Apr 4, 2018

वो चुप रहें तो मेरे-जहांआरा १९६४

राजेंद्र कृष्ण की बात चली तो एक गीत सुन लिया जाए.
फिल्म जहांआरा से लता मंगेशकर का गाया एक गाना
सुनते हैं जिसकी धुन मदन मोहन ने तैयार की है. बोलों
की सरलता और धुन की जटिलता/कुटिलता का मिश्रण
जनता को काफी पसंद आया. इस जोड़ी ने कई नायाब
गीत रचे.

फिल्म जहाँआरा अभिनेत्री माला सिन्हा के फ़िल्मी जीवन
की एक माइलस्टोन फिल्म कही जाती है. ट्रेजिक कहानियों
को हिट करवा पाना आसान काम नहीं होता. किसी किसी
फिल्म का अंत ट्रेजिक होता है वहां तक तो जनता झेल
लेती है मगर पूरी कहानी दुखी सी हो तो उसे पचा पाना
आज भी पब्लिक के लिए थोडा मुश्किल काम है.




गीत के बोल:

वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
जो बात कर लें  आ आ आ आ आ आ
जो बात कर लें तो बुझते चिराग़ जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं

कहो बुझें के जलें
हम अपनी राह चलें या तुम्हारी राह चलें
कहो बुझें के जलें
बुझें तो ऐसे के जैसे किसी ग़रीब का दिल
किसी ग़रीब का दिल
जलें तो ऐसे के जैसे चिराग़ जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं

ये खोई खोई नज़र
कभी तो होगी इधर या सदा रहेगी उधर
ये खोई खोई नज़र
उधर तो एक सुलग़ता हुआ है वीराना
है एक वीराना
मगर इधर तो बहारों में बाग़ जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं

जो अश्क़ पी भी लिए
जो होंठ सी भी लिए तो सितम ये किसपे किए
जो अश्क़ पी भी लिए
कुछ आज अपनी सुनाओ कुछ आज मेरी सुनो
ख़ामोशिओं से तो दिल और दिमाग़ जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
जो बात कर लें तो बुझते चिराग़ जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
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Wo chup rahen to mere-Jahan Ara 1964

Artist: Minu Mumtaz, Bharat Bhooshan

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