Feb 26, 2017

सावन की रातों में ऐसा भी होता-प्रेम पत्र १९६२

शशि कपूर और साधना अभिनीत फिल्म प्रेम पत्र सन १९६२
में आई थी. अगर आप फ़िल्मी गीतों के शौक़ीन हैं तो सारे
परम्यूटेशन कोम्बिनेशन लगा चुके होंगे और अनुमान भी कि
सावन की रातों में क्या क्या हो सकने की संभावनाएं हैं.

राजेंद्र कृष्ण की रचना को संगीत से संवारा है सलिल चौधरी ने.
सलिल के गीतों में उच्चारण अलग हट के भी होता है गाने वाले
का. संगीतमय जिमनास्टिक्स करता हुआ उनका संगीत सुनने
वाले के तार झनझना कर उसे आनंदित कर देता है. सुनने
वाला समझ ही नहीं पाता क्या हो गया और वाह वाह कर देता
है.

तलत महमूद ने अपनी मूल आवाज़ में पंक्तियाँ बोली है. वो
आवाज़ की कंपन इधर नहीं है जिसके लिए वे जाने जाते हैं.
जैसे ही वो गाना शुरू करते हैं कंपन लौट आती है. गीत का
असली आनंद दूसरे अंतरे में आना शुरू होता है.




गीत के बोल:

सावन की रातों में ऐसा भी होता है
राही कोई भूला हुआ तूफ़ानों में खोया हुआ
राह पे आ जाता है

सावन की रातों में ऐसा भी होता है
सावन की रातों में
राही कोई भूला हुआ तूफ़ानों में खोया हुआ
राह पे आ जाता है
सावन की रातों में ऐसा भी होता है
सावन की रातों में

तेरी नजर से इसे देख लूं मैं
दिल से मेरे तुम ये महसूस कर लो
तेरी नजर से इसे देख लूं में
दिल से मेरे तुम ये महसूस कर लो
तूफ़ान ये मेरे दिल से उठा है
चाहो तो तुम अपने दामन में भर लो
तूफ़ानों में खोया हुआ ये रास्ता है

सावन की रातों में ऐसा भी होता है
सावन की रातों में

हारा हुआ था अंधेरों को राही
मंज़िल से पहले ही नींद आ रही थी
तुम दूर लेकर चले आई वरना
मेरे चरागों से लौ जा रही थी
तेरे लिये जीते हैं हम दिल जानता है

सावन की रातों में ऐसा भी होता है
सावन की रातों में
राही कोई भूला हुआ तूफ़ानों में खोया हुआ
राह पे आ जाता है
सावन की रातों में ऐसा भी होता है
सावन की रातों में
....................................................................................
Sawan ki raaton mein-Prem patra 1962

Artists: Sadhna, Shashi Kapoor

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP