राही मतवाले-वारिस १९५४
फिल्म वारिस से. कमर जलालाबादी की रचना है और इस गीत
की धुन तैयार की है अनिल बिश्वास ने.
ट्रेन के सफर में नायक गीत गा रहा है जिसे नायिका भी गाने
लगती है और गीत के अंत में दोनों साथ गाते हैं. ऐसा ट्रेन का
सफर किस्मत वालों को नसीब होता है.
राही मतवाले
तू छेड़ इक बार मन का सितार
जाने कब चोरी चोरी आई है बहार
छेड़ मन का सितार
राही मतवाले
देख देख चकोरी का मन हुआ चंचल
चंदा के मुखड़े पे बदली का अंचल
देख देख चकोरी का मन हुआ चंचल
चंदा के मुखड़े पे बदली का अंचल
कभी छुपे कभी खिले रूप का निखार
खिले रूप का निखार
राही मतवाले
कली कली चूम के पवन कहे खिल जा
कली कली चूम के
खिली कली भँवरे से कहे आ के मिल जा
आ पिया मिल जा
कली-कली चूम के
दिल ने सुनी कहीं दिल की पुकार
दिल ने सुनी कहीं दिल की पुकार
कहीं दिल की पुकार
राही मतवाले
रात बनी दुल्हन भीगी हुई पलकें
भीनी भीनी ख़ुशबू से सागर छलके
रात बनी दुल्हन भीगी हुई पलकें
भीनी भीनी ख़ुशबू से सागऔर छलके
ऐसे में नैना से नैना हों चार
ज़रा नैना हो चार
राही मतवाले
तू छेड़ इक बार मन का सितार
जाने कब चोरी चोरी आई है बहार
छेड़ मन का सितार
राही मतवाले
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Rahi matwale-Waris 1954
Artists: Talat Mehmood, Suraiya
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