आँख मिलते ही मोहब्बत हो गई-आँख की शर्म १९४३
है. गायिका का नाम है मीनाक्षी. गीत लिखा है पंडित
इन्द्र ने, और साहब क्या लिखा है, एक बार आप इसे
सुन लें तो इसके मुरीद बन जायेंगे. हाँ, वो धैर्य और
हौसला ज़रूरी है ४० के दशक के गीत सुनने के लिए.
ये स्विच ओवर हर किसी के बस की बात नहीं कि
“कमबख्त इश्क” सुनते सुनते वो “ऐ कातिब-ए-तकदीर “
सुन कर वाह वाह करने लग जाए.
पंडित इन्द्र एक व्यस्त गीतकार होते थे उस ज़माने में.
उनके गीत काफी आला दर्जे के हैं. ये पुराने संगीत प्रेमी
बखूबी जानते हैं. वो समय था जब साहित्य क्षेत्र की
हस्तियाँ फ़िल्मी गीत लेखन को दोयम दर्जे का माना
करती थीं(आज भी करती हैं, वो तो) उसके अलावा दोनों
क्षेत्रों के बीच काफी दूरी हुआ करती थी. बावजूद इसके
अच्छे साहित्यिक सोच और समझ वाले व्यक्ति फिल्म
उद्योग से जुड़े रहे और ये इसी का परिणाम है कि अच्छी
चीज़ें भी फिल्मों में मिल जाया करती हैं.
गीत का संगीत तैयार किया है वसंत देसाई ने.
गीत के बोल:
आँख मिलते ही मोहब्बत हो गई
हाँ, आँख मिलते ही मोहब्बत हो गयी
प्यार करने की तबियत हो गयी
प्यार करने की तबियत हो गयी
किसलिए तिरछी नज़र ने
बाकी के बोल पब्लिक डिमांड पर.
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Aankh milte hi mohabbat-Aankh ki sharm 1943
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