बोल मेरे साथिया-ललकार १९७२
समझिए. रफ़ी और लाता का गया युगल गीत है जिसे
हसरत जयपुरी ने लिखा और कल्याणजी आनंदजी ने
संगीत की स्वर लहरियों पर तैराया.
गीत के बोल:
साथिया रे साथिया रे
बोल मेरे साथिया
बोल मेरे साथिया
कितना मुझसे प्यार है
बोल मेरे साथिया
कितना
कितना मुझसे प्यार है
जितनी सागर की गहराई
जितनी अंबर की ऊँचाई
इतना तुमसे प्यार है
बोल मेरे साथिया
कितना मुझसे प्यार है
ये बरखा जब छेड़े
इन बूँदों के साज़ को
ये बरखा जब छेड़े
इन बूँदों के साज़ को
मेरा दिल तब तरसे
तेरी ही आवाज़ को
जब जब कोयल गीत सुनाये
भंवरा गुन गुन गाये
तब तुम समझो तब तुम जानो
मेरी ही पुकार है
बोल मेरे साथिया
कितना मुझसे प्यार है
बोल मेरे साथिया
कितना मुझसे प्यार है
रँग डाला ये जीवन
हमने तेरे प्यार में
रँग डाला ये जीवन
हमने तेरे प्यार में
ये तन मन तेरा है
तू है दिल के तार में
सदियां बीतीं तुमपे मरते
नाम तुम्हारा जपते
मौसम बदलें हम न बदलें
ये अपना इक़रार है
बोल मेरे साथिया
कितना मुझसे प्यार है
जितनी सागर की गहराई
जितनी अंबर की ऊँचाई
इतना तुमसे प्यार है
बोल मेरे साथिया
कितना मुझसे प्यार है
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Bol mere sathiya-Lalkar 1972
Artists: Rajendra Kumar, Mala Sinha
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