सोलह सिंगार कर के जो-गबन १९६७
सुनवाते हैं सुहाग रात हिट्स के अंतर्गत एक गीत.
साफ़ सुथरा गीत है क्यूंकि ६० के दशक का है आज
के समय का होता अगर ऐसा गीत तो उसमें विवरण
कुछ ज्यादा मात्रा में होता.
हसरत जयपुरी की रचना है और शंकर जयकिशन का
संगीत जिसे रफ़ी ने गाया है. गीतकार ने सुहाग रात
के आविष्कार के लिए नीली छतरी वाले को धन्यवाद
दिया है.
गीत के बोल:
सोलह सिंगार कर के जो आई सुहाग रात
आई सुहाग रात
सोलह सिंगार कर के जो आई सुहाग रात
आई सुहाग रात
जलवे तुम्हारे हुस्न के लाई सुहाग रात
लाई सुहाग रात
चेहरा तुम्हारा देख के हैरान हो गया
चेहरा तुम्हारा देख के हैरान हो गया
मेरा ख्याल नूर की दुनिया में खो गया
शर्म-ओ-हया के भेस में पायी सुहाग रात
शर्म-ओ-हया के भेस में पायी सुहाग रात
सोलह सिंगार कर के जो आई सुहाग रात
आई सुहाग रात
बालों में फूल मांग में तारे भरे हुए
बालों में फूल मांग में तारे भरे हुए
होंठों के रंग जैसे गुलिस्तां खिले हुए
मेरे लिया फिज़ा ने सजाई सुहाग रात
मेरे लिया फिज़ा ने सजाई सुहाग रात
सोलह सिंगार कर के जो आई सुहाग रात
आई सुहाग रात
ये रात ऐसी रात है आती है एक बार
ये रात ऐसी रात है आती है एक बार
जज़्बात अपने प्यार के लाती है एक बार
मालिक ने हाय खूब बनाई सुहाग रात
मालिक ने हाय खूब बनाई सुहाग रात
सोलह सिंगार कर के जो आई सुहाग रात
आई सुहाग रात
जलवे तुम्हारे हुस्न के लाई सुहाग रात
लाई सुहाग रात
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Solah singaar kar ke-Gaban 1966
Artist: Sunil Dutt, Sadhana
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