Apr 7, 2017

चाह बर्बाद करेगी हमें-शाहजहाँ १९४६

बहुत दिन हुए के एल सहगल का कोई गीत सुने. आज सुनते
हैं सन १९४६ की फिल्म शाहजहाँ से एक गीत. नौशाद की धुन
है और मजरूह सुल्तानपुरी के बोल.

सहगल के गीतों वाली ये अंतिम फिल्म थी. गीत सहगल पर
ही फिल्माया गया है. फिल्म का निर्देशन ए आर कारदार ने
किया था.



गीत के बोल:

चाह बर्बाद करेगी हमें मालूम न था
चाह बर्बाद करेगी हमें मालूम न था
रोते रोते ही कटेगी हमें मालूम न था
रोते रोते ही कटेगी हमें मालूम न था

मौत भी हम पे हँसेगी हमें मालूम न था
ज़िन्दगी रोग बनेगी हमें मालूम न था
ज़िन्दगी रोग बनेगी हमें मालूम न था
चाह बर्बाद करेगी हमें मालूम न था

छायी घनघोर घटा चाँद सितारे न रहे
वह उम्मीदें न रहीं अब वह सहारे न रहे
ग़ैर तो ग़ैर ही थे वह भी हमारे न रहे
हमपे ऐसी भी पड़ेगी हमें मालूम न था
हमपे ऐसी भी पड़ेगी हमें मालूम न था
चाह बर्बाद करेगी हमें मालूम न था
……………………………………………………
Chah barbad karegi hamen-Shahjahan 1946

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP