May 18, 2020

एक लौ इस तरह क्यों बुझी-आमिर २००८

फिल्म उद्योग में अमिताभ नाम की शख्सियतें कम हैं.
महानायक के अलावा जो दो नाम हैं वो गीतकारों के
हैं-अमिताभ भट्टाचार्य के नाम से तो इस समय के
सभी संगीत प्रेमी वाकिफ हैं मगर एक नाम और है जो
उतना प्रसिद्ध नहीं मगर उल्लेखनीय है वो है गीतकार
अमिताभ वर्मा का.

अमिताभ वर्मा रचित गीत आपको फिर कभी सुनवायेंगे.
फिलहाल सुनते हैं अमिताभ भट्टाचार्य का लिखा गीत
जिसमें शिल्पा राव की आवाज़ के साथ उनकी आवाज़
भी है.

गीत का संगीत अमित त्रिवेदी ने तैयार किया है. फिल्म
आमिर संगीतकार और गीतकार दोनों की पहली फिल्म
कही जा सकती है.



गीत के बोल:

गर्दिशों में रहती बहती गुज़रती
ज़िंदगियाँ हैं कितनी
इनमें से एक है तेरी मेरी या कहीं
कोई एक जैसी अपनी
पर ख़ुदा ख़ैर कर
ऐसा अंजाम किसी रूह को न दे कभी यहाँ
गुंचा मुस्कुराता एक वक़्त से पहले क्यों
छोड़ चला तेरा ये जहाँ

एक लौ इस तरह क्यों बुझी मेरी मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला
एक लौ इस तरह क्यों बुझी मेरी मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला

धूप के उजाले सी ओस के प्याले सी
खुशियाँ मिले हमको
ज़्यादा माँगा है कहाँ सरहदें न हों जहाँ
दुनिया मिले हमको

पर ख़ुदा ख़ैर कर
इसके अरमान में क्यों बेवजह हो कोई क़ुरबान
गुंचा मुस्कुराता इक वक़्त से पहले क्यों
छोड़ चला तेरा ये जहाँ

एक लौ इस तरह क्यों बुझी मेरी मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला
एक लौ इस तरह क्यों बुझी मेरी मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला
एक लौ इस तरह क्यों बुझी मेरी मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला
एक लौ इस तरह क्यों बुझी मेरी मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला
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Ek lau is tarah-Aamir 2008

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