Jun 17, 2016

ऐ जी ऐ जी याद रखना सनम-डाकू मंसूर १९६१

सन १९६१ की एक गुमनाम फिल्म है डाकू मंसूर जिसका गाना पुराने
गीतों के कार्यक्रमों में बजा करता था एक समय. वजह साफ़ है इस
गाने की धुन ज़ुबान पर चढ जाने वाली है. मुबारक बेगम के चुनिन्दा
प्रसिद्ध गीतों में से ये भी एक है. सबसे ज्यादा प्रसिद्ध तो वही है, फिल्म
हमराही का-मुझको अपने गल्ले लगा लो. गीत के शुरूआती बोल जो
हैं-ऐ जी ऐ जी ये महिलाओं द्वारा अपने वो-इत्यादि को किया जाने वाला
एक प्रिय संबोधन है-उदाहरण के लिए-ऐ जी सुनते हो..............

गीत का ओर्केस्ट्राइज़ेशन आपको शंकर जयकिशन के ५० के दशक की
धुनों की याद दिला सकता है. उसके अलावा ये गीत एक और गीत की
तरफ इशारा करता है -ये हवा ये नदी का किनारा. मन्ना डे और आशा
का ये गीत सन १९५८ में आई फिल्म घर संसार में है. घर संसार के
संगीतकार रवि हैं.

पंडित गाफिल नाम के गीतकार ने इसे लिखा है. अब वे गाफिल अपने
नाम के आगे यूँ ही लगाते थे या उनका नाम ही ये था इस बारे में अभी
कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. संगीतकार कृष्ण कमल के बारे में भी
कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. हो सकता है किसी दिन अन्नू कपूर कहीं
से जानकारी खोद लाएं और रेडियो पर बतला दें जनता को. आजकल वे
ही छाये हुए हैं सब जगह मानो उनको जानकारियों का कोई गडा खज़ाना
मिल गया हो



गीत के बोल:

ऐ जी ऐ जी याद रखना सनम प्यार की दास्ताँ
ऐ जी ऐ जी याद रखना सनम प्यार की दास्ताँ
सुन रही है ज़मीन सुन रहा आसमान
सुन रही है ज़मीन सुन रहा आसमान
प्यार की दास्ताँ
ऐ जी ऐ जी याद रखना सनम प्यार की दास्ताँ

हो चाँद तारों की महफिल में तुमने कहा
हो ज़र्रे ज़र्रे ने उल्फत का नगमा सुना
भूल जाना इसे अब न ए मेरी जान
भूल जाना इसे अब न ए मेरी जान
प्यार की दास्ताँ

ऐ जी ऐ जी याद रखना सनम प्यार की दास्ताँ

हो याद रखना सनम प्यार की बात को
आज कि रात को
जिंदगी की हसीं इस मुलाकात को
देख कर खिल उठा जिसे गुलसितां
देख कर खिल उठा जिसे गुलसितां
प्यार की दास्ताँ

ऐ जी ऐ जी याद रखना सनम प्यार की दास्ताँ

हो जब तलक चाँद सूरज सितारें रहें
हो तुम हमारे रहो हम तुम्हारे रहें
हो जहाँ में मुहब्बत का ऊंचा निशाँ
हो जहाँ में मुहब्बत का ऊंचा निशाँ
प्यार की दास्ताँ

ऐ जी ऐ जी याद रखना सनम प्यार की दास्ताँ
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Ae ji ae ji yaad rakhna sanam-Daku Mandoor 1961

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