लाई हयात आये क़ज़ा-सहगल गैर फ़िल्मी गीत
की आवाज़ में. ज़ौक और मिर्ज़ा ग़ालिब समकालीन
थे.
इस रचना को कई कलाकारों ने अपने अपने अंदाज़
में गाया है. इसके अलावा शायद बेगम अख्तर वाला
वर्ज़न काफी लोकप्रिय है.
गीत के बोल:
लाई हयात आये क़ज़ा ले चली चले
लाई हयात आये क़ज़ा ले चली चले
अपनी खुशी न आये ना
अपनी खुशी न आये ना अपनी खुशी चले हाँ
अपनी खुशी न आये न अपनी खुशी चले
बेहतर तो है यही के न दुनिया से दिल लगे
बेहतर तो है यही के न दुनिया से दिल लगे
पर क्या करें जो काम ना
पर क्या करें जो काम ना बेदिल्लगी चले
हाँ पर क्या करें जो काम न बेदिल्लगी चले
दुनिया ने किस का राह-ए-फ़नां
दुनिया ने किस का राह-ए-फ़नां में दिया है साथ
दुनिया ने किस का राह-ए-फ़नां में दिया है साथ
तुम भी चले चलो यूँ ही जब तक चली चले
तुम भी चले चलो यूँ ही जब तक चली चले
जा के हवा-ए-शौक में हैं
जा के हवा-ए-शौक में हैं इस चमन से 'ज़ौक़'
जा के हवा-ए-शौक में हैं इस चमन से 'ज़ौक़'
अपनी बला से बाद-ए-सबा
अपनी बला से बाद-ए-सबा अब कभी चले
अपनी बला से बाद-ए-सबा अब कभी चले
लायी हयात आये क़ज़ा ले चली चले
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Laayi hayat aaye qaza-KL Saigal Non film song
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