Feb 13, 2017

रुला कर चल दिये-बादशाह १९५४

हेमंत कुमार ने दूसरे संगीतकारों के लिए भी गीत गाये.
बहुमुखी प्रातिभा वाले हेमंत कुमार ने अपने सहायक
रहे संगीतकार रवि के लिए भी गीत गाये.

आज सुनते हैं फिल्म बादशाह से एक गीत जो उन्होंने
शंकर जयकिशन के संगीत निर्देशन में गाया था. गीत
शैलेन्द्र का है और फिल्म सन १९५४ की है. गीत काफी
लोकप्रिय रहा है.




गीत के बोल:

रुला कर चल दिये इक दिन हँसी बन कर जो आये थे
रुला कर चल दिये इक दिन हँसी बन कर जो आये थे
चमन रो-रो के कहता है
चमन रो-रो के कहता है कभी गुल मुस्कुराये थे
रुला कर चल दिये इक दिन हँसी बन कर जो आये थे

अगर दिल के ज़ुबाँ होती ये ग़म कुछ कम तो हो जाता
ये ग़म कुछ कम तो हो जाता
अगर दिल के ज़ुबाँ होती ये ग़म कुछ कम तो हो जाता
ये ग़म कुछ कम तो हो जाता
उधर वो चुप इधर सीने में हम तूफ़ाँ छुपाये थे
चमन रो-रो के कहता है कभी गुल मुस्कुराये थे
रुला कर चल दिये इक दिन हँसी बन कर जो आये थे

ये अच्छा था न हम कहते किसी से दास्ताँ अपनी
किसी से दास्ताँ अपनी
ये अच्छा था न हम कहते किसी से दास्ताँ अपनी
किसी से दास्ताँ अपनी
समझ पाये न जब अपने पराये तो पराये थे
चमन रो-रो के कहता है कभी गुल मुस्कुराये थे
रुला कर चल दिये इक दिन हँसी बन कर जो आये थे
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Rula kar chal diye-Badshah 1954

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