इश्क में हम तुम्हें क्या बताएं-मुन्नी बेगम
ग़ज़ल को काफी सारे लोग गा चुके हैं. ये एक लाइव
कार्यक्रम में गाई जा रही है.
ग़ज़ल के बोल:
इश्क़ में हम तुम्हें क्या बताएं
किस क़दर चोट खाये हुए हैं
इश्क़ में हम तुम्हें क्या बताएं
किस क़दर चोट खाये हुए हैं
मौत ने हमको मारा है और हम
मौत ने हमको मारा है और हम
ज़िंदगी के सताये हुए हैं
इश्क़ में हम तुम्हें क्या बताएं
ऐ लहद अपनी मिट्टी से कह दे
दाग लगने न पाये क़फ़न को
ऐ लहद अपनी मिट्टी से कह दे
दाग लगने न पाये क़फ़न को
आज ही हमने बदले हैं कपड़े
आज ही हमने बदले हैं कपड़े
आज ही के नहाये हुए हैं
आज ही हमने बदले हैं कपड़े
आज ही के नहाये हुए हैं
इश्क़ में हम तुम्हें क्या बताएं
क्या है अंजामे उल्फत पतंगों
जा के शमा की नगरी में देखो
क्या है अंजामे उल्फत पतंगों
जा के शमा की नगरी में देखो
कुछ पतंगों की लाशें पड़ी हैं
पर किसी के जलाये हुए हैं
कुछ पतंगों की लाशें पड़ी हैं
पर किसी के जलाये हुए हैं
इश्क़ में हम तुम्हें क्या बताएं
उनकी तारीफ क्या पूछते हो
उम्र सारी गुनाहों में गुज़री है
उनकी तारीफ
उनकी तारीफ क्या पूछते हो
उम्र सारी गुनाहों में गुज़री है
पारसा बन रहे हैं वो वैसे
जैसे गंगा नहाये हुए हैं
पारसा बन रहे हैं वो वैसे
जैसे गंगा नहाये हुए हैं
इश्क़ में हम तुम्हें क्या बताएं
देख साकी तेरे मयकदे का
एक पहुंचा हुआ रिंद हूँ मैं
देख साकी तेरे मयकदे का
एक पहुंचा हुआ रिंद हूँ मैं
जितने आये हैं मय्यत पे मेरी
सब के सब ही लगाये हुए हैं
जितने आये हैं मय्यत पे मेरी
सब के सब ही लगाये हुए हैं
इश्क़ में हम तुम्हें क्या बताएं
किस क़दर चोट खाये हुए हैं
इश्क़ में हम तुम्हें क्या बताएं
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Ishq mein ham tumhen kya batayen-Munni Begum
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