शाम की तन्हाईयां हैं-ज़रक खान १९६३
फिल्म ज़रक खान वाली शाम की तन्हाईयां. दोनों में बेसिक
डिफरेन्स क्या है? आह वाला गीत रात के वक्त आह आह करवा
देता है. ज़रक खान का गीत शाम के दूसरे हिस्से में छलनी
करता है.
आशा भोंसले के नायाब गीतों में से एक है ये. इसमें आशा की
रेंज का भरपूर प्रयोग है. आनंद बक्षी ने खूब हिट गीत लिखे हैं.
ये उनके बेहतर गीतों में से एक है. इस शानदार गीत का संगीत
तैयार किया है एस मोहिंदर ने.
गीत के बोल:
शाम की तन्हाईयां हैं
प्यार की अंगडाईयां हैं
ऐसे में तू आ जा सनम
शाम की तन्हाईयां हैं
ये सितारे ये नज़ारे पूछते हैं बार बार
चाँद निकला रात आई क्यूँ ना आया तेरा प्यार
क्यूँ ना आया तेरा प्यार
ये तेरी रुस्वाइयाँ हैं
ऐसे में तू आ जा सनम
शाम की तन्हाईयां हैं
चांदनी से कह रहा है चाँद अपने दिल का राज़
रूट हंसी है तू नहीं है कौन छेड़े दिल का तार
कौन छेड़े दिल का तार
मुन्तजिर शहनाईयां हैं
ऐसे में तू आ जा सनम
ऐसे में तू आ जा सनम
शाम की तन्हाईयां हैं
जल उठी हैं हर शमा और जुगनू परवाने बने
बुलबुलों के गीत सुन के फूल दीवाने बने
फूल दीवाने बने
इश्क की परछाइयाँ हैं
ऐसे में तू आ जा सनम
ऐसे में तू आ जा सनम
शाम की तन्हाईयां हैं
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Shaam ki tanhaiyan hain-Zarak Khan 1963