Apr 27, 2020

किन वजहों से बॉलीवुड शिट लगता है

एक ज्ञान चक्षु खोलने वाला वीडियो हमने देखा यूट्यूब पर जिसमें
हमें कुछ सटीक कारण मिले जिनकी वजह से बॉलीवुड शिटी लगता
है. आजतक हम बहुत कन्फ्यूज्ड थे इस बात को ले के कि कुछ
तो है जो हमें भी हजम नहीं होता मगर देखे चले जा रहे हैं.
हाजमोला हो या बाबाजी का चूरन, बोतलें गटक जाओ तब भी
ये अपाच्य ऐसा क्या है जो वैचारिक अपान क्रियेट कर रहा है.

विषय की प्रस्तावना भी आवश्यक है. तरह तरह का गोबर, पोटा ले
कर कंडे बनाये जाते हैं. बनाने के बाद क्या आप बतला सकते हैं
गाय का गोबर कौन सा, सांड का कौन सा, भैंस का किधर और
बकरी की मींगणी किधर. बुल-शिट का अर्थ सांड या बैल का गोबर.
ये तो स्पेसिफाई हो गया. अंग्रेजी के लिहाज से सब प्रकार की
बकवास का एक ही अर्थ है जो ऊपर वर्णित शब्द द्वारा नामित होती
है.



१. कवि कहता है-पहली वजह ये है-विसंगत कथानक. १२ वीं शताब्दी
वाली चलन से बाहर की चीज़ें.

काफी हद तक सटीक है. जब एक फिल्म में डीज़ल इंजिन में कोयले
का बेलचा दिखलाई दे सकता है तो एरोप्लेन में गाजर की खेती भी
दिखलाई दे सकती है. कटप्पा ने बाहुबली को क्यूँ मारा राष्ट्रीय चर्चा
का विषय बन सकता है तो क्यूँ नहीं.

क्या हम ऑफ टॉपिक चले गए. हमारी चर्चा का स्कोप सिर्फ और
सिर्फ बॉलीवुड है. अरे यार जब दक्षिण की फिल्म डब कर के हमें
हिंदी भाषा में दिखलाओगे तो हम तो उसे हिंदी फिल्म ही समझेंगे.
और फिर हमारी फेवरेट रम्या फिल्म में है, हमें फिल्म को हिंदी
फिल्म समझने के लिए यही बहुत है. बताइये, बात करते हैं फिजूल.

ऐतिहासिक कथानकों का बारम्बार बनाया जाना. सब अपने अपने
एंगल से बना रहे हैं. कोई कहे पिछली फिल्म में राजा की छींक
नहीं दिखलाई दी थी. हम विज़ुअल इफेक्ट्स द्वारा उसे कलरफुल
बनायेंगे. हीरोईन के चेहरे पर कील मुहांसे थे तो उसके क्लोज़ अप
शॉट अच्छे नहीं आये. हम गोल्ड वाला फेशियल करवाएंगे हीरोईन का.
दरबार का शॉट ऊंची ट्राली से अच्छा नहीं आया. राजा का कद बड़ा
दिखना चाहिये हम ज़मीन में १० फीट का गहरा गड्ढा खोद कर उसे
दिखलायेंगे. ठिगना हीरो भी जियो के टॉवर जितना लंबा और हैंडसम
दिखाई देगा.

२. दो पुती हुई खूबसूरत महान पुतलियों के बीच प्यार की बारम्बार
दोहराई जाने वाली कहानी जिसमें जीवन का उद्देश्य नदारद है.- अरे
वो तो है ही जब इस देश की अधिकाँश आबादी के पास खाने और
हगने के अलावा कोई सार्थक उद्देश्य नहीं है तो बॉलीवुड से क्या युग
परिवर्तन की उम्मीद कर रहे हैं हम लोग. बाबा जयगुरुदेव ने जगह
जगह दीवारों पे, जंगल में, पहाड़ों पर लिखवाया था-कलयुग में सतयुग
आएगा. वैसे ही उम्मीद है कि बॉलीवुड में भी एक दिन बदलाव
ज़रूर आयेगा.

क्या ख़ाक आयेगा. लोकप्रियता कम ना हो जाए और इन्स्टाग्राम से
कमाई एक ग्राम भी कम ना हो जाए इसलिए ढेर सारे कलाकार बंडी
पाजामे में अपने ठुमके लगा लगा कर न्यूज़ चैनलों में दिखाई दे रहे
हैं.

३ फन्तासी कहानियों और भैंसों के तबेले से निकली नायिकायें जो
सुन्दर तो दिखाई देती हैं मगर एक्टिंग गलती से भी कर लें, मजाल है.

ये तो पुराने ज़माने से चला आ रहा है.  इसमें कौन सा आश्चर्य है?

नोट:अंग्रेजी का शब्दश: अनुवाद से उसकी आत्मा भाग जाती है अतः
हमने इसे अपने अनुसार समझ लिया.


४. एक नायक जो ५० पार कर चुका है उसे रिटायर हो जाना चाहिये.
इसमें थोडा सा हमें डाउट है. हिंदी फिल्म का हीरो मुंह से दांत गिर
जाएँ तब भी जवान रहता है. अभी बहुत से बुड्ढे ठुड्डे काम कर रहे हैं
पहले उनको तो रिटायर करो, फिर बात करेंगे.

५. नायक जिसके पास भौतिकी के नियमों को पिछाड़ी दिखाने की क्षमता
हो और जो अजर अमर है. वैसे कवि ने कुछ और कहा था, हमने कुछ और
समझ लिया. अब हम ऐसे शब्द खुल्लमखुल्ला तो नहीं लिख सकते ना.

अरे सालों से क्लिष्ट भाषाओँ के जानकार बिल्ली को कुत्ता बतलाते आ रहे
हैं उनको नहीं बोलोगे कुछ हमीं पे धौंस दिखाते हो.

ज़मीन पे घूँसा मार के भूकंप लाने वाले हीरो लोग को भू-जल सर्वेक्षण वाले
अपने साथ क्यूँ नहीं कर लेते. जिसकी जे. सी. बी. खराब हो गई हो, इन्हें
बुला लो, पलक झपकते नाली खोद देंगे.

६. बॉलीवुड के कलाकारों द्वारा अपने बच्चों को लॉन्च करना जो बुरे एक्टर
साबित होते हैं.

जिसकी लाठी उसकी भैंस. लाठी का अर्थ यहाँ पैसा, पहुँच, सम्बन्ध, जान
पहचान वगैरह से है. भैंस से तो आप समझ ही गए होंगे, नहीं .......फिल्म.
अपने चन्दन को कोई गोबर कहता है भला !

७. मैंगो पब्लिक यानि के आम जनता जो कुछ भी देखती है आजकल.

वो तो बाबू कृषि दर्शन के ज़माने से देख रही है. हमरा ब्लॉग भी पढ़ लिया
करो कभी कभी. लाईट चले जाने पर भी जनता टी वी स्क्रीन को घूरा करती
थी.

८. वही घिसा पिटा आइटम सॉंग जो हमारा ध्यान काम-लगी-फिल्मों से
भटकाने के लिए होता है. काम-लगी थोडा सोबर शब्द है. कवि ने सही
शब्द का चुनाव किया है जो आप वीडियों में साफ़ देख पायेंगे.

नोट:आपने एक हरयाणवी गायिका के म्यूज़िक वीडियो नहीं देखे हैं, उन्हें देखें
पहले तो आपको फिल्मों के आइटम सॉंग थोड़े अच्छे लगने शुरू हो जायेंगे.


९ फिल्म रिलीज़ ऐसे होता है मानो कोई उल्का पिंड अंतरिक्ष से धरती पर
गिरने वाला हो.

चमक से आँखें चुंधिया जाती हैं और कार के पेंट की ऊपर टेफ़लोन कोटिंग
इसलिए की जाती है ताकि सरफ़ेस स्मूथ और चिकनी रहे. धूल-पानी ना
टिके, फिसल के गिर जाये. यहाँ आपका समय और पैसा फिसल कर गिर
रहा है.

हमने तो यही सीखा और देखा-किसी सुन्दर अभिनेत्री के ऐंडे बैंडे कपडे और
अजीब मेक अप के फोटो किसी मैगज़ीन में आते तो उनके नीचे लिखा होता
-ग्लेमरस. गलेमर का मतलब है-किसी उदबिलाव के ऊपर मेकअप लीप दो
और उसे चमका दो.

१०. लॉजिक किस चिड़िया का नाम है?

वो तो मेरी समझ के भी परे है. छोटा क्षेत्रफल बड़ी आबादी, ज्यादा क्षेत्रफल
छोटी आबादी. ये विसंगति देशों की आबादी के बीच है तो बॉलीवुड के लॉजिक
पर सवाल खड़े करने कि फुर्सत किसे है?

किसी फिल्म में प्रेमी-प्रेमिका, किसी में भाई बहन, किसी में माँ-बेटा. यहाँ
इल-लॉजिक-कल है सब. इल का अर्थ-बीमार, लॉजिक से अर्थ भैंस के आकार
की कोई चीज़, और कल से मतलब कल समझायेंगे. वो आने वाला कल ऐसा
कुछ होता है जिसके बारे में दुकानों पर लिखा होता है-आज नकद कल उधार.

अच्छा ख़ासा धंधा चलता छोड़ के लोगों को कीड़ा काट जाता था और वे
फिलम बना लेते थे. उसके बाद चड्डी-बनियान तक सब बिक जाता था.
अब जिन जिन लोगों ने वो चड्डी बनियान खरीदे वे फ़िल्में बना रहे हैं.
कहा है. जो चड्डी आज तुम्हारी है, वो कल किसी और की होगी परसों
किसी और की.
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Top reasons why bollywood is shit-Article

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