चाँद सा मुखड़ा क्यूं-इंसान जाग उठा १९५९
शैलेन्द्र ने किया. आज सुनते हैं फिल्म इंसान जाग उठा से एक
गीत शैलेन्द्र का लिखा हुआ जिसे रफ़ी और आशा ने गाया है. इस
गीत को सुनील दत्त और मधुबाला पर फिल्माया गया है.
रोचक वार्तालाप है गीत के पूर्व जिसमें तारों को महान हस्तियाँ
बतला कर नायक कुछ वचन दे रहा है. आशा भोंसले से स्पेशल
आवाज़ निकलवाई गयी है अर्ध हांफी-अर्ध कांपी सी. ये केवल
मुखड़े में ही है, बाकी जगह सब सामान्य है. ये उस दौर की एक
फिल्म है जब लता मंगेशकर और बर्मन दादा के बीच अबोला सा
था.
गीत को आप ‘चाँद’, मुखडा, नाव श्रेणी में रख सकते हैं. बाकी
की श्रेणियाँ मुखे याद नहीं आ रही हैं. अमेंरीका और कनाडा वासी
श्रेणियाँ बनाने में माहिर हैं, मदद करें थोड़ी.
गीत के बोल:
नटखट तारों हमें न निहारो
हमरी ये प्रीत नई
चाँद सा मुखड़ा क्यूं शरमाया
चाँद सा मुखड़ा क्यूं शरमाया
आँख मिली और दिल घबराया
चाँद सा मुखड़ा क्यूं शरमाया
आँख मिली और दिल घबराया
चाँद सा मुखड़ा क्यूं शरमाया
झुक गए चंचल नैना इक झलकी दिखला के
अरे झुक गए चंचल नैना इक झलकी दिखला के
बोलो गोरी क्या रखा है पलकों में छुपा के
तुझको रे साँवरिया तुझसे ही चुरा के
तुझको रे साँवरिया तुझसे ही चुरा के
नैनों में सजाया मैंने गजरा बना के
नींद चुराई तूने दिल भी चुराया
चाँद सा मुखड़ा क्यूं शरमाया
आँख मिली और दिल घबराया
चाँद सा मुखड़ा क्यूं वर्माया
ये भीगे नज़ारे करते हैं इशारे
ये भीगे नज़ारे करते हैं इशारे
मिलने की ये रुत है गोरी दिन हैं हमारे
सुन लो पिया प्यारे क्या कहते हैं तारे
सुन लो पिया प्यारे क्या कहते हैं तारे
हमने तो बिछड़ते देखे कितनों के प्यारे
कभी न अलग हुई साया से काया
चाँद सा मुखड़ा क्यूं शरमाया
आँख मिली और दिल घबराया
चाँद सा मुखड़ा क्यूं शरमाया
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Chand sa mukhda kyun sharmaya-Insaan jag utha 1959
Artists: Sunil Dutt, Madhubala
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