चलो मन जायें घर अपने-स्वामी विवेकानंद १९९५
फिल्म: स्वामी विवेकानंद
वर्ष: १९९५
गीतकार:गुलज़ार
गायक:येसुदास
संगीत: सलिल चौधरी
गीत के बोल:
चलो मन जायें घर अपने
इस परदेस में ओ परदेस में
क्यों परदेसी राहें ये
चलो मन जायें घर अपने
आँख जो भाये वो कोरा सपना
आँख जो भाये वो कोरा सपना
सारे पराये हैं कोई न अपना
सारे पराये हैं कोई न अपना
ऐसे झूठे प्रेम में पड़ना भूल में काहे जियें
चलो मन जायें घर अपने
सच्चे प्रेम की ज्योत जला के
सच्चे प्रेम की ज्योत जला के
मन सुन मेरे कान लगा के
मन सुन मेरे कान लगा के
पाप और पुण्य की गडरी उठा के
अपनी राह चलें
चलो मन जायें घर अपने
इस परदेस में ओ परदेस में
क्यों परदेसी राहें ये
चलो मन जायें घर अपने
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Chalo man jayen ghar apne-Swami Vivekananda 1995
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