भोले मुसाफ़िर इतना तो जान-माँ बाप १९४४
सन १९४४ की फिल्म का ये गीत गाया है जोहराबाई ने.
जोहराबाई की बिलांग आवाज़ में आपको एक एक बोल
स्पष्ट समझ आएगा.
गीत रूपबनी का है और संगीत अल्लारक्खा कुरैशी का.
गीत के बोल:
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान
के दिन सारे होते नहीं एक समान
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान
के दिन सारे होते नहीं एक समान
दो आँखों से देख अपने दाता की लीला
दाता की लीला
जो दुख तुझपे जीवन बनाये रंगीला
बनाये रंगीला
वो जिस रंग में राखे उसी रंग में हँसना
वो जिस रंग में राखे उसी रंग में हँसना
जो वो तुझपे ख़ुश है तो ख़ुश है जहान
जो वो तुझपे ख़ुश है तो ख़ुश है जहान
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान
के दिन सारे होते नहीं एक समान
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान
न समझो ग़रीबों का कोई नहीं
दया मेरे मालिक की सोई नहीं
न समझो ग़रीबों का कोई नहीं
दया मेरे मालिक की सोई नहीं
वो महलों से गलियों में ला के सुलाये
वो महलों से गलियों में ला के सुलाये
वो पल भर में तोड़ेगा दौलत सामान
वो पल भर में तोड़ेगा दौलत सामान
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान
के दिन सारे होते नहीं एक समान
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान
वो कहते हैं जिसको रहीम और राम
वो कहते हैं जिसको रहीम और राम
वो अल्लाह ईशवर ख़ुदा जिसका नाम
वो अल्लाह ईशवर ख़ुदा जिसका नाम
वो हर रंग में खेले तू उसको पुकार
वो हर रंग में खेले तू उसको पुकार
देगा वही तुझको ख़ुशियों का दान
देगा वही तुझको ख़ुशियों का दान
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान
के दिन सारे होते नहीं एक समान
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान
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Bhole musafir itna to jaan-Maa Baap 1944
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