छत पे काला कौवा बैठा-झूठ बोले कौवा काटे १९९८
ब्लॉग पर या फिर सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला ब्लॉग. ऐसे
शब्दों को ज्यादा तरजीह मिला करती है. जैसे अपने टी वी
के विभिन्न मसल्स(मटन की दुकान) बनाने वाले उत्पादों
के विज्ञापन में मुश्टन्डो को ‘ये अच्छा है, वो अच्छा है’
या ‘अमेजिंग’ शब्द को बड़े ही अमेजिंग तरीकों से बोलते
कहते सुना होगा अक्सर वैसे ही कई सयाने जंतु अपनी साईट
पर झंडे जैसे कुछ लगा लिया करते हैं-सबसे अच्छा, सबसे
बढ़िया. एक लाख पाठक एक महीने में. साला हमें तो १०
साल में १० लाख नहीं मिले तुम्हें १ महीने में १ लाख मिल
गए?? इतनी हिट्स तो किसी उम्दा पोर्न साईट को ही मिला
करती हैं.
लिखना भी एक कला है जिसमें जबरन का काला पीला भी
किया जाता है और जी भर के. एक साबुन बनाने वाले ब्लॉग
पर मैंने उसके फार्मूले से ज्यादा ये पढ़ा-साबुन बनाने वाली
बाई की मॉम किसी शॉपिंग माल में घूम के आई, उसके कुत्ते
ने डॉग-बिस्किट नहीं खाया. उसके बच्चे के डाइपर खत्म
हो गए. उसका पति दफ्तर जाता है वगैरह वगैरह. हर दूसरी
लाइन में अफिलिएट लिंक. ऐसे क्यूतिया बनाने वाली बहुत
सी साइटें हैं. लाखों की तादाद में. मेरी इच्छा हुई थी उधर
कमेन्ट करने की-तेरे कुत्ते ने बिस्किट नहीं खाया तो अपने
पति को खिला दे, दुआएं देगा. सोप के फार्मूले में पूरा सोप
ओपेरा घुसेड डाला.
फिल्म झूठ बोले कौवा काटे से अगला गीत सुनते हैं जिसे
श्यामक डाबर ने गाया है. गीत आनंद देने वाले बक्षी साहब
ने लिखा है और इसकी धुन बनाई है आनंद मिलिंद ने.
है ना आनंद ही आनंद. इसे किसी आनंद नाम के कलाकार
पर फिल्माया गया होता तो परमानन्द की प्राप्ति हो जाती.
गीत के बोल:
छत पर काला कौवा बैठा कांय कांय करता रहता
छत पर काला कौवा बैठा कांय कांय करता रहता
सब्सेकेहता आते जाते
झूठ बोले कौवा काटे झूठ बोले कौवा काटे
झूठ बोले कौवा काटे झूठ बोले कौवा काटे
एक थी लड़की एक था लड़का दोनों का दिल साथ में धड़का
एक थी लड़की एक था लड़का दोनों का दिल साथ में धड़का
दिल के अंदर शोला भड़का बस आगे हम नहीं बताते
झूठ बोले कौवा काटे झूठ बोले कौवा काटे
झूठ बोले कौवा काटे झूठ बोले कौवा काटे
तौबा तौबा राम दुहाई हमने काहे आँख लड़ाई
तौबा तौबा राम दुहाई हमने काहे आँख लड़ाई
चैन गंवाया नींद गंवाई इस सौदे में कितने घाटे
झूठ बोले कौवा काटे झूठ बोले कौवा काटे
झूठ बोले कौवा काटे झूठ बोले कौवा काटे
प्रेम कहानी रानी राजा खुला हुआ है हर दरवाजा
प्रेम कहानी रानी राजा खुला हुआ है हर दरवाजा
यार पुकारे आ जा आ जा हमने कहा जा हम नहीं आते
झूठ बोले कौवा काटे झूठ बोले कौवा काटे
झूठ बोले कौवा काटे झूठ बोले कौवा काटे
छत पर काला कौवा बैठा कांय कांय करता रहता
छत पर काला कौवा बैठा कांय कांय करता रहता
सबसे कहता आते जाते
झूठ बोले कौवा काटे झूठ बोले कौवा काटे
झूठ बोले कौवा काटे झूठ बोले कौवा काटे
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Chhat pe kaala kauwa baitha-Jhooth bole kauwa kaate 1998
Singer: Shiamak Davar,
3 comments:
बोलो परमानन्द की जय
उन प्रोमोशनल एड्स से छुटकारा मिला.
बाप रे बाप कितना दिमाग चाट जाते थे वो.
अभी वाले विज्ञापन क्या कम चाटते हैं ?
बाबजी को इतनी बार देख लिए,
कईयों ने उनकी दाढ़ी के बाल गिन लिए होंगे
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