर्चित गीत. युगल
गीत है उदित और अलका का गाया हुआ, महबूब का
लिखा हुआ और इस्माईल दरबार का संगीतबद्ध किया
हुआ. फिल्म का नाम है-हम दिल दे चुके सनम.
गीत के बोल:
चाँद छुपा बादल में
शरमा के मेरी जाना
सीने से लग जा तू
बल खा के मेरी जाना
गुमसुम सा है, गुपचुप सा है
मदहोश है, खामोश है
ये समा हाँ ये समा,
कुछ और है
चाँद छुपा बादल में
शरमा के मेरी जाना
सीने से लग जा तू
बल खा के मेरी जाना
गुमसुम सा है, गुपचुप सा है
मदहोश है, खामोश है
ये समा हाँ ये समा,
कुछ और है
नज़दीकियाँ बढ़ जाने दे
अरे नहीं बाबा नहीं
अभी नहीं नहीं नहीं
ये दूरियाँ मिट जाने दे
अरे नहीं बाबा नहीं
अभी नहीं नहीं नहीं
दूर से ही तुम, जी भर के देखो
तुम ही कहो कैसे दूर से देखूँ
चाँद को जैसे देखता चकोर है
गुमसुम सा है, गुपचुप सा है
मदहोश है, खामोश है
ये समा हाँ ये समा,
कुछ और है
आ जा रे आजा चन्दा
कि जब तक तू न आयेगा
सजना के चेहरे को देखने,
ये मन तरसा जायेगा
ना ना चन्दा तू नहीं आना,
तू जो आया तो
सनम शरमा के कहीं चला जाये ना
आँचल में तू छुप जाने दे
अरे नहीं बाबा नहीं
अभी नहीं नहीं नहीं
ज़ुल्फ़ों में तू खो जाने दे
अरे नहीं बाबा नहीं
अभी नहीं नहीं नहीं
प्यार तो नाम है सबर का हमदम
वो ही भला बोलो कैसे करें हम
सावन की राह जैसे देखे मोर है
रहने भी दो जाने भी दो,
अब छोड़ो न, यूँ मोड़ो न
ये समा, हाँ ये समा,
कुछ और है
चाँद छुपा बादल में
शरमा के मेरी जाना
सीने से लग जा तू
बल खा के मेरी जाना
गुमसुम सा है, गुपचुप सा है
मदहोश है, खामोश है
ये समा हाँ ये समा,
कुछ और है
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Chand chhupa badal mein-Hum dil de chuke sanam 1999
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