अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो -भजन
जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर आइये एक फिल्मों से बाहर
का एक भजन सुनें. इसे गाया है लखबीर सिंह “लक्खा” ने.
लखबीर देवी भजन गा गा कर प्रसिद्द हुए हैं. देवी भजन गाने
के बाद उन्होंने जो भजन गाये उनमें से ये बहुत सुना गया और
आपको कई धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों के मोबाईल की रिंग टोन
के रूप में ये बजता मिल जायेगा. भजन में कृष्ण सुदामा मिलन
का उल्लेख है
भजन के बोल:
देखो देखो ये गरीबी ये गरीबी का हाल
कृष्ण के द्वार पे विश्वास ले के आया हूँ
मेरे बचपन का यार है मेरा श्याम
यही सोच कर में आस कर के आया हूँ
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो
अरे द्वारपालों उस कन्हैया से कह दो
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है
हाँ, भटकते भटकते ना जाने कहाँ से
भटकते भटकते ना जाने कहाँ से
तुम्हारे महल के करीब आगया है
तुम्हारे महल के करीब आगया है
हे, अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है
ना सर पे है पगड़ी ना तन पे है जामा
बता दो कन्हैया को नाम है सुदामा,हाँ हाँ हाँ
बता दो कन्हैया को नाम है सुदामा,हाँ हाँ हाँ
बता दो कन्हैया को नाम है सुदामा
ना सर पे है पगड़ी ना तन पे है जामा
बता दो कन्हैया को नाम है सुदामा
हो ओ ओ ओ ओ
ना सर पे है पगड़ी ना तन पे है जामा
बता दो कन्हैया को नाम है सुदामा, हो हो हो
बता दो कन्हैया को नाम है सुदामा
एक बार मोहन से जा कर के कह दो
तुम एक बार मोहन से जा कर के कह दो
के मिलने सखा बदनसीब आ गया है
के मिलने सखा बदनसीब आ गया है
हाँ, अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है
सुनते ही दौड़े चले आये मोहन
लगाया गले से सुदामा को मोहन
हाँ लगाया गले से सुदामा को मोहन
लगाया गले से सुदामा को मोहन
ओ सुनते ही दौड़े चले आये मोहन
लगाया गले से सुदामा को मोहन
ओ सुनते ही दौड़े चले आये मोहन
लगाया गले से सुदामा को मोहन, हाँ हाँ हाँ
लगाया गले से सुदामा को मोहन
हुआ रुक्मिणी को बहुत ही अचम्भा
हुआ रुक्मिणी को बहुत ही अचम्भा
ये मेहमान कैसा अजीब आ गया है
ये मेहमान कैसा अजीब आ गया है
हाँ, हुआ रुक्मिणी को बहुत ही अचम्भा
ये मेहमान कैसा अजीब आ गया है
ये मेहमान कैसा अजीब आ गया है
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Are dwarpalon Kanhaiya se keh do-Bhajan
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