Jun 15, 2020

ग़म-ए-आशियाना सतायेगा-१८५७ १९४६

आज १५ जून, प्रसिद्ध गायिका-नायिका सुरैया और संगीतकार
सज्जाद हुसैन का जन्मदिवस है. इस अवसर पर सुनते हैं
सन १९४६ की फिल्म १८५७ से एक गाना.

इसे लिखा है मोहन सिंह ने और इसकी धुन तैयार की है
सज्जाद हुसैन ने.




गीत के बोल:

ग़म-ए-आशियाना सतायेगा कब तक
सतायेगा कब तक
मुझे मेरा दिल यूँ रुलायेगा कब तक
मुझे मेरा दिल यूँ रुलायेगा कब तक
ग़म-ए-आशियाना सतायेगा कब तक
रुलाएगा कब तक

बना कर बिगाड़े हैं घर तूने लाखों
बना कर बिगाड़े हैं घर तूने लाखों
फ़लक ये तमाशे दिखायेगा कब तक
फ़लक ये तमाशे दिखायेगा कब तक

ग़म-ए-आशियाना सतायेगा कब तक
रुलाएगा कब तक

सितम आज करते हैं इन्साँ पे इन्साँ
सितम आज करते हैं इन्साँ पे इन्साँ

तू इन्साँ को इन्साँ बनाएगा कब तक
तू इन्साँ को इन्साँ बनाएगा कब तक

ग़म-ए-आशियाना सतायेगा कब तक
रुलाएगा कब तक

तेरी आज दुनिया जहन्नुम बनी है
तेरी आज दुनिया जहन्नुम बनी है
जहन्नुम बनी है
तू शान-ए-ख़ुदाई छुपायेगा कब तक
छुपायेगा कब तक
मुझे मेरा दिल यूँ रुलायेगा कब तक
मुझे मेरा दिल यूँ रुलायेगा कब तक
ग़म-ए-आशियाना सतायेगा कब तक
रुलाएगा कब तक
……………………………………………..
Gham-e-ashiana satayega-1857 1946

Artist: Suraiya Lyrics: Mohan Singh

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