May 25, 2017

अदा से झूमते हुए-सिंदबाद द सेलर १९५२

अगर हिंदी फिल्मों की थ्योरी से चला जाए तो वास्को-डी-गामा
गामा जैसा कोई पहलवान रहा होगा और उसके जीवन में भी
कोई ना कोई प्रेम प्रसंग रहा होगा और उसने भी लटकों झटकों
के साथ फ़िल्मी गीत गाये होंगे. हिंदी फिल्मों ने सिकंदर से
हिंदी गीत गवा लिए तो फिर कोई भी ऐतिहासिक किरदार गीत
गा सकता है.

आज सुनते हैं सन १९५२ की फिल्म सिंदबाद द सेलर से एक
गीत रफ़ी और शमशाद बेगम का गाया हुआ. अंजुम जयपुरी के
बोल हैं और चित्रगुप्त का संगीत. इसमें उन्होंने अपना समकालीनों
की स्टाइल में ही संगीत के कालीन बिछाए हैं.




गीत के बोल:

अदा से झूमते हुए दिलों को चूमते हुए
ये कौन
ये कौन मुस्कुरा दिया ये कौन मुस्कुरा दिया

है आज ज़िंदगी जवाँ बसा है प्यार का जहाँ
है आज ज़िंदगी जवाँ बसा है प्यार का जहाँ
नज़र ने दिल के साज़ पर
नज़र ने दिल के साज़ पर ये कैसा गीत गा दिया

अदा से झूमते हुए दिलों को चूमते हुए
ये कौन
ये कौन मुस्कुरा दिया ये कौन मुस्कुरा दिया

जो इश्क़ बेक़रार है तो हुस्न पर निखार है
जो इश्क़ बेक़रार है तो हुस्न पर निखार है
बरस रही है चाँदनी
बरस रही है चाँदनी वो चाँद गुनगुना दिया

अदा से झूमते हुए दिलों को चूमते हुए
ये कौन
ये कौन मुस्कुरा दिया ये कौन मुस्कुरा दिया

नज़ारे मस्त हो चुके हम अपने दिल को खो चुके
नज़ारे मस्त हो चुके हम अपने दिल को खो चुके
न जाने आज किसने ये
न जाने आज किसने ये नक़ाब-ए-रुख़ उठा दिया

अदा से झूमते हुए दिलों को चूमते हुए
ये कौन
ये कौन मुस्कुरा दिया ये कौन मुस्कुरा दिया
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Ada se jhoomte hue-Sindbad the sailor 1952

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