तड़पत बीते दिन रैन-चंडीदास १९३४
है चंडीदास फिल्म से के एल सहगल का गाया गीत जिसे लिखा
है आगा हश्र कश्मीरी ने और इसके संगीतकार हैं राय चंद्र बोराल.
उल्लेखनीय है हमारी फिल्मों ने बोलना सन १९३३ में किया था.
इस लिहाज से फिल्म संगीत अपनी शैशव अवस्था में ही था. एक
बात ज़रूर है उस समय के संगीतकार पारंपरिक शैली और राग
रागिनियों का प्रयोग ज्यादा करते थे. राय चंद्र बोराल खुद शास्त्रीय
संगीत में पारंगत थे और वे प्रसिद्ध न्यू थिएटर्स नाम की संस्था में
संगीत विभाग संभाला करते थे.
बोराल को फिल्म संगीत का पितृ पुरुष कहा जाता है. अनिल बिश्वास
के शब्दों में वे सिनेमा संगीत के भीष्म पितामह थे. उन्होंने हिंदी
और बंगाली फ़िल्में मिला कर लगभग ७४-७५ फिल्मों में संगीत दिया.
राय चंद्र बोराल को फिल्मों में प्लेबैक शुरू करवाने का श्रेय जाता है.
गीत के बोल:
तड़पत बीते दिन रैन
तड़पत बीते दिन रैन
निस दिन बिरहा तोरा सतावे
निस दिन बिरहा तोरा सतावे
कैसे आवे मोहे चैन
तड़पत बीते दिन रैन
रात कटे गिन गिन के तारे
ढूँढत नैना सांझ सकारे
रात कटे गिन गिन के तारे
ढूँढत नैना सांझ सकारे
आवो सुनाओ मन के बाती
आवो सुनाओ मन के बाती
मधुर मधुर बैन
मधुर मधुर बैन
तड़पत बीते दिन रैन
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Tadpat beete din raina-Chandidas 1934
Artist: KL Saigal
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