अपने होंठों की बंसी बना ले मुझे-गैम्बलर १९७१
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का मेसेज आता है. क्या दूसरे ब्लोगर्स को भी ऐसी
कुछ दिक्कत आई? गूगल भाई बतलायेंगे उनको
क्या समस्या है?
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आज कवि गोपालदास नीरज की पुण्यतिथि है. वे
हमसे दो साल पहले ही बिछड़े थे. कवी सम्मेलनों की
शान रहने वाले नीरज ने हिंदी फिल्मों के लिए सत्तर
के दशक में काफी गीत लिखे.
उनकी लेखनी का लोहा हिंदी फ़िल्मी गाने सुनने वाले
भी मानते हैं.
उनकी कलम से निकला एक युगल गीत सुनते हैं फिल्म
गैम्बलर से जो सन १९७१ की फिल्म है.
लता और किशोर के गाये इस गीत की धुन तैयार की
है सचिन देव बर्मन ने.
गीत के बोल:
अपने होंठों की बंसी बना ले मुझे
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Apne honthon ki bansi bana le-Gambler 1971
Artists: Dev Anand, Zahida
1 comments:
एक बात समझ ना आती कि हीरो को सर्दी लगती है
और हीरोईन को नहीं. वाह रे बॉलीवुड की फ़िल्में.
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