तुम्हें जो भी देख लेगा-मजबूर १९६४
मजबूर हो जाता है कि इसका संगीत हेमंत कुमार द्वारा दिया
गया है. विश्वजीत फिल्म के हीरो हैं और इस गीत का मामला
भी कुछ कुछ बीस साल बाद इश्टाईल का हैं.
गीत कुछ कुछ यूँ है मानो एक बकरी कल्याणजी आनंदजी के
बाडे की घास चरते चरते हेमंत कुमार के बाडे में घुस गयी हो.
संगीत संयोजन गीत के शुरू का तो कल्याणजी आनंदजी वाला
है मगर बाद में हेमंत कुमार के अंदाज़ वाला.
बहुत कम गीत ऐसे मिलेंगे आपको जिसमें नायक नायिका किसी
तालाब या पोखर में तैरते हुए गीत गा रहे हों. ज्यादा देर पानी
में भैंसों को नहाने में दिक्कत नहीं होती मगर इंसानों को होती
है, जिन्हें ज्यादा मात्रा में एक बार में नहाने की आदत ना हो.
ज्यादा ताम झाम नहीं किया गया है इस गीत के लिए. एक ही
पोशाक पूरे गीत में दिखलाई देगी आपको नायक और नायिका की.
गीत पूरा होते तक शायद कपडे सूख गए होंगे !
गीत लाजवाब है और ऐसी तारीफें करना आज की जनरेशन को
कुछ अजीब लगता होगा.
गीत के बोल:
तुम्हें जो भी देख लेगा
किसी का ना हो सकेगा
तुम्हें जो भी देख लेगा
किसी का ना हो सकेगा
परी हो बला हो क्या हो तुम
तुम्हें जो भी देख लेगा
किसी का ना हो सकेगा
परी हो बला हो क्या हो तुम
तुम्हें जो भी देख लेगा
दुनिया चले उधर ही जिधर ये निगाह घूमे
शबनम को देख लो गर बन कर शराब झूमे
नशा ही नशा हो क्या हो तुम
तुम्हें जो भी देख लेगा
किसी का ना हो सकेगा
परी हो बला हो क्या हो तुम
तुम्हें जो भी देख लेगा
कजरारे नैन भंवरे पलकें जो खोलते हैं
दिलों की बिसात क्या है ईमान भी डोलते हैं
भूतों के खुदा हो क्या हो तुम
तुम्हें जो भी देख लेगा
किसी का ना हो सकेगा
परी हो बला हो क्या हो तुम
तुम्हें जो भी देख लेगा
कहाँ ये दमकता मुखडा कहाँ ऐसा नूर होगा
जिसने बनाया तुमको उसे भी गुरूर होगा
खुदा की अदा हो क्या हो तुम
तुम्हें जो भी देख लेगा
किसी का ना हो सकेगा
परी हो बला हो क्या हो तुम
तुम्हें जो भी देख लेगा
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Tumhen job hi dekh lega-Majboor 1964
Artists: Biswajeet, Waheeda Rehman
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