ये हम आ गए हैं कहाँ-वीर ज़ारा २००४
कर, आश्चर्य वाले भाव से, संदेह वाले भाव से और जो कुछ
छूट गया हो उन सब प्रकारों से. प्रस्तुत गीत में आश्चर्य
और खुशी के भाव है ऐसा प्रतीत होता है. थर्ड वर्ल्ड के प्राणी
फोर्थ वर्ल्ड में आ गए से प्रतीत होते हैं.
गीत है वीर ज़ारा से जावेद अख्तर का लिखा हुआ और इसकी
धुन है मदन मोहन की. उदित नारायण और लता मंगेशकर
की आवाजें हैं. नायक नायिका वही हैं जो वीर ज़ारा फिल्म
के पिछले गीत में थे.
गीत के बोल:
लहराती हुई राहें खोले हुए हैं बाँहें
ये हम आ गए हैं कहाँ
पलकों पे गहरे हलके है रेशमी धुंधलके
ये हम आ गए हैं कहाँ
हाँ ये हम आ गए हैं कहाँ
वो देखो ज़रा पर्बतों पे घटायें
हमारी दास्ताँ हौले से सुनाये
सुनो तो ज़रा ये फूलों की वादी
हमारी ही कोई कहानी है सुनाती
सपनों के इस नगर में यादों की रहगुज़र में
ये हम आ गए हैं कहाँ
हाँ ये हम आ गए हैं कहाँ
जो राहों में है रुत ने सोना बिखेरा
सुनहरा हुआ तेरा-मेरा सवेरा
ज़मीं सो गयी बर्फ की चादरों में
बस इक आग सी जलती है दो दिलों में
हवाएँ सनासनाए बदन काँप जाए
ये हम आ गए हैं कहाँ
हाँ ये हम आ गए हैं कहाँ
ये बरसात भी कब थामें कौन जाने
तुम्हें मिल गए प्यार के सौ बहाने
सितारों की है जैसे बारात आई
हमारे लिए रात यूँ जगमगाई
सपने भी झिलमिलायें दिल में दिये जलायें
ये हम आ गए हैं कहाँ
हाँ ये हम आ गए हैं कहाँ
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Ye ham aa gaye hain kahan-Veer Zaara 2004
Artists: Shahrukh Khan, Preity Zinta
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