कहीं हो ना मोहल्ले में-चौकी नंबर ११ १९७८
अतः समय समय पर इस ब्लॉग में गैर फ़िल्मी गीत, ग़ज़ल भी
शामिल किये जाते हैं।
प्रस्तुत गीत फ़िल्मी गीत ही है। दुर्लभ ये इस मायने में है कि
एक समय खूब बजने के बाद ये अदृश्य सा हो गया। प्रसिद्ध
ठुमरी व दादरा गायिका शोभा गुर्टू ने इसे गाया है अपने दिलकश
अंदाज़ में। विश्वेश्वर शर्मा ने इसके बोल लिखे हैं और एक गुमनाम
सी फिल्म चौकी नंबर ११ के लिए इसका संगीत तैयार किया है
सोनिक ओमी ने।
गीत के बोल:
कहीं हो ना मोहल्ले में हल्ला किवड़िया ना खटकाना
कहीं हो ना मोहल्ले में हल्ला किवड़िया ना खटकाना
दरवज्जे पे ताला है लल्ला कि बड कईं आ जाना
दरवज्जे पे ताला है लल्ला कि बड कईं आ जाना
किवड़िया ना खटकाना
जब से बिहाई तब से ना आई एक रात सुहानी
जब से बिहाई तब से ना आई एक रात सुहानी
पियु गये परदेस कमाने
पियु गये परदेस कमाने सूनी छोड़ जवानी
रोये रात रात
रोये रात रात चुनरी का पल्ला घुन्घत्वा उठा जाना
रोये रात रात चुनरी का पल्ला घुन्घत्वा उठा जाना
किवड़िया ना खटकाना
पिछली रात पडोसी के घर लाल जले जब बत्ती
पिछली रात पडोसी के घर लाल जले जब बत्ती
खिड़की के परदे पर देखूं,
देखूं मोरी दिया हाँ देखो मोरी सैयां
खिड़की के परदे पर देखूं, छाया है जो मिलती
जिया करता है
जिया करता है जोर से जो चिल्लाऊं ,
बचाना मुझे बचाना
जिया करता है जोर से जो चिल्लाऊं ,
बचाना मुझे बचाना
कहीं हो ना मोहल्ले में हल्ला किवड़िया ना खटकाना
किवड़िया ना खटकाना
सावन सूखा, फाल्गुन फीका , होली ना दीवाली
सावन सूखा, फाल्गुन फीका , होली ना दीवाली
सखियों के घर कागा बोले,
कागा बोले, कागा बोले
सखियों के घर कागा बोले, यहाँ पे बिल्ली काली
मैं तो फूँक फूँक
मैं तो फूँक फूँक हारी रे चूल्हा सबर कब चटकाना ?
मैं तो फूँक फूँक हारी रे चूल्हा सबर कब चटकाना ?
किवड़िया ना खटकाना
आगे ताला पीछे ताला बंद सभी दरवाजे
आगे ताला पीछे ताला बंद सभी दरवाजे
चाबी मेरे पास नहीं है पायलिया जब बाजे
पायलिया जब बाजे रामा, पायलिया जब बाजे
चाबी मेरे पास नहीं है पायलिया जब बाजे
इस खिड़की का
इस खिड़की का पल्ला लगे झुल्ला
उसी से तू आ जाना
इस खिड़की का पल्ला लगे झुल्ला
उसी से तू आ जाना
कहीं हो ना मोहल्ले में हल्ला किवड़िया ना खटकाना
किवड़िया ना खटकाना
दरवज्जे पे ताला है लल्ला कि बड कईं आ जाना
किवड़िया ना खटकाना
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Kahin ho na mohalle mein-Chowki No. 11
Arttist: Zareena Wahab
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