आपको हमने फिल्म बीबी ओ बीबी का युगल गीत सुनवाया
था. अब सुनते हैं फिल्म बसेरा से लता मंगेशकर का गाया
एक गीत. सन १९८१ की फिल्म है ये भी और इस गीत को
सुन कर आपको लगेगा कि जिस गीत के बारे में हमने पहली
पंक्ति में चर्चा की है और प्रस्तुत गीत एक ही फोर्मेट पर बने
हैं.
फ़िल्मी भाषा में इसको अलग ट्रीटमेंट बोला जाता है. ये कुछ
ऐसा ही है जैसे आप आलू से दम आलू बना लें या आलू प्याज
की सब्जी. आलू अचारी बनायें या आलू का रायता, आलू का
स्वाद ज़रूर आएगा.
बसेरा का ये गीत लाजवाब है और आज भी सुनने में वही
आनंद देता है जो सन १९८१ में दिया करता था. गुलज़ार का
गीत है और आर डी बर्मन का संगीत.
गीत के बोल:
जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें
जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी
धुआं धुआं सा रहता है बुझी बुझी सी आँखों में
धुआं धुआं सा रहता है बुझी बुझी सी आँखों में
सुलग रहे हैं गीले आंसू
आग लगाती है बरसातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी
भरा हुआ था दिल शायद छलक गया है सीने में
भरा हुआ था दिल शायद छलक गया है सीने में
बहने लगे हैं सारे शिकवे
बड़ी ग़मगीन है दिल की बातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी
…………………………………………………………….
Jaane kaise beetengi-Basera 1981
Artist: Rekha
था. अब सुनते हैं फिल्म बसेरा से लता मंगेशकर का गाया
एक गीत. सन १९८१ की फिल्म है ये भी और इस गीत को
सुन कर आपको लगेगा कि जिस गीत के बारे में हमने पहली
पंक्ति में चर्चा की है और प्रस्तुत गीत एक ही फोर्मेट पर बने
हैं.
फ़िल्मी भाषा में इसको अलग ट्रीटमेंट बोला जाता है. ये कुछ
ऐसा ही है जैसे आप आलू से दम आलू बना लें या आलू प्याज
की सब्जी. आलू अचारी बनायें या आलू का रायता, आलू का
स्वाद ज़रूर आएगा.
बसेरा का ये गीत लाजवाब है और आज भी सुनने में वही
आनंद देता है जो सन १९८१ में दिया करता था. गुलज़ार का
गीत है और आर डी बर्मन का संगीत.
गीत के बोल:
जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें
जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी
धुआं धुआं सा रहता है बुझी बुझी सी आँखों में
धुआं धुआं सा रहता है बुझी बुझी सी आँखों में
सुलग रहे हैं गीले आंसू
आग लगाती है बरसातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी
भरा हुआ था दिल शायद छलक गया है सीने में
भरा हुआ था दिल शायद छलक गया है सीने में
बहने लगे हैं सारे शिकवे
बड़ी ग़मगीन है दिल की बातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी
…………………………………………………………….
Jaane kaise beetengi-Basera 1981
Artist: Rekha
No comments:
Post a Comment