Jul 19, 2016

हम हाल-ए-दिल सुनायेंगे-मधुमति १९५८

संगीत जगत का एक सितारा और बिछड गया श्रोताओं से.
नश्वर संसार है जो आएगा वो जायेगा ही, मगर कुछ लोग
तसल्ली से जाते हैं और कुछ दुःख-दर्द को समेटे हुए.

मुबारक बेगम ने भी आज इस नश्वर संसार को अलविदा
कह दिया. संघर्षपूर्ण जीवन ही रहा उनका ताउम्र. जिस
प्रसिद्धि और शोहरत की वे हकदार थीं वो उन्हें मिली नहीं.
बॉलीवुड का रुपहला सुनहरा संसार दिखने में चमकदार
ज़रूर है मगर उस चमक में कितनों की तकलीफें और दर्द
छुपे हुए हैं वो आम जनता को मालूम नहीं हो पाते.

आज एक गीत सुनते हैं फिल्म मधुमति से जिसके मुखड़े
के बोल मानो लगता है उनके दर्द को बयान कर रहे हैं.
लगभग यही रहा उनके साथ-वे हाल-ए-दिल सुनाती रहीं
मगर सुनने वाले ना मिले.


ऑडियो


वीडियो



गीत के बोल:

तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता
तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता
वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता

हम हाल-ए-दिल सुनायेंगे सुनिए कि न सुनिए
हम हाल-ए-दिल सुनायेंगे सुनिए कि न सुनिए
सौ बार मुस्कुरायेंगे सुनिए कि न सुनिए
सुनिए कि न सुनिए
हम हाल-ए-दिल सुनायेंगे

रहेगा इश्क तेरा ख़ाक में मिला के मुझे
हुए हैं इब्तदा में रंज इत्तहाम के मुझे

हम हाल-ए-दिल सुनायेंगे सुनिए कि न सुनिए
सौ बार मुस्कुरायेंगे सुनिए कि न सुनिए
सुनिए कि न सुनिए
हम हाल-ए-दिल सुनायेंगे

अजब है आह मेरी नाम दाग है मेरा
तमाम शहर जला दोगे क्या जला के मुझे

हम हाल-ए-दिल सुनायेंगे सुनिए कि न सुनिए
सौ बार मुस्कुरायेंगे सुनिए कि न सुनिए
सुनिए कि न सुनिए
हम हाल-ए-दिल सुनायेंगे सुनिए कि न सुनिए
हम हाल-ए-दिल सुनायेंगे
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Ham haal-e-dil sunayenge-Madhumati 1958

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