Jul 24, 2015

आने से उसके आये बहार-जीने की राह १९६९

इस फिल्म को सत्तर के दशक के उत्तरार्ध में देखा था
मैंने. एक ज़माना था जब फ़िल्में सिनेमा हाल में दुबारा
देखने को मिल जाया करती थी. जब वितरक, निर्माता
या निर्देशक की बीवी रोटी पर घी चुपड़ना बंद कर देती
तब फिल्म दुबारा प्रदर्शन के लिए भेज दी जाती और
दर्शकों का भी भला हो जाता.

उस समय चूने से पोस्टर पुताई का युग था. जीने के राह
कुछ यूँ लिखा होता नील से- जिने कि राह/जिने की राह
‘र’ को खींच के इतना लंबा बनाया जाता कुछ पुताईकारों
द्वारा कि वो पोस्टर की बाउंड्री से बाहर चार रन के लिए
निकल पढ़ने को उत्सुक सा दिखलाई देता. किसी बाप की
बनियान पकड़ छोटा बच्चा लटक जाए तो बनियान का
क्या हश्र होता है वैसा ही कुछ कुछ शब्दों का होता उस
अक्षरों की नीली पुताई में.

आइये सुनें इस फिल्म का एक गीत जिसे रफ़ी ने गाया है,
नायक हैं जीतेंद्र.. अपने ज़माने का सुपरहिट गीत है ये
और आज भी सुनाई देता है नियमित रूप से.

आपने दुमदार दोहे अवश्य सुने या पढ़े होंगे. दुम लगायी
जाती है उसका सौंदर्य निखारने के लिए. प्रस्तुत गीत की
पंक्तियों में भी दुम लगी है “मेरी महबूबा” की. आपको तो
ऐसा ही लगेगा जैसे इसके बिना गीत में आनंद नहीं आता.
वैसे तो ये शब्द महबूबा कैसी है उसके वर्णन के लिए प्रयोग
में लाये गए हैं मगर सुनने में अलग से लगते हैं.




गीत के बोल:

आने से उसके आए बहार
जाने से उसके जाए बहार
बडी मस्तानी है, मेरी मेहबूबा
मेरी ज़िन्दगानी है, मेरी मेहबूबा

गुनगुनाए ऐसे
जैसे बजते हो घुँघरू कहीं पे
आ के परबतों से
जैसे गिरता हो झरना ज़मीं पे
झरनों की मौज है वो,
मौजों की रवानी है, मेरी मेहबूबा
मेरी ज़िन्दगानी है, मेरी मेहबूबा

बन संवर के निकले,
आए सावन का जब जब महीना
हर कोई ये समझे,
होगी वो कोई चंचल हसीना
पूछो तो कौन है वो,
रुत ये सुहानी है, मेरी मेहबूबा
मेरी ज़िन्दगानी है, मेरी मेहबूबा

इस घटा को मैं तो,
उसकी आँखों का काजल कहूँगा
इस हवा को मैं तो,
उसका लहराता आंचल कहूँगा
कलियों का बचपन है,
फूलों की जवानी है, मेरी मेहबूबा
मेरी ज़िन्दगानी है, मेरी मेहबूबा

बीत जाते हैं दिन,
कट जाती हैं आँखों में रातें
हम ना जाने क्या क्या,
करते रहते हैं आपस में बातें
मैं थोड़ा दीवाना,
थोड़ी सी दीवानी है, मेरी मेहबूबा
मेरी ज़िन्दगानी है, मेरी मेहबूबा

सामने मैं सबके नाम उसका नही ले सकूंगा
वो शरम के मारे रुठ जाए तो मैं क्या करुंगा
हूरों की मलिका है,
परियों की रानी है, मेरी मेहबूबा
मेरी ज़िन्दगानी है, मेरी मेहबूबा
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Aane se uske aaye bahaar-Jeene ki raah 1969

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