नुक्तचीन है गम-ऐ -दिल - यहूदी की लड़की १९३३
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब....... ये शायद
पिछली शताब्दी की सबसे लोकप्रिय पंक्तियों में से कुछ हैं।
फिल्म यहूदी की लड़की के लिए मिर्ज़ा ग़ालिब के लिखे बोलों
को गा रहे हैं सहगल, पंकज मलिक की बनाई तर्ज़ पर।
हिंदी संगीत के इतिहास का एक मील का पत्थर गीत कह
सकते हैं आप इसको । इसके असर में तनिक भी कमी नहीं
आई है। इसकी तासीर आज भी वैसी ही कायम है।
गीत के बोल:
नुक्ताचीं है, ग़म-ए-दिल उसको सुनाये न बने
क्या बने बात जहाँ बात बनाये न बने
क्या बने बात जहाँ बात बनाये न बने
मैं बुलाता तो हूँ उसको मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल
मैं बुलाता तो हूँ उसको मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल
उस पे बन जाये कुछ ऐसी
उस पे बन जाये कुछ ऐसी कि बिन आये न बने
उस पे बन जाये कुछ ऐसी कि बिन आये न बने
नुक्ताचीं है, ग़म-ए-दिल उसको सुनाये
बोझ वो सर से गिरा
बोझ वोह सर से गिरा है, कि उठाये न उठे
काम वो आन पड़ा है के बनाये न बने
काम वो आन पड़ा है के बनाये न बने
नुक्ताचीं है, ग़म-ए-दिल उसको सुनाये
इश्क़ पर ज़ोर नहीं
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब
के लगाये न लगे
के लगाये न लगे और बुझाये न बने
के लगाये न लगे और बुझाये न बने
नुक्ताचीं है, ग़म-ए-दिल उसको सुनाये
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Nuktacheen hai gham-e-dil-Mirza Ghalib 1933
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