दिल में एक जान-ए-तमन्ना-बेनजीर १९६४
इस पोस्ट में ही पूरी किये देते हैं. वाह वाह क्या बात है. अति
सुन्दर गीत. हाइली रोमांटिक. क्लासिक. बहुत खूब. क्या कहने.
लिखने वाले ने क्या लिखा है. सबसे ज्यादा रोमांटिक गीत. बेस्ट
सोंग एवर. बर्मन दादा का संगीत अल्टीमेट. शकील बदायूनी की
शायरी सुभानल्लाह. रफ़ी की कातिलाना गायकी.
गीत के बोल:
आज शीशे में बार-बार उन्हें दिल की सूरत दिखाई देती है
अपनी सूरत नज़र नहीं आती मेरी सूरत दिखाई देती है
दिल में एक जाने तमन्ना ने जगह पाई है
आज गुलशन में नहीं घर में बहार आई है
दिल में एक जाने तमन्ना ने जगह पाई है
आज गुलशन में नहीं घर में बहार आई है
दिल में एक जाने तमन्ना ने जगह पाई है
आ गया आ गया मेरे तसव्वुर में कोई परदानशीं
आ गया
आ गया आ गया मेरे तसव्वुर में कोई परदानशीं
आज हर चीज़ नज़र आती है मुझको हसीं
क्या करूँ मैं बड़ी दिलकश मेरी तन्हाई है
आज गुलशन में नहीं घर के बाहर आई है
दिल में एक जाने तमन्ना ने जगह पाई है
बहकी बहकी नशा-ए-हुस्न में खोई खोई
बहकी बहकी नशा-ए-हुस्न में खोई खोई
जैसे खय्याम की रंगीन रुबाई कोई
दिल के शीशे में परी बन के उतर आई है
आज गुलशन में नहीं ग्रोवर पे बहार आई है
दिल में एक जाने तमन्ना ने जगह पाई है
हुस्न के सामने इज़हार-ए-वफ़ा है मुश्किल
हुस्न के
हुस्न के सामने इज़हार-ए-वफ़ा है मुश्किल
काश छुप कर ही वो सुन ले मेरा अफसाना-ए-दिल
जिसने प्यार की मंज़िल मुझे दिखलाई है
आज गुल्लूशन में नहीं घर में बहार आई है
दिल में एक जाने तमन्ना ने जगह पाई है
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Dil mein ek jaan-e-tamanna ne-Benazir 1964
Artists; Shashi Kapoor, Tanuja
2 comments:
gone
इट्स अगेन देयर
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