सुबह से लेकर शाम तक-मोहरा १९९४
करने की फरमाईश की जा रही है. खाना पीना सब भूल जाओ
केवल प्यार करो. सारी दिशाओं में सभी जगह पर दिशा मैदान
वगैरह सब को भूल के प्यार करो बस प्यार करो.
आनंद बक्षी की रचना को स्वर दिया है अलका याग्निक और
उदित नारायण ने. संगीत है विजू शाह का. अपने ज़माने का
एक हिट गाना है ये.
नायक नायिका को आप पहचानते ही हैं. ना पहचान पायें तो
विवरण रहता ही है हमारी पोस्ट में.
गीत के बोल:
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
हो सुबह से लेकर शाम तक शाम से लेकर रात तक
सुबह से ले कर शाम तक शाम से ले कर रात तक
रात से ले कर सुबह तक सुबह से फिर शाम तक
मुझे प्यार करो हो मुझे प्यार करो
हो मुझे प्यार करो मुझे प्यार करो
हो शहर से ले कर गांव तक धूप से ले कर छांव तक
शहर से ले कर गांव तक धूप से ले कर छांव तक
सिर से ले कर पांव तक दिल की सभी वफ़ाओं तक
मुझे प्यार करो हो मुझे प्यार करो
हो मुझे प्यार करो मुझे प्यार करो
हां और पिया कुछ भी कर लो लेकिन रखना याद
और पिया कुछ भी कर लो लेकिन रखना याद
कुछ शादी से पहले कुछ शादी के बाद
प्यार में अब इतनी शर्तें कौन रखेगा याद
क्या शादी से पहले क्या शादी के बाद
हो पास से ले कर दूर तक दूर से ले कर पास तक
इन होंठों की प्यास तक धरती से आकाश तक
मुझे प्यार करो हो मुझे प्यार करो
हो मुझे प्यार करो मुझे प्यार करो
हो ऐसा कैसे हो सकता है पूरा पूरा प्यार
या खुल के इकरार करो तुम या खुल के इंकार
हो मेरे गले में डाल के बाहें कर लो बातें चार
इसके आगे करना पड़ेगा तुमको इन्तज़ार
हो सागर के इस छोर तक सागर के उस पार तक
नज़रों की दीवार तक प्याज से ले कर प्यार तक
मुझे प्यार करो हो मुझे प्यार करो
हो मुझे प्यार करो मुझे प्यार करो
हो सुबह से ले कर शाम तक शाम से ले कर रात तक
रात से ले कर सुबह तक सुबह से फिर शाम तक
मुझे प्यार करो हो मुझे प्यार करो
हो मुझे प्यार करो मुझे प्यार करो
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Subah se le kar shaam tak-Mohra 1994
Artists: Akshay Kumar, Raveena Tandon
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