आ जा बिछड़े हुए साजन-नई कहानी १९४३
कुछ साल पहले. अब दूसरा सुनते हैं. इतने गीत हैं और इतनी
फ़िल्में कि याद रख पाना मुश्किल होता है कौन सा गीत पोस्ट
हुआ और कौनसा रह गया. वो तो आज संगीतकार श्याम सुन्दर
वाले गीतों की लिस्ट देखी तो मालूम हुआ कि ये बचा हुआ है.
वली साहब के बोल हैं और इसे जी एम दुर्रानी ने गाया है. रफ़ी
के फिल्म संगीत क्षेत्र में पदार्पण के पूर्व जी एम दुर्रानी काफी
लोकप्रिय हुआ करते थे. रफ़ी और लता के संगीत क्षेत्र में आने
के बाद फिल्म संगीत के सारे समीकरण ही बदल गए.
गीत के बोल:
आ जा आ जा आ जा
आ आ आ आ जा
आ जा आ जा आ जा
आ आ आ आ जा
बिछड़े हुए साजन
बिछड़े हुए साजन जिस देस गया है
जिस देस गया है
उस देस का रस्ता सपने में दिखा जा
आ जा आ जा आ जा
आ आ आ आ जा
बिरहा ने कलेजा यूँ कर दिया छलनी
बिरहा ने कलेजा यूँ कर दिया छलनी
जैसे कोई बन्सी
जैसे कोई बन्सी जंगल में पड़ी हो
आहों से भरी हो
होंठों से लगा के
होंठों से लगा के आहों में समा के
तू गीत बना जा
आ जा आ जा आ जा
आ आ आ आ जा
हो नैन में ऐसे
हो नैन में ऐसे ज्यूँ सीप में मोती
और प्राण में ऐसे ज्यूँ दीप में ज्योति
और प्राण में ऐसे ज्यूँ दीप में ज्योति
सोता हुआ दीपक पल भर को जगा जा
आ जा खा जा आ जा
आ आ आ आ जा
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Aa ja bichhde hue sathi-Nai Kahani 1943
2 comments:
इन बाबाजी को देख के वर्त्तमान में सक्रिय एक बाबाजी याद आते हैं.
हो सकता है दोनों कुम्भ के मेले में बिछड़े हुए रिश्तेदार हों.
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