चक दे इंडिया-चक दे इंडिया २००७
है-मसाला फ़िल्में. इसके अलावा सामानांतर सिनेमा होता है जिसकी
फ़िल्में कब आयीं कब गयीं मालूम करना मुश्किल होता है.
खेल प्रधान फ़िल्में कम बनी हैं अभी तक. जितनी भी बनी हैं वे
मसलों से भरपूर रही हैं मसलन गानों से लबालब, प्यार इश्क के
चर्चों से पटी पड़ीं फ़िल्में. सन २००७ की फिल्म चक दे इण्डिया
इस मामले में थोड़ी अलग फिल्म है जिसमें खेल पर काफी ध्यान
दिया गया है. एक अच्छा और सार्थक प्रयास है जिसकी चहुँ-ओर
सराहना हुई. इसकी सफलत इस बात का संकेत भी है कि दर्शक
अब गंभीर विषयों पर बनी फ़िल्में भी देखना चाहता है.
एक प्रश्न ज़रूर मन में कौंधता है अगर शाहरुख खान की जगह इस
फिल्म में कोई और कम जाना पहचाना नायक होता तब भी क्या ये
फिल्म उतनी ही सफल होती ?
सुनें इस फिल्म से जयदीप साहनी का लिखा और सलीम-सुलेमान
द्वारा संगीतबद्ध सुखविंदर और सलीम मर्चेंट का गाया एक गीत जो
काफी लोकप्रिय हुआ था.
गीत के बोल:
कुछ करिए कुछ करिए
नस नस मेरी खोले हाय कुछ करिए
कुछ करिए कुछ करिए
बस बस बड़ा बोले अब कुछ करिए
हो कोई तो चल ज़िद्द फड़िए तू बिदरिये या मरिये
चक दे हो चक दे इंडिया
चक दे हो चक दे इंडिया
कुचों में गलियों में राशन की फलियों में
बैलों में बीजों में ईदों में तीजों में
रेतों के दानों में फिल्मों के गानों में
सड़को के गड्ढों में बातों के अड्डों में
हुंकारा आज भर ले दस बारह बार कर ले
रहना ना यार पीछे कितना भी कोई खींचे
टस है ना मस है जी ज़िद है तो ज़िद है जी
किसना यूँ ही पिसना यूँ ही पिसना यूँ ही
बस करिए
कोई तो चल ज़िद्द फड़िए तू बिदरिये या मरिये
चक दे हो चक दे इंडिया
चक दे हो चक दे इंडिया
लड़ती पतंगों में भिड़ती उमँगों में
खेलों के मेलों में बलखाती रेलों में
गन्नों के मीठे में खद्दर में झींटें में
ढूँढो तो मिल जावे पत्ता वो ईंटों में
रंग ऐसा आज निखरे और खुलके आज बिखरे
मन जाए ऐसी होली रग-रग में दिल के बोली
टस है ना मस है जी ज़िद है तो ज़िद है जी
किसना यूँ ही पिसना यूँ ही पिसना यूँ ही
बस करिए
कोई तो चल ज़िद्द फड़िए तू बिदरिये या मरिये
चक दे हो चक दे इंडिया
चक दे हो चक दे इंडिया
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Chak de India-Tite song 2007
Artists: Sharukh Khan
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