जाने वाले चले जाते हैं. आखिर को किसी के रोके से कौन रुका है.
अकेले ही आना है और अकेले ही जाना है. चाहे जीवन के किसी
हिस्से में आगे ना मिलने के लिए बिछडना हो या संसार से
विदा लेना हो, विदा करने वाले अपनी भावनाएं क्विंटलों में
उडेलते हैं.
वो समय था जब चीज़ें धीरे धीरे अपना आकार लेती थीं. आज की
तरह नहीं-हटा सावन की घटा स्टाईल-एक क्षण फुर्र दूसरे क्षण
छू. करेले के हलवे और लहसुन की चाय वाले इस युग में
मुझे मुकेश का एक पुराना गीत याद आता है-सुर की गति मैं
क्या जानूं. इसे यूँ समझें-फिल्मों की गति मैं क्या जानूं.
तकनीकि का विकास हुआ मगर क्या घोड़े ने चारा खा के अगले
ही क्षण लीद निकालना शुरू कर दिया ? इंसानों की क्रिएटिविटी
इतनी रफ़्तार वाली हो गई कि एक हफ्ते में मास्टरपीस फ़िल्में
बनने लग गयीं ?
और ज़ेबा बख्तियार पर फिल्माया गया है. Zee Music का
धन्यवाद जिसकी वजह से ये गीत हम देख
सुन पा रहे हैं.
गीत के बोल:
गीत का आनंद लें, बोलों की
आवश्यकता हो तो कमेन्ट करें
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Jaane waale o jaane waale-Henna 1991
Superb
ReplyDeleteSilence Can you hear it??
लगे रहिये और फिल्मों को एक्सप्लेन करते रहिये.
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