Feb 29, 2016

पत्थर के भगवान-नौनिहाल १९६७

आपने एक भगवान से शिकायत वाला गीत फिल्म
नास्तिक से सुना था पहले-ओ पत्थर के भगवान.
आज सुनते हैं फिल्म नौनिहाल से एक गीत जिसमें
फिर से पत्थर के भगवान का जिक्र है. जब आदमी
हताश औरनिराश हो जाता है तकलीफें सह सह के,
तब उसे लगने लगता है भगवान भी साथ नहीं दे
रहा, उस वक्त ऐसी भावनाएं मन से निकलती हैं.

भगवन से पिघलने का निवेदन किया गया है गीत में.
कभी भगवान जल्दी पिघल जाता है तो कभी काफी
रुलाने के बाद.

भगवान की मर्ज़ी से पत्ता भी नहीं हिलता तो जो सुख
दुःख सब देखने को मिलते हैं वे सब भगवन की कृपा
से ही प्राप्त होते हैं.

आइये सुनें ये गीत जिसे लिखा है कैफी आज़मी ने और
जिसकी धुन बनाई है मदन मोहन ने.



गीत के बोल:

पत्थर के भगवान आज पिघल जा आज पिघलना होगा
पत्थर के भगवान आज पिघल जा आज पिघलना होगा
मैं तो जल गयी आग में तुझको भी जलना होगा
पत्थर के भगवान
मेरा जलना कोई जलना जैसा गीला ईंधन
मेरा जलना कोई जलना जैसा गीला ईंधन
तू जल जायेगा मालिक दुनिया होगी रौशन
दिन का क्या है रात को अभी से दिन को निकलना होगा
पत्थर के भगवान आज पिघल जा आज पिघलना होगा
पत्थर के भगवान

चलते फिरते आये हजारों साये हर साया बेगाना
चलते फिरते आये हजारों साये हर साया बेगाना
मन से भी मायूस नहीं है रास्ता भी अनजाना
मैं भी अंधी तू भी अंधा साथ चलना होगा

पत्थर के भगवान आज पिघल जा आज पिघलना होगा
मैं तो जल गयी आग में तुझको भी जलना होगा
पत्थर के भगवान
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Patthar ke bhagwan-Naunihal 1967

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