चेहरे पे गिरी ज़ुल्फ़ें-सूरज १९६६
सफर फिल्म सूरज के गीत में तय कर रहे हैं राजेंद्र कुमार परदे
पर और रफ़ी परदे के पीछे. गीत हसरत जयपुरी का है.
बहुत विनम्रता के साथ माफ़ी भी मांगी जा रही है गीत में. आज के
युग में ऐसे जुमले दुर्लभ हैं. वो ज़माना था जब खांसना और छींकना
भी अदब से हुआ करता था और एक आज का है, पहली ही मुलाकात
में दिल कमबख्त, बदतमीज़, ढोर, पाजी इत्यादि हो जाता है.
जिस दिन दिल गार्डन-गार्डन फोरेस्ट-फोरेस्ट हो जाता है उस दिन
हम आपको ढेर सारे गीत सुनवा देते हैं, जैसे कल सुनवाए थे.
गीत के बोल:
चेहरे पे गिरी ज़ुल्फ़ें कह दो तो हटा दूँ मैं
गुस्ताख़ी माफ़ गुस्ताख़ी माफ़
इक फूल तेरे जूड़े में कह दो तो लगा दूँ मैं
गुस्ताख़ी माफ़ गुस्ताख़ी माफ़
ये रूप हसीं धूप बहुत खूब है लेकिन
उल्फ़त के बिना फीका चेहरा तेरा रंगीन
ये रूप हसीं धूप बहुत खूब है लेकिन
उल्फ़त के बिना फीका चेहरा तेरा रंगीन
इक दीप मुहब्बत का कह दो तो जला दूँ मैं
गुस्ताख़ी माफ़ गुस्ताख़ी माफ़
चेहरे पे गिरी ज़ुल्फ़ें कह दो तो हटा दूँ मैं
गुस्ताख़ी माफ़ गुस्ताख़ी माफ़
इक आग लगी है मेरे ज़ख्म-ए-जिगर में
ये कैसा करिश्मा है तेरी शोख नज़र में
इक आग लगी है मेरे ज़ख्म-ए-जिगर में
ये कैसा करिश्मा है तेरी शोख नज़र में
जो बात रुकी लब पर कह दो तो बता दूँ मैं
गुस्ताख़ी माफ़ गुस्ताख़ी माफ़
चेहरे पे गिरी ज़ुल्फ़ें कह दो तो हटा दूँ मैं
गुस्ताख़ी माफ़ गुस्ताख़ी माफ़
सरकार हुआ प्यार ख़ता हमसे हुई है
अब दिल में तुम ही तुम हो ये जाँ भी तेरी है
सरकार हुआ प्यार ख़ता हमसे हुई है
अब दिल में तुम ही तुम हो ये जाँ भी तेरी है
अब चीर के इस दिल को कह दो तो दिखा दूँ मैं
गुस्ताख़ी माफ़ गुस्ताख़ी माफ़
चेहरे पे गिरी ज़ुल्फ़ें कह दो तो हटा दूँ मैं
गुस्ताख़ी माफ़ गुस्ताख़ी माफ़
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Chehre pe giri zulfen-Suraj 1966
Artists: Rajendra Kumar, Vaijayantimala
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