उड़ जावूँ रे-आम्रपाली १९४५
वाली और एक सन १९६६ वाली.
आज सुनते हैं विंटेज युग की आम्रपाली से एक गीत जिसे गाया
है अमीरबाई कर्नाटकी ने. सरस्वती देवी के संगीत में बने इस गीत
के बोल कवि प्रदीप ने लिखे हैं.
गीत के बोल:
उड़ जावूँ रे
उड़ जावूँ रे
मैं तो तारों की
मैं तो तारों की दुनिया में उड़ जावूँ रे
उड़ जावूँ रे
उड़ जावूँ रे
मैं तो तारों की दुनिया में उड़ जावूँ रे
आज जो मैं पँख कहीं पाऊँ रे
पाऊँ रे
सपनों की नगरी में मैं उड़ जावूँ रे
जावूँ रे
तारों को तोड़ लाऊँ रे
उड़ जावूँ रे
उड़ जावूँ रे
मैं तो तारों की दुनिया में उड़ जावूँ रे
दिखते हैं देखो कितने प्यारे-प्यारे
नीलम की थाली में चम-चम सितारे
आपस में खेल रहे आँख-मिचोली
आपस में खेल रहे आँख-मिचोली
मैं मन में ललचाऊँ रे
उड़ जावूँ रे
उड़ जावूँ रे
मैं तो तारों की दुनिया में उड़ जावूँ रे
मेरी जवानी ने खोली है पाँखें
आज मिलावूंगी
आज मिलावूंगी मैं चन्दा से आँखें
ए ए ए चन्दा से आँखें
चल मेरे मनवा आकाश की ओर
चल मेरे मनवा आकाश की ओर
मैं तुझपे वार जावूँ रे
उड़ जावूँ रे
उड़ जावूँ रे
मैं तो तारों की दुनिया में उड़ जावूँ रे
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Ud javoon re main to-Amrapali 1945
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