मिला गए नैन-आरजू १९५०
पहले. आइये सुनते हैं उनकी आवाज़ में एक और मधुर
गीत जिसे अनिल बिश्वास ने संगीतबद्ध किया है. बोल
मजरूह सुल्तानपुरी के हैं. मजरूह साहब ने ज़रूर ये गीत
मलीहाबाद जा के लिखा होगा इसमें मलीहाबादी दशहरी
आम की मिठास जो है.
गीत शशिकला पर फिल्माया गया है और फिल्म का
नाम आरजू है जिसके गीतों ने अपने ज़माने में धूम मचा
दी थी. गीत में आपको कामिनी कौशल के भी दर्शन
हो जायेंगे थोड़ी देर के लिए.
प्रस्तुत गीत सुधा मल्होत्रा द्वारा हिंदी फिल्मों के लिए रेकोर्ड
किया जाने वाला पहला गीत है. अनिल बिश्वास को भी श्रेय
जाता है उभरती हुई प्रतिभाओं को अवसर दिलाने का.
गीत के बोल:
मिला गए नैन मिला गए नैन
जिनको जिया तरसे चुपके चुपके मेरी नज़र से
मिला गए नैन मिला गए नैन
सब के दीप बुझा कर साजन तेरे दीप जलाऊँ
तेरे दीप जलाऊँ
सब के दीप बुझा कर साजन तेरे दीप जलाऊँ
तेरे दीप जलाऊँ
आज बड़े अरमानों से मैं दिल के द्वार सजाऊँ
दिल के द्वार सजाऊँ
न फिर जाना आ के तुम इस दर से चुपके चुपके
आ के तुम इस दर से चुपके चुपके मेरी नज़र से
मेरी नज़र से
मिला गए नैन मिला गए नैन
क्या बतलाऊँ रंग जिया के सुध ही नहीं तन मन की
क्या बतलाऊँ रंग जिया के सुध ही नहीं तन मन की
आज मेरे अरमानों पर छाई है घटा सावन की
छाई है घटा सावन की
यूँ ही रिमझिम दिल की घटा बरसे चुपके चुपके
दिल की घटा बरसे चुपके चुपके
मेरी नज़र से
मिला गए नैन मिला गए नैन
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Mila gaye nain-Arzoo 1950

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