नज़र नवाज़ नज़ारों में जी-गैर फ़िल्मी गीत
गज़ल गायकी के लिए मशहूर शांति हीरानंद की गाई एक
रचना सुनते हैं जिसे शकील बदायूनीं ने लिखा है.
बेगम अख्तर की शिष्या रहीं शांति की गायन में वही गंभीर
अंदाज़ और रंग मिलते हैं. शास्त्रीय संगीत में पारंगत शांति
ने बेगम अख्तर के जीवन पर एक पुस्तक भी लिखी है.
गीत के बोल:
नज़र नवाज़ नज़ारों में जी नहीं लगता
वो क्या गए के बहारों में जी नहीं लगता
ना पूछ मुझसे तेरे गम में क्या गुज़रती है
ना पूछ मुझसे तेरे गम में क्या गुज़रती है
यही कहूँगा हजारों में जी नहीं लगता
नज़र नवाज़ नज़ारों में जी नहीं लगता
कुछ इस कदर है हमें जिंदगी से दिल मायूस
कुछ इस कदर है हमें जिंदगी से दिल मायूस
खिज़ायें गयीं तो बहारों में जी नहीं लगता
नज़र नवाज़ नज़ारों में जी नहीं लगता
फ़साना-ऐ-शब्-ऐ-गम खत्म होने वाला है
फ़साना-ऐ-शब्-ऐ-गम खत्म होने वाला है
शकील चाँद सितारों में जी नहीं लगता
वो क्या गए के बहारों में जी नहीं लगता
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Nazar nawaz nazaron mein jee-Non film song
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