तक़दीर का फ़साना-सेहरा १९६३
फिल्म से एक और कर्णप्रिय गीत सुनते हैं जो फिल्म में दो
संस्करण में मौजूद है. पहले आपको सुनवाते हैं रफ़ी वाला
संस्करण. गीत की रेंज विस्तृत है. अंतरे काफी ऊंचे स्केल
पर गाये गए हैं इस गाने के.
प्रस्तुत गीत को उत्तम कोटि के दर्दीले गीतों में स्थान प्राप्त है.
रामलाल कोई नामचीन संगीतकार नहीं थे मगर उनकी बनाई
इस धुन के हजारों दीवाने हैं. गीत हसरत जयपुरी ने लिखा है.
गीत के बोल:
तक़दीर का फ़साना जाकर किसे सुनाएं
इस दिल में जल रही हैं अरमान की चिताएं
साँसों में आज मेरे तूफ़ान उठ रहे हैं
शहनाईयों से कह दो कहीं और जा के गाएं
इस दिल में जल रही हैं अरमान की चिताएं
मतवाले चाँद सूरज तेरा उठाये डोला
तुझको खुशी की परियाँ घर तेरे ले के जाएं
इस दिल में जल रही हैं अरमान की चिताएं
तुम तो रहो सलामत सेहरा तुम्हे मुबारक
मेरा हर एक आँसू देने लगा दुआएं
इस दिल में जल रही हैं अरमान की चिताएं
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Taqdeer ka fasana-Sehra 1963
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