Jul 1, 2020

पिछाड़ी पे कुत्ता काटा-देवांग पटेल

कुछ गीत समय के साथ ऐसे बन जाते हैं जो सर्वकालिक
और समय के बंधन से मुक्त होते हैं. इन्हें किसी भी स्तिथि
और समय में फिट कर लो, इनकी प्रासंगिकता खत्म नहीं
होती.

लेझंडरी चीज़ें केवल फिल्मों में नहीं पाई जातीं, ये उससे
अलग भी मौजूद होती हैं. फिल्मवाले और उनसे जुड़े लोगों
को ये गलफहमी हो गई हो के उनके ठुमकों के बिना इसे देश
की जनता को खाना नहीं पचेगा या नींद नहीं आएगी तो
इस भ्रम को दूर करने की ज़रूरत है.

पिछले १० सालों से निरंतर उपक्रम चला आ रहा है इस
ब्लॉग के शुभचिंतकों द्वारा. उन्हें समर्पित है ये गीत.
नियमित पाठक तो खैर सुनते ही हैं, वे भी आनंद उठायें.

ये Who let the dogs out गाने की पैरोडी है.



गीत के बोल:

पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा

चुपके से घर में उसके घुसा
जब कोई न मुझको घर में दिखा
बेडरूम में जब मैं उसके लपका
पीछे से आ के वो जोर से चिपका

पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा

बात ये मुझको समझाना
लड़की के घर में घुस न जाना
चाहे बुलाए वो रात में तुमको
घर में कुत्ता है के नहीं पूछ के जाना

पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा

चीख न सका न बोल सका
न दौड के वापस भाग सका
किसी को कहते हुए शरमाऊँ
ऐसी जगह पर कमीने ने काटा

पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा

 कुछ खा न सकूं मैं पी न सकूं
वहाँ पे भी ठीक से जा न सकूं
चल  ना सकूं खड़ा रह न सकूं
क्या करूं कहीं पे भी बैठ न सकूं

पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा

एक बात न मुझको समझ में आये
घर में लोग कुत्ते क्यूँ रखते हैं
घर में कितने सारे हैं रहते
वो कुत्ते जैसे लोग क्या कम पड़ते हैं

पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
पिछाड़ी पे कुत्ता काटा
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Pichhadi pe kutta kaata-Devang Patel

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