रात आई है नया रंग जमाने के लिए-अमृत मंथन १९३४
में हुआ. कंपनी की शुरुआत कोल्हापुर से हुई थी.
शांता आप्टे का गाया गीत सुनते हैं जिसकी धुन बनाई है
केशवराव भोले ने. गीत किसने लिखा है इसकी खोज जारी
है. फिल्म के नायक अपने ज़माने के नामचीन अभिनेता हैं
चंद्रमोहन.
गीत के बोल:
रात आई है नया रंग जमाने के लिए
ले के आराम का पैगाम ज़माने के लिए
गुनगुनाती हुई धीरे से ये आती है सबा
थपकियाँ माँ की तरह दे के सुलाने के लिए
कैसे बेरहमी से बिखरे हैं ये लाल-ओ-गोहर
आसमान क्या तेरी दौलत है लुटाने के लिए
क्या ही अच्छा है ये बचपन का ज़माना भी यहाँ
मौज करने के लिए खेलने खाने के लिए
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Raat aayi hai naya rang-Amrit Manthan 1934
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