Jul 20, 2020

तेरी प्यारी प्यारी सूरत को-ससुराल १९६१

हिंदी सिनेमा ने बरसों में ढेरों स्टार देख लिए मगर जुबली
कुमार का तमगा केवल राजेंद्र कुमार को ही मिला. इसे हम
संयोग कहें या सिनेमा के अवयवों का अनूठा संगम, उनकी
फिल्मों के गीत लाजवाब हैं और आज भी उसी चाव से सुने
जाते हैं.

आज राजेंद्र कुमार का जन्मदिन है. पंजाबी मूल के नायक
राजेंद्र कुमार तुली सियालकोट में पैदा हुए थे. बम्बई में उनका
कैरियर एक असिस्टेंट के तौर पर हरनाम सिंह रवैल के साथ
शुरू हुआ. देवेन्द्र गोयल की वचन उनकी बतौर नायक पहली
फिल्म थी और ये फिल्म सिल्वर जुबली हिट रही.

दूसरे कई सफल कलाकारों की तरह फिल्मफेयर पुरस्कार से
उनका नाता जुड़ नहीं पाया. बरसों के सिनेमा दर्शन के बाद
मैं ये पाया कि पुरस्कार से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. ये
बात ज़रूर है कि इतिहास में आपके नाम के आगे पुरस्कार
दर्ज हो जाता है और सरसरी तौर पर देखने वाले और आकलन
करने वालों के लिए ये अचम्भा हो सकता है. अब तो ढेर
सारे पुरस्कारों का अविष्कार हो चुका है कलाकारों का मन
बहलाने के लिए.

सुनते हैं राजेंद्र कुमार और बी सरोजा देवी पर फिल्माया गया
फिल्म ससुराल का गीत जिसे लिखा है हसरत जयपुरी ने और
इसकी धुन तैयार की है शंकर जयकिशन ने.




गीत के बोल:

तेरी प्यारी प्यारी सूरत को
किसी की नज़र न लगे
यूँ न अकेले फिरा करो

तेरी प्यारी प्यारी सूरत को
किसी की नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर

मुखड़े को छुपा लो आँचल में
कहीं मेरी नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर

यूँ न अकेले फिरा करो
सबकी नज़र से डरा करो
यूँ न अकेले फिरा करो
सबकी नज़र से डरा करो
फूल से ज़्यादा नाज़ुक हो तुम
चाल संभल कर चला करो
ज़ुल्फ़ों को गिरा लो गालों पर
मौसम की नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर

तेरी प्यारी प्यारी सूरत को
किसी की नज़र न लगे

चश्मे बद्दूरे

एक झलक जो पाता है
राही वही रुक जाता है
एक झलक जो पाता है
राही वही रुक जाता है
देख के तेरा रूप सलोना
चाँद भी सर को झुकाता है
देखा ना करो तुम आईना
कहीं खुद की नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर

तेरी प्यारी प्यारी सूरत को
किसी की नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर

मुखड़े को छुपा लो आँचल में
कहीं मेरी नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर
………………………………………………..
Teri pyari pyari soorat ko-Sasural 1961

Artists: Rajendra Kumar, B Saroja Devi

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