बंदा परवर मैं कहाँ-पॉकेटमार १९७४
सन १९५६ में पॉकेटमार के रोल में देव आनंद और
१९७४ की फिल्म में ही-मैन धर्मेन्द्र. उसके अलावा भी
समाज के अन्य चर्चित एलेमेंट्स हमने काफी खूबसूरत
और ज़हीन किस्म के देखे हैं समय समय पर प्रकट
हुई फिल्मों में.
१९५६ की फिल्म का निर्देशन हरनाम सिंह रवैल ने
किया था, वही बेताब वाले राहुल रवैल के पिताजी.
१९७४ की फिल्म का निर्देशन रमेश लखनपाल ने किया
है. किसी लखनपाल नाम के निर्देशक का जिक्र फिल्म
चश्मे बद्दूर में रवि वासवानी ने किया था जब वो
दीप्ति नवल के घर पर जा कर उसकी इम्प्रेस करने
की असफल कोशिश करता है. वो हैं दिनेश लखनपाल
जो सईं परांजपे के सहायक निर्देशक थे फिल्म में.
फिल्म के इस गीत में नायक एक पार्टी में पहुँचता है
और नायिका को चिढ़ाने वाले अंदाज़ में गीत गा रहा है.
गीत में आपको महमूद, चरित्र अभिनेता नज़ीर और
अभिनेत्री सायरा बानो के अलावा ढेर सारे लोग नज़र
आयेंगे जिनके बारे में मुझे जानकारी नहीं है.
गमले वाले जूडे फिल्मों में काफी दिखा करते थे. इतना
वजन अभिनेत्रियों की नाज़ुक गर्दन कैसे उठा लिया
करती थीं ये मुझे अभी तक समझ नहीं आया.
गीत के बोल:
बंदा परवर मैं कहाँ ये आपकी महफ़िल कहाँ
बंदा परवर मैं कहाँ ये आपकी महफ़िल कहाँ
आपकी बंदानवाजी है मैं इस काबिल कहाँ
बंदा परवर मैं कहाँ ये आपकी महफ़िल कहाँ
आपकी बंदानवाजी है मैं इस काबिल कहाँ
बंदा परवर मैं कहाँ ये आपकी महफ़िल कहाँ
आपकी नज़रें सुनाती हैं कहानी आपकी
इस मोहब्बत में
इस मोहब्बत में है शामिल मेहरबानी आपकी
खूबसूरत आपकी नज़रों सा मेरा दिल कहाँ
बंदा परवर मैं कहाँ ये आपकी महफ़िल कहाँ
आपकी बंदानवाजी है मैं इस काबिल कहाँ
बंदा परवर मैं कहाँ ये आपकी महफ़िल कहाँ
मेरी राहों में बहारों के गुलिस्तान खिल गए
जा रहा था मैं
जा रहा था मैं अकेला आप मुझसे मिल गए
आपन ना मिलते तो फिर मिलती मुझे मंजिल कहाँ
बंदा परवर मैं कहाँ ये आपकी महफ़िल कहाँ
आपकी बंदानवाजी है मैं इस काबिल कहाँ
बंदा परवर मैं कहाँ ये आपकी महफ़िल कहाँ
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Banda parvar main kahan-Pocketmaar 1974
Artists: Dharmendra, Saira Bano
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